72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती विवाद : कोर्ट ने क्या कहा , सरकार ने क्या किया : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

शिक्षक भर्ती विवाद :
1. सरिता शुक्ला की याचिका पर न्यायमूर्ति श्री सुधीर अग्रवाल ने कहा कि विज्ञापन के क्लॉज़ दस में लिखा है कि जिनको ट्रेनिंग दी गयी रहेगी वो सब नियुक्त किये जायेंगे अतः प्रशिक्षु चयन पर सर्विस रूल प्रभावी रहेगा और रूल का उलंघन नहीं होगा ।
अतः नियमावली में पांच जिला नहीं है और यह पांच जिले की वैकल्पिक व्यवस्था विज्ञापन से रद्द की जाती है ।
सरकार ने सब जिलों में आवेदन ले लिया और विज्ञापन को रूल पर नहीं लाया ।
2. कपिल देव की याचिका पर न्यायमूर्ति श्री सुधीर अग्रवाल ने विज्ञापन BSA द्वारा न जारी होने पर स्टे कर दिया ।
राज्य सरकार बदल गयी ।

3. न्यायमूर्ति श्री अरुण टंडन ने कहा कि भर्ती क्यों रुकी है तो सरकार ने कहा कि परीक्षा में धांधली हुयी थी तो न्यायमूर्ति ने कहा कि परीक्षा की जांच करके ख़राब हिस्से को निकालकर भर्ती कीजिये ।
सरकार ने जांच कराया और नियमावली में संशोधन 12 रद्द (टीईटी मेरिट) रद्द करके संशोधन 15 (अकादमिक मेरिट) किया ।
पुराना विज्ञापन वापस ले लिया ।
4. अखिलेश त्रिपाठी की याचिका पुराने विज्ञापन की बहाली की मांग पर न्यायमूर्ति श्री अरुण कुमार टंडन ने कहा कि पुराना विज्ञापन सर्विस रूल पर नहीं था इसी आधार पर उसपर स्टे हुआ था अतः नया विज्ञापन लाये सरकार ।
सरकार ने नियमावली में संशोधन 16 करके नया विज्ञापन लाया ।
5. अखिलेश त्रिपाठी की याचिका को न्यायमूर्ति श्री अरुण टंडन ने ख़ारिज कर दिया और कहा कि पुराना विज्ञापन प्रशिक्षु का था और प्रशिक्षु कैडर रूल में नहीं है अतः वह विज्ञापन कोर्ट बहाल नहीं करेगी ।
इस प्रकार दिनांक 2 सितम्बर 2012 को सरकार द्वारा रद्द किये गये पुराने विज्ञापन को कोर्ट ने बहाल करने से इंकार कर दिया ।
न्यायमूर्ति श्री अरुण टंडन जी ने अपने आदेश में यदि प्रशिक्षु शिक्षक के चयन का प्रभाव लिख दिया होता जैसे कि रूल 14(1) का उलंघन : BSA द्वारा विज्ञापन जारी न होना ।
रूल 9 का उलंघन : रिजर्वेशन पालिसी
रूल 6 का उलंघन : उम्र
रूल 10 का उलंघन : हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन ।
वस्तुतः पूरी नियमावली की धज्जी उड़ी थी इसलिए संभव है कि न्यायमूर्ति ने जिक्र न किया हो ।
सरकार ने नये विज्ञापन पर काउंसलिंग शुरू करा दी ।
6. नवीन श्रीवास्तव की SLP पर न्यायमूर्ति श्री सुशील हरकौली और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने नये विज्ञापन की काउंसलिंग पर रोक लगा दी ।
न्यायमूर्ति ने एकल बेंच के फैसले पर टिप्पणी करते हुये कहा कि जिस वजह से प्रशिक्षु का विज्ञापन निरस्त हुआ था वह कोई वजह नहीं थी क्योंकि चयन पहले ट्रेनिंग के लिए होता या नियुक्ति के लिए होता चयन एक ही व्यक्ति का होता ।
