छात्रों को शिक्षित करने के संवैधानिक उत्तरदायित्वों को पूरा करने के लिये
प्रदेश में शिक्षकों को जल्द से जल्द भर्ती जरूरी है। इस कारण यह सभी के
हित में है कि सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी
कर ली जाये।
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने इस टिप्पणी के साथ ही प्रदेश में सहायक शिक्षकों की भर्ती का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। अदालत ने सरकार और शिक्षा विभाग को आदेश दिया है कि वह आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने के छह सप्ताह के भीतर चयन प्रक्रिया की पूरी कर शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश जारी करें। सरकार इसके लिये एक सप्ताह के भीतर अपना नया शेड्यूल जारी कर सकती है।
न्यायमूर्ति राजन राय की एकल पीठ ने उक्त फैसला महेन्द्र प्रताप सिंह व सात अन्य तथा अभिनव सिंह व चार की ओर से दायर याचिका को अंतिम रूप से निपटारा करते हुये सुनाया। हालांकि अदालत ने पूर्व में जारी अंतिम आदेश को निरस्त करते हुये याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है लेकिन इसीके साथ फैसले में यह भी कहा है कि इससे याचिकाकर्ताओं के हित की कोई क्षति नहीं पहुंचेगी। क्योंकि नियमानुसार चयन प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं।
अदालत ने यह भी कहा है कि बीटीसी, बीएड, डीएड तथा अन्य वर्ग के अलग-अलग विद्यार्थियों की नियुक्ति में समानता का अवसर प्रदान करने के इरादे से सरकार ने उनके फार्म जमा करने की तथा उनके चयन के संदर्भ में अलग-अलग तिथियां नियत की। इसके पीछे सरकार का कोई दुर्भावना प्रतीत नहीं होता है। यह भी जरूरी है कि सूबे में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की भर्ती के लिये चयन प्रक्रिया और अन्य मुद्दों को लेकर इलाहाबाद और लखनऊ पीठ ने अलग-अलग याचिका दायर हुईं और कई आदेश पारित हुये जिनके पालन में सरकार को कार्रवाई करनी पड़ी।
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हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने इस टिप्पणी के साथ ही प्रदेश में सहायक शिक्षकों की भर्ती का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। अदालत ने सरकार और शिक्षा विभाग को आदेश दिया है कि वह आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने के छह सप्ताह के भीतर चयन प्रक्रिया की पूरी कर शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश जारी करें। सरकार इसके लिये एक सप्ताह के भीतर अपना नया शेड्यूल जारी कर सकती है।
न्यायमूर्ति राजन राय की एकल पीठ ने उक्त फैसला महेन्द्र प्रताप सिंह व सात अन्य तथा अभिनव सिंह व चार की ओर से दायर याचिका को अंतिम रूप से निपटारा करते हुये सुनाया। हालांकि अदालत ने पूर्व में जारी अंतिम आदेश को निरस्त करते हुये याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है लेकिन इसीके साथ फैसले में यह भी कहा है कि इससे याचिकाकर्ताओं के हित की कोई क्षति नहीं पहुंचेगी। क्योंकि नियमानुसार चयन प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं।
अदालत ने यह भी कहा है कि बीटीसी, बीएड, डीएड तथा अन्य वर्ग के अलग-अलग विद्यार्थियों की नियुक्ति में समानता का अवसर प्रदान करने के इरादे से सरकार ने उनके फार्म जमा करने की तथा उनके चयन के संदर्भ में अलग-अलग तिथियां नियत की। इसके पीछे सरकार का कोई दुर्भावना प्रतीत नहीं होता है। यह भी जरूरी है कि सूबे में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की भर्ती के लिये चयन प्रक्रिया और अन्य मुद्दों को लेकर इलाहाबाद और लखनऊ पीठ ने अलग-अलग याचिका दायर हुईं और कई आदेश पारित हुये जिनके पालन में सरकार को कार्रवाई करनी पड़ी।
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