UP election : भर्ती ,रोक और अभ्यर्थी : खैर सरकार को कहाँ पड़ी है

एक विज्ञापन जारी होता है सैकड़ो पद दिखाए जाते है , फॉर्म भरे जाते है ,परीक्षा आयोजन किया जाता है ,परिणाम आते है और फिर कोर्ट द्वारा रोक लगा दी जाती है । इस तरह का खेल अब UP में नया नहीं रहा । सरकार हर बार यह खेल खेलती रही है और अपनी जेब खूब भरती रही है ।
लेकिन विज्ञापन ,भर्ती ,परीक्षा और परिणाम के बीच एक अभ्यर्थी की परीक्षा तैयारी के लिए कितनी तपस्या करनी होती है उसे सरकार शायद समझ पाती । कितना पैसा और समय बर्बाद हो जाता है । कोचिँग सेंटर वाले भी इसमें चाँदी कूट लेते है । बर्बाद होता है तो केवल अभ्यर्थी और परेशान होते है उनके परिवार वाले जिनके अमूल्य वोटों से सरकार बनी है । खैर सरकार को कहाँ पड़ी है । उसके पास इन छोटी बातों पर ध्यान देने का समय नहीं है शायद परंतु अगर भर्ती प्रक्रिया के पहले ही इसमें आ रही तकनीकी बाधाओं का निवारण कर लिया जाए तो कम से कम किसी के सपनों की , समय की ,संपदा की बर्बादी होने से तो रोकी ही जा सकती है । एक भर्ती प्रक्रिया के रोक लग जाने पर अभ्यर्थी की मानसिक स्थिति पर कितना गहरा असर पड़ता है उसे तो वो ही अच्छी तरह समझ सकता है जो इस प्रक्रिया से गुजरा हो । अंततः यही कामना करता हूँ भविष्य में कोई भी भर्ती निकले कम से कम उस पर कोई रोक न लगे ।

मेरे विचारों को पढ़ने के लिए आप सभी का बहुत आभार व धन्यवाद आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है
जय हिंद जय भारत
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