Breaking Posts

Top Post Ad

नियुक्ति पत्र मिलने के बाद भी युवा भटक रहे हैं : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

मूमन लोगों को नियुक्ति पत्र हासिल करने में ही एड़ियां रगड़नी पड़ती हैं, लेकिन यहां तो नियुक्ति पत्र मिलने के बाद भी युवा भटक रहे हैं, क्योंकि चयन बोर्ड से मिला नियुक्ति पत्र ‘चला’ ही नहीं। शिक्षक की नौकरी जिनके हाथ से फिसल गई ऐसे युवाओं की चर्चा उस शिवकुमार से करें जो नियुक्ति पत्र लेकर कर्नल ब्रrानंद इंटर
कालेज सुकरुल्लापुर फरुखाबाद पहुंचे तो वहां उन्हें बताया गया कि सामाजिक विज्ञान के एलटी ग्रेड शिक्षक का कोई पद खाली ही नहीं है। या फिर देवरिया के रुद्रपुर कालेज में समाजशास्त्र प्रवक्ता का कार्यभार ग्रहण करने पहुंचे अनिल कुमार का जिक्र करें, जिन्हें खाली हाथ कालेज से लौट आना पड़ा। 1पूरे जोश के साथ शिक्षक बनने का नियुक्ति पत्र लेने और फिर कुछ दिन बाद मायूस होकर लौटने की घटना से जूझने वालों की तादाद दो-चार नहीं है, बल्कि प्रदेश भर में ऐसे युवा 700 से अधिक हैं।
दरअसल उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में 2009 एवं 2010 में टीजीटी (स्नातक शिक्षक) व पीजीटी (प्रवक्ता) की भर्तियां हुई थीं। नियुक्ति की प्रक्रिया जिलों से भेजे गए अधियाचन के आधार पर हुई, लेकिन जब नियुक्ति की बारी आई तो वहां के प्रबंधतंत्र, प्रधानाचार्य आदि ने मिलकर उन पदों पर मृतक आश्रित या अन्य को तैनाती दे दी। इससे परीक्षा और साक्षात्कार से चुने अभ्यर्थी हाशिए पर चले गए। चयन बोर्ड के निर्देशों की अवहेलना प्रदेश के लगभग हर जिले में हुई, बड़ी संख्या में युवा नियुक्ति पत्र लेकर बैरंग लौट आए। चयन बोर्ड ने निर्देश न मानने वालों का कुछ किया भी नहीं। हालांकि जब चैनसुख भारती चयन बोर्ड के अध्यक्ष थे तब नियमों में संशोधन करके नियुक्तियां करने का उन्होंने प्रयास किया, लेकिन उसे भी रोक दिया गया। इससे 700 से अधिक युवा अब भी बेरोजगारी से जूझते हुए भटक रहे हैं। 1आखिर क्या है बाधा 1चयन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष चैनसुख भारती के समय जब युवाओं को दूसरे कालेजों में तैनाती देने की प्रक्रिया शुरू हुई तो हाईकोर्ट ने उसमें रोक लगा दी। कोर्ट ने निर्देश दिया कि यदि उसी विज्ञापन की जगह रिक्त हो तभी नियुक्ति दी जाए, दूसरे विज्ञापन के तहत तैनाती नहीं दी जा सकती। आशय साफ था कि वर्ष 2009 व 2010 में ही यदि कहीं रिक्ति तभी नियुक्ति मिलेगी। 1नियमावली में संशोधन ही रास्ता 1नियुक्ति पत्र लेकर भटकने वाले युवाओं के लिए एक मात्र रास्ता नियमावली में संशोधन का है, यह कार्य चयन बोर्ड नहीं बल्कि शासन को करना है। युवा बताते हैं कि पूर्व अध्यक्ष अनीता यादव ने शासन स्तर पर इसकी पैरवी शुरू की थी, लेकिन तब तक वह हट गईं। नए अध्यक्ष हीरालाल गुप्त ने भी वादा किया है कि वह शासन से इसका निराकरण कराने का पूरा प्रयास करेंगे।
null
Sponsored links :
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Breaking News: सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC

Facebook