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याची लाभ प्रक्रिया को लेकर शासन स्तर पर खलबलाहट तो है लेकिन यथार्थ में जियें और जीने दें....

टेट मोर्चे में जब तक धन रुपी चाशनी नहीं पगी थी चीटी चिटियों की संख्या तो कम थी ही,ऊल जलूल ताबड़तोड़ पलंगतोड़ न्यूज चैनलों का चलन भी कम था।
कुछेक स्वतंत्र न्यूज एजेंसी जिम्मेदाराना अपडेट के लिये थी ,अब जब से नेताओं ने अपने चैनल आन एयर कर दिये,टी आर पी बटोरने व चेहरा मांजने के लिये बात को बतंगण बना बम्बास्टिक न्यूज परोसी जा रही है।बड़के वाले नेता रिपोर्टर तो छुटके कैमरामैन,समाज सेवा व मीडिया पर्सन की दोहरी जिम्मेदारी के मध्य रिपोर्टर कमोड पर बैठकर कैमरे में खीसे निपोरते हुये चूतियम सल्फेट की गोली बेच रहा है।
पिछले दिनो लखनऊ में संजय सिन्हा ने कहा कि "कभी निगेटिव हुआ भी है" भाई लोग लगे फेंकने लम्बी लम्बी...
जब गप्प खप्प हो गयी तो याचियों को लताड़ लगाने लग गये।कोई जिम्मेदारी है कि नहीं ...
आज भी टी आर पी बटोरने को एक बुजुर्ग सज्जन संजय सिन्हा के प्रवक्ता बन गये।जिम्मेदार लोग ब्रेकिंग न्यूज से परहेज नहीं करते तो उनकी विश्वसनीयता संदेह के घेरे मे आ जाती है।
कल शाम मोर्चे की नीव की ईंट प्रदीप तिवारी जी ने उप सचिव स्कंद शुक्ला से मुलाकात कर लखनऊ से आये पत्रांको की जानकारी का अनुरोध किया तो उन्होने जानकारी साझा करने से प्रथमतयः इन्कार कर दिया।अत्यधिक दबाव पर उन्होने कहा कि जो भी होगा हम प्रक्रियागत तरीके से सम्पन्न कर लेगे।उन्होने जब पूँछा कि याचियों के सम्बन्ध मे शासन स्तर पर क्या मंशा है ?शुक्ला जी ने लगभग झुंझलाते हुये कहा ,स्पष्ट आदेश कराओ तभी कुछ होगा।खैर!अंत में उन्होने कहा हम अपना कार्य कर देगे किन्तु लखनऊ से हरी झण्डी के उपरान्त ही कुछ पाजटिव होगा।
सभी महान नेत्रत्वकर्ताओ से अनुरोध है कि सूचनाओ का लाभ उठा कर संघर्ष को यथासम्भव परिणिति तक पहुँचाये ,न्युज एक्सप्रेस न दौड़ाये अन्यथा जब जनबल का आह्वाहन करोगे तो लोग गप्प ही मानेंगे।
यहाँ स्पष्ट कर दूँ कि याची लाभ प्रक्रिया को लेकर शासन स्तर पर खलबलाहट तो है लेकिन यथार्थ में जियें और जीने दें,..
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