जो कर्मचारी भविष्य निधि में योगदान करते हैं, उन्हें अब इसके सहारे अपना मकान हासिल करने का मौका मिलेगा। जी हां, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अपने सदस्यों के लिए अगले महीने हाउसिंग स्कीम लांच करने जा रहा है। इसके तहत कर्मचारी अपने पीएफ खाते से प्रारंभिक एकमुश्त भुगतान और मासिक
किस्त चुकाकर अपने मकान का सपना सच कर सकेंगे।
मददगार होगा ईपीएफओ : योजना के तहत ईपीएफओ अपने सवा चार करोड़ सदस्य कर्मचारियों को सेवाकाल के दौरान मकान खरीदने में मददगार की भूमिका निभाएगा। इसके लिए कर्मचारियों को अपने नियोक्ताओं के साथ मिलकर ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी बनानी पड़ेगी। यह सोसायटी बैंकों और बिल्डरों या मकान विक्रेताओं के साथ गठजोड़ करके कर्मचारियों को मकान खरीदने में सहायता प्रदान करेगी। ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में कम से कम 20 सदस्य होने जरूरी होंगे।
सरकारी स्कीमों का लाभ : सदस्यों को प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी केंद्र अथवा राय सरकारों की विभिन्न आवासीय स्कीमों को आपस में क्लब करने की इजाजत होगी। संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के मामले में ईपीएफओ बैंकों को कर्मचारियों की साख और मासिक किस्त (ईएमआई) अदा करने की क्षमता का प्रमाणपत्र देगा। लेकिन कानूनी विवाद की स्थिति में वह किसी भी पक्ष की पैरवी नहीं करेगा। बिल्डर, विक्रेता, बैंक और ग्रुप हाउसिंग सोसायटी को आपस में ही विवाद सुलझाना होगा। विवाद की स्थिति में ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के प्रमुख के अनुरोध पर ईपीएफओ को सदस्यों के खाते से ईएमआइ का भुगतान रोकने का अधिकार होगा।
ईपीएफओ के सवा चार करोड़ सदस्यों के लिए आवासीय योजना लाने की मंशा का एलान केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने पिछले साल मई में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में किया था। तब सरकार की ओर से कहा गया था कि वह एनबीसीसी तथा दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), पुडा और हुडा जैसी संस्थाओं तथा सार्वजनिक क्षेत्र की हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों तथा बैंकों के सहयोग से ईपीएफओं के सदस्यों को सस्ते मकान उपलब्ध कराना चाहती है।
कम वेतन वालों को फायदा : ईपीएफओ के 70 फीसद से यादा ग्राहकों का मासिक मूल वेतन 15 हजार रुपये से कम है। इस तरह की स्कीम लाए जाने से इन्हें सबसे यादा लाभ होगा। इससे 2022 तक सभी को आवास के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को हकीकत में बदलने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी ईपीएफओ से इस तरह की स्कीम तैयार करने के लिए कहा था। इसके लिए ईपीएफओ कोष की 15 फीसद राशि को हाउसिंग सोसाइटियों को कर्ज के रूप में उपलब्ध कराने का प्रस्ताव था। ईपीएफओ के पास अभी 6.5 लाख करोड़ रुपये का कुल कोष है। इसमें हर साल 70 हजार करोड रुपये की बढ़ोतरी होती है।
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
किस्त चुकाकर अपने मकान का सपना सच कर सकेंगे।
- शिक्षा मित्रों को स्थगन आदेश मिलने के बाद आज तक इस गम्भीर प्रकरण पर सुनवाई क्यों नहीं हुई ?