सरकार सरकार होती है और उसका दोनों विज्ञापन था इसलिए वह सच न रख सकी ।
मैं राहुल पाण्डेय चाहता था कि अवैध तरीके से भर्ती होने पर बाद में वैध लोग स्वतः अधिकार पा लेंगे इसलिए लोगों को प्रोत्साहित करता रहा और कपिल देव टीम को भी जाग्रत करता रहा लेकिन मकसद व्यापक था ।
यदि मैंने कैविएट डाली होती और न्यायमूर्ति हरकौली की कोर्ट में बताया होता कि सेपरेट मेरिट उस ऐड में वर्णित है तो न्यायमूर्ति उस नये ऐड पर स्टे न करते ।
जैसे ही सच जाना तो मुकदमा छोड़ दिया ।
न्यायमूर्ति श्री एलके मोहपात्रा एक्टिंग CJ थे उन्होंने समझ लिया था कि अंतरिम आदेश गलत है इसलिए सुनवाई ही न की ।
7. न्यायमूर्ति श्री अशोक भूषण जी ने प्रशिक्षु शिक्षक को सहायक अध्यापक बताकर एवं चयन में
पूर्ण नियमावली का अनुपालन बताकर तथा उसके विरुद्ध पड़ी कपिल देव की याचिका ख़ारिज बताकर
पुराना विज्ञापन बहाल कर दिया ।
अपने आदेश की सुरक्षा के लिए यूपी में रिक्त 2.70 लाख पद को दिनांक 31 मार्च 2014 तक भरने का आदेश कर दिया और नियमावली का संशोधन 15 रद्द कर दिया ।
सरकार को पता था की कपिल देव की याचिका सरकार द्वारा वापस लेने के बाद रद्द हुयी है अतः कपिल देव SLP में सुप्रीम कोर्ट जायेगा तो सरकार के पास जवाब नहीं होगा और राज्य संशोधन 15 से चार भर्ती कर चुकी है वह भी रद्द हो जायेगा
इसलिए सुप्रीम कोर्ट गयी ।

8. न्यायमूर्ति श्री HL दत्तू ने मात्र 12 सप्ताह में हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम भर्ती का आदेश किया जिससे बच्चों की शिक्षा बाधित न हो ।
सरकार ने रूल फॉलो न करके त्रुटिपूर्ण विज्ञापन से भर्ती शुरू कर दी जबकि जब किसी भर्ती पर रूल प्रभावित होता है तो रूल सदैव विज्ञप्ति पर सुपरसाईट कर जाता है ।
राज्य को 72825 लोग को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त करके ट्रेनिंग कराना था लेकिन उसने मात्र विज्ञप्ति को फॉलो किया ।
यहाँ से मैं मंच के पीछे से निर्देशन छोड़कर मंच पर आ गया ।
शशिकांत यादव ,चंचला आदि को रोल मिला
असफलता की स्थिति में प्रथम पात्र सरिता शुक्ला को भी आना पड़ा ।
9. न्यायमूर्ति HL दत्तू के CJI बनने के बाद
श्री राकेश द्विवेदी और सत्यमित्र गर्ग ने पुनः डेट लगवा ली और बेंच श्री दीपक मिश्रा को मिली तो
मैंने प्रयास किया कि न्यायमूर्ति को पता चले कि चयन रूल से नहीं हो रहा है उक्त कार्य में श्री राकेश द्विवेदी ने हमारा सपोर्ट भी किया ।
इसके पूर्व न्यायमूर्ति HL दत्तू की कोर्ट में श्री मुकुल रोहतगी के कमजोर होने पर राकेश द्विवेदी जी कपिल देव की SLP पर बहस करके सरकार की SLP भी बचा चुके थे ।
न्यायमूर्ति ने सब कुछ समझ लिया और नियमावली से टीईटी में न्यूनतम 70/65 फीसदी अंक पाने वालों को 72825 के सापेक्ष रूल से वरीयता क्रम में चुनने का आदेश कर दिया ।
