जाब्यू, नई दिल्ली: कई केंद्रीय कर्मचारी संगठन वेतनवृद्धि को लेकर सरकार की घोषणा से खुश नहीं हैं। उन्होंने आगाह किया है कि यदि वेतन में और बढ़ोतरी की उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया गया तो 11 जुलाई से कम से कम 23 लाख केंद्रीय कर्मचारी हड़ताल पर जा सकते हैं।
केंद्रीय कर्मचारियों की संयुक्त कार्रवाई परिषद (एनजेसीए) के सचिव तथा ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन (एआइआरएफ) के महासचिव शिवगोपाल मिश्र ने कहा कि 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट अब तक की सबसे खराब रिपोर्ट है। पांचवें वेतन आयोग में मूल वेतन 50 फीसद और छठे वेतन आयोग में 40 फीसद बढ़ा था। जबकि 7वें आयोग ने केवल 14 फीसद बढ़ोतरी की है। न्यूनतम वेतन केवल 18 हजार रुपये किया गया है जबकि महंगाई के सरकारी आंकड़ों के हिसाब से ही बिना भत्तों का वेतन कम से कम 23 हजार रुपये होने चाहिए। हमें 2.57 फीसद का मल्टीप्लायर फैक्टर भी मंजूर नहीं है। इन नेताओं ने कहा कि सरकार ने केवल दो समितियां बनाई हैं- एक भत्तों और दूसरी नई पेंशन स्कीम पर पुनर्विचार के लिए। लेकिन इनकी रिपोर्ट आने में समय लगेगा। एकमात्र राहत की बात यह है कि ग्रुप इंश्योरेंस के लिए प्रस्तावित 1500-6000 रुपये तक मासिक कटौती को टाल दिया गया है। इससे कर्मचारी अपने घर कम से कम पहले जितना वेतन ले जा सकेंगे, अन्यथा उनका प्रभावी वेतन कम हो रहा था।1मिश्र ने कहा कि आयोग ने रेलवे कर्मचारियों के अनेक भत्तों में कटौती कर दी है। शुरू से चले आ रहे इन भत्तों के बगैर कैसे काम होगा? यही वजह है कि रेलवे के दोनों फेडरेशन (एआइआरएफ तथा एनएफआइआर) हड़ताल में साथ हैं। इसके अलावा केंद्रीय कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों का समर्थन भी हमें हासिल हैं। यहां तक कि भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) का सहयोग भी हमें हासिल है। इस तरह पचास लाख केंद्रीय कर्मचारियों में से करीब 23 लाख के हड़ताल पर होने से यह दुनिया की सबसे बड़ी हड़ताल होगी। हालांकि अब भी वक्त है। सरकार चाहे तो कोई हल निकल सकता है। हम वार्ता के लिए तैयार हैं। लेकिन मूल वेतन पर समझौता नहीं होगा।
कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाईज एंड वर्कर्स ने भी 11 जुलाई से हड़ताल का आह्वान किया है। इसके महासचिव एम. दुरई पांडियन ने चेन्नई में कहा कि ‘हमें 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें मंजूर नहीं हैं।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
केंद्रीय कर्मचारियों की संयुक्त कार्रवाई परिषद (एनजेसीए) के सचिव तथा ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन (एआइआरएफ) के महासचिव शिवगोपाल मिश्र ने कहा कि 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट अब तक की सबसे खराब रिपोर्ट है। पांचवें वेतन आयोग में मूल वेतन 50 फीसद और छठे वेतन आयोग में 40 फीसद बढ़ा था। जबकि 7वें आयोग ने केवल 14 फीसद बढ़ोतरी की है। न्यूनतम वेतन केवल 18 हजार रुपये किया गया है जबकि महंगाई के सरकारी आंकड़ों के हिसाब से ही बिना भत्तों का वेतन कम से कम 23 हजार रुपये होने चाहिए। हमें 2.57 फीसद का मल्टीप्लायर फैक्टर भी मंजूर नहीं है। इन नेताओं ने कहा कि सरकार ने केवल दो समितियां बनाई हैं- एक भत्तों और दूसरी नई पेंशन स्कीम पर पुनर्विचार के लिए। लेकिन इनकी रिपोर्ट आने में समय लगेगा। एकमात्र राहत की बात यह है कि ग्रुप इंश्योरेंस के लिए प्रस्तावित 1500-6000 रुपये तक मासिक कटौती को टाल दिया गया है। इससे कर्मचारी अपने घर कम से कम पहले जितना वेतन ले जा सकेंगे, अन्यथा उनका प्रभावी वेतन कम हो रहा था।1मिश्र ने कहा कि आयोग ने रेलवे कर्मचारियों के अनेक भत्तों में कटौती कर दी है। शुरू से चले आ रहे इन भत्तों के बगैर कैसे काम होगा? यही वजह है कि रेलवे के दोनों फेडरेशन (एआइआरएफ तथा एनएफआइआर) हड़ताल में साथ हैं। इसके अलावा केंद्रीय कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों का समर्थन भी हमें हासिल हैं। यहां तक कि भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) का सहयोग भी हमें हासिल है। इस तरह पचास लाख केंद्रीय कर्मचारियों में से करीब 23 लाख के हड़ताल पर होने से यह दुनिया की सबसे बड़ी हड़ताल होगी। हालांकि अब भी वक्त है। सरकार चाहे तो कोई हल निकल सकता है। हम वार्ता के लिए तैयार हैं। लेकिन मूल वेतन पर समझौता नहीं होगा।
कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाईज एंड वर्कर्स ने भी 11 जुलाई से हड़ताल का आह्वान किया है। इसके महासचिव एम. दुरई पांडियन ने चेन्नई में कहा कि ‘हमें 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें मंजूर नहीं हैं।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines