लखनऊ : सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर केंद्रीय कैबिनेट की मुहर लगने के बाद राज्य कर्मचारी आंदोलित हैं। कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार द्वारा की गई वेतन बढ़ोतरी
से कर्मचारियों के छले जाने और उनमें भारी निराशा और आक्रोश व्याप्त होने
की बात कही है।
राज्य कर्मचारियों के अलग-अलग गुटों ने इसके विरोध में आंदोलन की चेतावनी दी है।1राज्य कर्मचारी संयुक्त
परिषद के एक गुट के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि पांचवें, छठे व
सातवें वेतन आयोग द्वारा जारी की गई केंद्र सरकार की सिफारिशों में तृतीय व
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के साथ लगातार दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा
रहा है।
कर्मचारी संगठनों द्वारा 26 हजार रुपये न्यूनतम वेतन की मांग
पर मात्र 18 हजार रुपये प्रस्तावित किया जाना यही साबित करता है। इसी तरह
जिस अनुपात में उच्च अधिकारियों का वेतन बढ़ाया गया है, उसी अनुपात में
तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की वेतन बढ़ोतरी होनी चाहिए थी।
इसके अलावा न मकान किराया भत्ता अपेक्षित अनुपात में बढ़ाया
गया और न ही पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने पर कोई बात की गई। तिवारी ने
बताया कि वार्षिक वेतन वृद्धि पांच फीसद मांगी गई थी, लेकिन पहले की तरह
इसे तीन फीसद रखकर सरकार ने कर्मचारियों को ललकारने का काम किया है। तिवारी
ने कहा कि फिलहाल सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है।
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