इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लेखपाल भर्ती 2015 के संशोधित परीक्षा परिणाम के बाद
उनकी ट्रेनिंग पर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पूर्व में
घोषित परिणाम में चयनित और संशोधित परिणाम में बाहर हुए अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से जवाब भी मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने छत्रपाल व विनोद कुमार सहित कई अन्य की याचिका पर अधिवक्ता सीमांत सिंह व अन्य को सुनकर दिया। मामले के तथ्यों के अनुसार याची लेखपाल भर्ती 2015 में अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी हैं। आठ मार्च 2016 को घोषित परीक्षा परिणाम में उनका चयन हो भी गया था लेकिन 11 मार्च 2016 को राजस्व परिषद के चेयरमैन ने एक पत्र भेजा कि अनुसूचित जाति के जिन अभ्यर्थियों ने आवेदन पत्र में आरक्षण श्रेणी का कॉलम नहीं भरा है, चयनित अभ्यर्थियों से ज्यादा नंबर हासिल करने के बावजूद उनका चयन नहीं हो सका है। इसके बाद राज्य सरकार ने 31 मार्च 2016 को संशोधित परीक्षा परिणाम घोषित किया, जिससे याचियों को चयनित सूची से बाहर कर दिया गया और आरक्षण श्रेणी न घोषित करने वाले अभ्यर्थी चुन लिए गए।
एडवोकेट सीमांत सिंह ने कोर्ट को बताया कि जिन अभ्यर्थियों ने अपनी आरक्षित श्रेणी नहीं बताई, वे सामान्य वर्ग के माने गए। उनके अंक सामान्य वर्ग के हिसाब से कम हैं, इसलिए उनका चयन नहीं हुआ। दूसरी तरफ राज्य सरकार का कथन था कि आरक्षित श्रेणी का खुलासा नहीं करने वाले अभ्यर्थियों के कट ऑफ नंबर आरक्षित वर्ग की कट ऑफ मेरिट से अधिक थे, इसलिए उन्हें चयनित कर लिया गया।
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एडवोकेट सीमांत सिंह ने कोर्ट को बताया कि जिन अभ्यर्थियों ने अपनी आरक्षित श्रेणी नहीं बताई, वे सामान्य वर्ग के माने गए। उनके अंक सामान्य वर्ग के हिसाब से कम हैं, इसलिए उनका चयन नहीं हुआ। दूसरी तरफ राज्य सरकार का कथन था कि आरक्षित श्रेणी का खुलासा नहीं करने वाले अभ्यर्थियों के कट ऑफ नंबर आरक्षित वर्ग की कट ऑफ मेरिट से अधिक थे, इसलिए उन्हें चयनित कर लिया गया।
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