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हजारों BTC प्रशिक्षुओं की फंसेगी छात्रवृत्ति, परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने अनदेखी करने वाले डायट प्राचार्यो से स्पष्टीकरण माँगा

बेसिक टीचर्स सर्टिफिकेट यानी बीटीसी का प्रशिक्षण लेने वाले हजारों युवाओं को इस वर्ष छात्रवृत्ति नहीं मिल सकेगी। इसकी वजह यह है कि कालेज संचालकों ने समाज विभाग के वेबपोर्टल पर मास्टर डाटा अपलोड नहीं किया है। इसलिए उनका सत्यापन नहीं हो सका है।
परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने अनदेखी करने वाले जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान यानी डायट प्राचार्यो से स्पष्टीकरण मांगा है। प्रदेश के बीटीसी कालेजों में सत्र 2015 के लिए प्रवेश कार्य (कुछ जिलों को छोड़कर) 22 सितंबर को ही पूरा करने के निर्देश रहे हैं, लेकिन कई निजी बीटीसी कालेजों ने दाखिला पाने वाले अभ्यर्थियों की सूचना देने में लेटलतीफी की सारी सीमाएं तोड़ दी हैं।
 कालेजों को स्कूल की बीटीसी के लिए मान्यता कब से है, कितने अभ्यर्थियों को दाखिला मिला, उनकी फीस क्या है एवं अन्य आधारभूत जानकारी समाज कल्याण विभाग के वेबपोर्टल पर अपलोड करनी थी। इसके बाद परीक्षा नियामक सचिव की ओर सत्यापन होना था, लेकिन सूबे के करीब एक सौ से अधिक कालेजों ने डाटा अपलोड करने के नाम पर मजाक किया है। कुछ कालेजों ने तो केवल करीब पांच हजार से अधिक अभ्यर्थियों का नाम भर अपलोड किया है। सारे रिकॉर्ड न होने से परीक्षा नियामक के यहां से तय समय में सत्यापन नहीं हो पाया है। इससे उन कालेजों के अभ्यर्थी इस साल छात्रवृत्ति नहीं पा सकेंगे। इस संबंध में परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव नीना श्रीवास्तव ने संबंधित कालेजों के डायट प्राचार्यो से स्पष्टीकरण मांगा है।
अंतिम तारीख के कारण फंसा कार्य : समाज कल्याण विभाग के वेबपोर्टल पर छात्रवृत्ति पाने के लिए डाटा अपलोड करने की अंतिम तारीख नौ सितंबर थी। उस समय तक डायट को छोड़कर अधिकांश निजी कालेजों में प्रवेश कार्य ही पूरा नहीं हो सका था। ऐसे में डाटा अपलोड न करने वाले निजी कालेजों की तादाद और अधिक होने के आसार हैं।

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