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फर्जी ट्रेनिंग, फर्जी अटेंडेंस और सैलरी भी फर्जी: फर्जीवाड़े की जड़ें लखनऊ तक, सफेदपोश भी शामिल

विकास खंडों पर पूरा फर्जीवाड़ा चलता रहा। फर्जी नियुक्ति पत्र दिए गए। फर्जी प्रशिक्षण कराया जाता रहा, उपस्थिति भी दर्ज की गई, जिस पर अधिकारियों की मुहर भी लग गई। यहां तक की कुछ लोगों को एक माह का प्रशिक्षण काल का वेतन भी दिया गया, लेकिन जब नियुक्ति की बात आई तो अग्रिम प्रशिक्षण के लिए बुंदेलखंड एवं पूर्वांचल में जाने की बात कही।

लगभग ढाई सौ युवकों को फर्जी रूप से सींचपाल (पतरोल) पद के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा था। एसएसपी मनोज तिवारी ने बताया कि अब तक 229 लोगों की जानकारी मिली है, जिन्हें बिजनौर के ब्लॉक कीरतपुर, जलीलपुर और शामली के कांधला ब्लॉक में प्रशिक्षण दिया जा रहा था।
इसमें सिर्फ सहारनपुर के ही नहीं, बल्कि बिजनौर, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ के भी युवकों को फर्जी सींचपाल की नियुक्तियों के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा था। इनसे 5 से 6 लाख रुपये लिए गए। एसएसपी ने बताया कि इस फर्जीवाड़ा का लीडर लोनी का सुशील जाटव है। वह सिंचाई विभाग में कर्मचारी है।
ऐसे खुल गया फर्जीवाड़ा
गुनारसा निवासी रवि कुमार ने आरोप लगाया कि उसके गांव का अशोक कुमार वहां प्रशिक्षण ले रहा था। उसके पिता के कहने पर वह भी सरकारी नौकरी के लिए तैयार हो गया। उससे 6.50 लाख रुपये मांगे। तीन लाख रुपये तो कॉल लेटर आने पर और साढ़े तीन लाख रुपये ट्रेनिंग शुरू होने पर दिए गए। उन्होंने ट्रेनिंग शुरू कर दी।
जबकि, अशोक की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी थी और उसे ज्वाइनिंग लेटर दिया जाना था, लेकिन वह अपने घर पर ही रहा। उसने कई बार पूछा तो वह टालमटोल करता रहा। जिस पर उसे संदेह हुआ। उसने सूचना के अधिकार के तहत नियुक्तियों के संबंध में सूचना मांगी। जो पता विज्ञापन में था। वह लखनऊ में कहीं मिला ही नहीं। उसके बाद वह सिंचाई विभाग के अधिकारियों के यहां गए तो वहां से इस प्रकार की नियुक्तियों से इंकार कर दिया। जिस पर उन्हें फर्जीवाड़ा का पता चला। इसके बाद एफआईआर दर्ज कराई।
10 करोड़ रुपये की ठगी एसएसपी मनोज तिवारी ने बताया कि प्रारंभिक पूछताछ में आंकलन के अनुसार इस फर्जी नियुक्ति में लगभग 10 करोड़ रुपये की ठगी किया जाना प्रकाश में आया है। लगभग ढाई सौ युवकों से रुपये ठगे गए हैं। 12 से 15 लोगों के नाम इस फर्जीवाड़े में सामने आ चुके हैं।
फर्जीवाड़े की जड़ें लखनऊ तक, सफेदपोश भी शामिल
सिंचाई विभाग में सींचपाल (पतरोल) की नौकरी दिलाने के नाम पर 10 करोड़ रुपये से अधिक का फर्जीवाड़ा चलता रहा। नियुक्ति पत्र से लेकर तीन-तीन महीने की ट्रेनिंग दिला दी गई। सब कुछ अधिकारियों की आंखों के सामने होता रहा। उपस्थिति रजिस्टर पर उपस्थिति दर्ज कराई जाती रहीं। सत्यापित किया गया। जिससे इस फर्जीवाड़े में कुछ अधिकारियों के शामिल होने की आशंका बन रही है। यही नहीं कुछ नेताओं के फोन आने के बाद सफेदपोशों की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा रहा है। पुलिस के अनुसार यह फर्जीवाड़ा एक साल से चल रहा है।
कुछ नियुक्ति पत्र कई माह पूर्व के भी हैं, जिनमें से कुछ की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी थी। उन्हें प्रशिक्षण के तहत क्षेत्र में भी भेजा जा रहा था। कई महीनों से बिजनौर जिले में सैकड़ों लोगों का प्रशिक्षण अधिकारियों की आंखों के सामने ही चलता रहा। यहीं नहीं पुलिस ने जब लिपिकों को हिरासत में लिया तो कुछ अधिकारियों ने आपत्ति जता दी, शासन तक मामला पहुंच गया। फिर भी पुलिस की कार्रवाई नहीं रुकी तो नेताओं के फोन आने शुरू हो गए।
इससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि इस फर्जीवाड़े की जड़ें काफी गहरी हैं। न सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों बिजनौर, सहारनपुर, शामली, मेरठ, गाजियाबाद में इस रैकेट के तार हैं, बल्कि लखनऊ तक इसकी जड़े फैली हुईं हैं। इतना बड़ा फर्जीवाड़ा हो और किसी को पता न चले, यह संभव नहीं है। एसएसपी मनोज तिवारी का कहना है कि वह मामले की जांच गंभीरता से करा रहे हैं। उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
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