- सोशल मीडिया पर आगामी सुनवाई की तिथि भ्रामक , नई बेंच मे भी सीनियर जज श्री दीपक मिश्रा सर ही रहेंगे
- UPTET 72825 : नए ऐड की बहाली के लिए सुनवाई 28 फरबरी
- उत्तर प्रदेश में जल्द ही सत्ता परिवर्तन , यह निश्चित रूप से आगामी सुनवाई पर आपके हित में : मयंक तिवारी
- CTET प्रमाण पत्रों के सत्यापन पर अब लगेगा शुल्क: देखें आर्डर की कॉपी
- विनम्र निवेदन : इस लेटर का प्रिंट निकाल कर राष्ट्रपति महोदय के पास जरूर भेजे
मददगार होगा ईपीएफओ : योजना के तहत ईपीएफओ अपने सवा चार करोड़ सदस्य कर्मचारियों को सेवाकाल के दौरान मकान खरीदने में मददगार की भूमिका निभाएगा। इसके लिए कर्मचारियों को अपने नियोक्ताओं के साथ मिलकर ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी बनानी पड़ेगी। यह सोसायटी बैंकों और बिल्डरों या मकान विक्रेताओं के साथ गठजोड़ करके कर्मचारियों को मकान खरीदने में सहायता प्रदान करेगी। ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में कम से कम 20 सदस्य होने जरूरी होंगे।
सरकारी स्कीमों का लाभ : सदस्यों को प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी केंद्र अथवा राय सरकारों की विभिन्न आवासीय स्कीमों को आपस में क्लब करने की इजाजत होगी। संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के मामले में ईपीएफओ बैंकों को कर्मचारियों की साख और मासिक किस्त (ईएमआई) अदा करने की क्षमता का प्रमाणपत्र देगा। लेकिन कानूनी विवाद की स्थिति में वह किसी भी पक्ष की पैरवी नहीं करेगा। बिल्डर, विक्रेता, बैंक और ग्रुप हाउसिंग सोसायटी को आपस में ही विवाद सुलझाना होगा। विवाद की स्थिति में ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के प्रमुख के अनुरोध पर ईपीएफओ को सदस्यों के खाते से ईएमआइ का भुगतान रोकने का अधिकार होगा।
ईपीएफओ के सवा चार करोड़ सदस्यों के लिए आवासीय योजना लाने की मंशा का एलान केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने पिछले साल मई में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में किया था। तब सरकार की ओर से कहा गया था कि वह एनबीसीसी तथा दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), पुडा और हुडा जैसी संस्थाओं तथा सार्वजनिक क्षेत्र की हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों तथा बैंकों के सहयोग से ईपीएफओं के सदस्यों को सस्ते मकान उपलब्ध कराना चाहती है।
कम वेतन वालों को फायदा : ईपीएफओ के 70 फीसद से यादा ग्राहकों का मासिक मूल वेतन 15 हजार रुपये से कम है। इस तरह की स्कीम लाए जाने से इन्हें सबसे यादा लाभ होगा। इससे 2022 तक सभी को आवास के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को हकीकत में बदलने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी ईपीएफओ से इस तरह की स्कीम तैयार करने के लिए कहा था। इसके लिए ईपीएफओ कोष की 15 फीसद राशि को हाउसिंग सोसाइटियों को कर्ज के रूप में उपलब्ध कराने का प्रस्ताव था। ईपीएफओ के पास अभी 6.5 लाख करोड़ रुपये का कुल कोष है। इसमें हर साल 70 हजार करोड रुपये की बढ़ोतरी होती है।
- असमायोजित शिक्षामित्रों अब भी वक़्त है उठो जागो और अपने हक के लिए आगे बढ़ो
- शिक्षामित्र केस की नई डेट अगले सात दिनों के अंदर : आर के पाण्डेय एडवोकेट
- शिक्षामित्र केस : उच्च कोटि के वकीलों को उतारकर कराई जाएगी पैरवी : जितेंद्र शाही
- 22 फरवरी की सुनवाई : TET मोर्चा की फेसबुक पोस्ट
- शिक्षामित्र समायोजन केस जटिल नहीं है: शिक्षामित्रों के विरुद्ध दाखिल की गयी याचिकाओं और उनके काउंटर के बाद सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामला बहुत जटिल नहीं रह गया
- हिमांशु राणा अपडेट: मेरे निम्न बिन्दुओं पर समस्त चयनित - अचयनित और कोई भी टीम ध्यान दें
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines