जागरण संवाददाता, बरेली : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की
परीक्षा में आए दिन सेंधमारी सामने आती रही है। पेपर लीक होने से लेकर गलत
प्रश्न पूछने तक के मामले उठे। ये कोर्ट तक भी पहुंचे।
यूपीपीएससी इन तमाम खामियों पर लगाम लगाने के साथ कई बदलाव भी करने जा रहा है।
अभी तक हर पांचवें सेट के प्रश्नपत्र के प्रश्नों के सीरियल नंबर समान होते थे। अब ऐसा नहीं होगा। प्रश्नों का सीरियल नंबर किसी अन्य प्रश्नपत्र के सेट से मेल नहीं खाएगा। प्रश्न तो समान होंगे, लेकिन सभी के सीरियल नंबर अलग-अलग होंगे। इससे प्रश्नपत्र का आंसर कोड नहीं बनाया जा सकेगा।
बुधवार को जय नारायण कॉलेज में आयोजित प्रधानाचार्य परिषद के प्रदेश स्तरीय सम्मेलन में हिस्सा लेने आए यूपीपीएससी के चेयरमैन डॉ. अनिरुद्ध सिंह यादव ने यूपीपीएससी में भविष्य में होने वाले बदलाव के बारे में जानकारी दी। बताया कि सेंधमारी पर काफी हद तक लगाम लग जाएगी।
डॉ. अनिरुद्ध यादव ने बताया कि पेपर सेट एक से पेपर सेट पांच के प्रश्नों के सीरियल नंबर एक जैसे होते हैं। बदलाव होने से यह नहीं होगा। प्रश्नपत्र त्रुटिहीन होंगे। इसके लिए पेपर सेट करने वाले पैनल में भी बदलाव किया जा रहा है। अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तरह अब यूपीपीएससी की परीक्षा में भी बाहर से पेन या पेंसिल ले जाने की जरूरत नहीं होगी। परीक्षा की शुचिता बनाए रखने के लिए अब यूपीपीएससी भी अभ्यर्थियों को सारी चीजें खुद उपलब्ध कराएगा। अभ्यर्थी केवल अपना एडमिट कार्ड लेकर जाएगा। इसके साथ ही केंद्र में जैमर भी लगाने पर विचार चल रहा है ताकि कोई भी नेटवर्क केंद्र पर कार्य न कर सके। इसके साथ तकनीकी रूप से व्यवस्था और मजबूत होगी ताकि हर छोटी से छोटी खामी ट्रेस की जा सके। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हो सकता है कि यूपीपीएससी के चेयरमैन पर राजनीतिक दवाब आता हो, अभी तक उनके सामने ऐसा कुछ नहीं आया है। मूल्यांकन को लेकर कहा कि कई परीक्षक तीन से चार घंटे मूल्यांकन करते हैं। उसमें गंभीरता भी नहीं दिखाते। ऐसे परीक्षकों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि समय से मूल्यांकन करें और कोई जल्दबाजी न करें। 1गड़बड़ी के लिए प्रशासन जिम्मेदार1डॉ. अनिरुद्ध ने बताया कि साफ-सुथरी व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन जिम्मेदार होगा। किसी गड़बड़ी पर दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी। इसमें कोई रियायत नहीं होगी। एक सवाल के जवाब में कहा कि केंद्रों की सूची पर यूपीपीएससी मुहर जरूर लगाता है पर प्रस्तावित तो जिला प्रशासन के स्तर से ही होती है। प्रस्तावित करने से पहले देख लिया जाना चाहिए कि केंद्र बेदाग है या नहीं।
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यूपीपीएससी इन तमाम खामियों पर लगाम लगाने के साथ कई बदलाव भी करने जा रहा है।
अभी तक हर पांचवें सेट के प्रश्नपत्र के प्रश्नों के सीरियल नंबर समान होते थे। अब ऐसा नहीं होगा। प्रश्नों का सीरियल नंबर किसी अन्य प्रश्नपत्र के सेट से मेल नहीं खाएगा। प्रश्न तो समान होंगे, लेकिन सभी के सीरियल नंबर अलग-अलग होंगे। इससे प्रश्नपत्र का आंसर कोड नहीं बनाया जा सकेगा।
बुधवार को जय नारायण कॉलेज में आयोजित प्रधानाचार्य परिषद के प्रदेश स्तरीय सम्मेलन में हिस्सा लेने आए यूपीपीएससी के चेयरमैन डॉ. अनिरुद्ध सिंह यादव ने यूपीपीएससी में भविष्य में होने वाले बदलाव के बारे में जानकारी दी। बताया कि सेंधमारी पर काफी हद तक लगाम लग जाएगी।
डॉ. अनिरुद्ध यादव ने बताया कि पेपर सेट एक से पेपर सेट पांच के प्रश्नों के सीरियल नंबर एक जैसे होते हैं। बदलाव होने से यह नहीं होगा। प्रश्नपत्र त्रुटिहीन होंगे। इसके लिए पेपर सेट करने वाले पैनल में भी बदलाव किया जा रहा है। अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तरह अब यूपीपीएससी की परीक्षा में भी बाहर से पेन या पेंसिल ले जाने की जरूरत नहीं होगी। परीक्षा की शुचिता बनाए रखने के लिए अब यूपीपीएससी भी अभ्यर्थियों को सारी चीजें खुद उपलब्ध कराएगा। अभ्यर्थी केवल अपना एडमिट कार्ड लेकर जाएगा। इसके साथ ही केंद्र में जैमर भी लगाने पर विचार चल रहा है ताकि कोई भी नेटवर्क केंद्र पर कार्य न कर सके। इसके साथ तकनीकी रूप से व्यवस्था और मजबूत होगी ताकि हर छोटी से छोटी खामी ट्रेस की जा सके। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हो सकता है कि यूपीपीएससी के चेयरमैन पर राजनीतिक दवाब आता हो, अभी तक उनके सामने ऐसा कुछ नहीं आया है। मूल्यांकन को लेकर कहा कि कई परीक्षक तीन से चार घंटे मूल्यांकन करते हैं। उसमें गंभीरता भी नहीं दिखाते। ऐसे परीक्षकों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि समय से मूल्यांकन करें और कोई जल्दबाजी न करें। 1गड़बड़ी के लिए प्रशासन जिम्मेदार1डॉ. अनिरुद्ध ने बताया कि साफ-सुथरी व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन जिम्मेदार होगा। किसी गड़बड़ी पर दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी। इसमें कोई रियायत नहीं होगी। एक सवाल के जवाब में कहा कि केंद्रों की सूची पर यूपीपीएससी मुहर जरूर लगाता है पर प्रस्तावित तो जिला प्रशासन के स्तर से ही होती है। प्रस्तावित करने से पहले देख लिया जाना चाहिए कि केंद्र बेदाग है या नहीं।
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