राज्य ने फिर वही पुराने विज्ञापन की शर्तों से टीईटी में 70/65 अंक तक वालों की काउंसलिंग कराकर
कम वालों को खदेड़ दिया और नियम विरुद्ध चयन करके फिर काफी पद रिक्त कर दिया ।
मैं भी धीरे-धीरे मजबूत हो रहा था ।
(बीच में मैंने कई आदेश कराये जिसपर चर्चा की जरुरत नहीं है लोगों ने मेरा बहुत मनोबल तोड़ने का प्रयास किया लेकिन आज मेरी मूल 80 फीसदी टीम नियुक्त हो चुकी है और बीस फीसदी नियुक्ति का आदेश पा चुकी है । तमाम नये लोग भी लाभान्वित हो चुके हैं ।)
इसी दौर में सरकार ने अपने वकील सत्यमित्र गर्ग को हटाकर श्री राकेश मिश्रा को जिम्मेदारी सौपी तो सीनियर वकील श्री वेंकट रमणी भी केस से अलग हो गये और एमिकस क्विरी बना दिये गये ।

10. न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा को बताया गया कि टीईटी 70/60 फीसदी के ऊपर मात्र 12091 लोग योग्य हैं तो उन्होंने शेष रिक्त 2500 पदों में श्री राकेश द्विवेदी के प्रथम प्रयास से मौजूद 1100 याचियों को तदर्थ पर अंतरिम नियुक्ति का आदेश कर दिया ।
सरकार ने 825 याचियों को तदर्थ पर प्रशिक्षु शिक्षक नियुक्त कर दिया और छः माह बाद स्थाई शिक्षक बनाने का शासनादेश जारी कर दिया ।
11. टीईटी 70/60 से अधिक अंक वाले याचियों और कम अंक वाले याचियों को राहत मिलने पर कोर्ट में याची की बाढ़ आ गयी और न्यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति श्री SK सिंह ने सबको याची के रूप में स्वीकार कर लिया और जो पुराने याची में राहत पाये हैं उनके समतुल्य नये याचियों को भी उक्त दायरे में शामिल कर लिया ।
इसलिए मेरा प्रयास था कि टीईटी में न्यूनतम 60 फीसदी और न्यूनतम 55 फीसदी वाला याची नियुक्ति पा जाये ।
इसी तरह अशोक खरे ने न्यायमूर्ति अरुण टंडन को गुमराह किया था एक तरफ तो अखिलेश
त्रिपाठी की याचिका पर पुराना विज्ञापन बहाली की मांग कर रहे थे तो दूसरी तरफ आशीष मिश्रा की याचिका पर आशीष मिश्रा को नये विज्ञापन में आवेदन करने का आदेश करा दिये ।
इससे झल्लाकर न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने कठोर आदेश किया ।
अब सरकार क्या करती है प्रतीक्षा कीजिये ।
चयनित नेता स्वयं को बचाने के लिए नये याचियों को जोड़कर उनसे मात्र 72825 पद का समर्थन करवाकर उनका भविष्य बर्बाद करना चाहते हैं जो कि मैं कदापि नहीं होने दूंगा ।
मैं सम्पूर्ण कहानी का एक बटा हजारवाँ भाग बताकर आपको सचेत कर रहा हूँ ।
हिमांशु राणा ने पूर्व में भी अपने 80 फीसदी याचियों के साथ धोखा किया है और मयंक जी ने तो याचियों का टीईटी रोल नंबर तक नहीं लिखा ।
ईश्वर सबकी मदद करें ।
हर समय सच लिखता हूँ और अपने विरोधों की परवाह नहीं करता हूँ ।
राहुल अविचल
9415226460
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