हमारी जंग निर्णायक दौर में है इसलिये संघर्ष कड़ा है और एक गजब की संगठनशक्ति की आवश्यकता इस समय और परिस्थिति की माँग है ।
कल रात सपा और बसपा के दो बड़े नेताओं ने फोन पर बात करते हुये हमारा पूरा समर्थन करते हुये सारी माँगे पूरी करने का आश्वासन दिया पर साथ ही अपनी पार्टी के लिये खुलकर समर्थन की माँग की । जिसके प्रतिउत्तर में हमने संगठन में बात रखने की बात कही । इसके अलावा भाजपा नेताओं ने भी हमसे सम्पर्क किया और आज मीटिंग भी तय हुई है उनके साथ ।
ये तो आपके विरोध का असर रहा । अब कुछ अलग बात ।
कल आपके विरोध में अध्यापक के भाव कम देखने को मिले , कमेन्ट पढ़कर ऐसा लग रहा था की उत्तर प्रदेश चुनाव में जातियों/धर्मों की प्रतियोगिता हो रही है और सभी लोग अपने जातीय और धार्मिक आधार पर पार्टियों को वोट की बात करने लगे , ये कदापि शिक्षक योग्य आचरण नहीँ है ।
शिक्षक की कोई जाति या धर्म नहीँ होता ।
हम किसी पार्टी को जीता या हरा नहीँ रहे । हम तो बस शिक्षहितों और वैधानिकता की बात कर रहे हैं ।
अगर वर्तमान में उत्तर प्रदेश की सपा सरकार प्राथमिक शिक्षा में कानूनी रूप से वैधानिक कार्य करती तो निसंदेह हमें इसके विरोध का कोई नैतिक अधिकार नहीँ था ,पर इस सरकार ने कोर्ट के आदेशों को धता बताते हुये मनमानी पूर्वक असम्वैधानीक कार्य किये जिससे हमारा अहित हुआ और इसीलिये हमने विरोध किया ।
वोट किसे देना है ,ये हर व्यक्ति का निजी मामला है और इसमें वो अपनी ज़रूरत और सूझबूझ से काम ले ।
बस यही कहूँगा की अपनी बात को अवश्य रखें पर शिक्षक के आचरण के अनुरूप ।
बाकी किसी नेता या पार्टी की क्षमता नहीँ की हमारे मामलों का वो निर्णय कर सके , हमारे मामलों में सुप्रीम कोर्ट निर्णय करेगा और हमें आज तक जो भी मिला वो कोर्ट से ही मिला है और आगे भी वहीँ से आशा है ,क्योंकि हम सही हैं , सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने वाले हैं और हम कानूनन वैध भी हैं ।
अब रही शिक्षामित्रों या उर्दू अध्यापकों या अन्य भर्तियों से चयनित अध्यापकों के विरोध की तो यहाँ सभीको ये संज्ञान रखना होगा की शिक्षामित्र हमारे दुश्मन नहीँ हैं ।
और न ही हमें उनके अध्यापक पद दिये जाने से आपत्ति है । हम तो केवल कानून के विरुद्ध समायोजन का विरोध करते हैं । और आगे भी सदा न्याय मिलने तक करेंगे ।
जैसे की सभी को विदित है की पूरे देश में आरटीई एक्ट लागू है अर्थात सभी राज्य या प्रदेशों के लिये 23 अगस्त 2010 के बाद शिक्षक भर्ती के नियम आरटीई एक्ट के अनुरूप एकसमान हैं ।
जिसमें शिथिलता का अधिकार अब केवल भारत की संसद को है ,अर्थात लोकसभा में फ़िर राज्यसभा में बिल पास होकर राष्ट्रपति जी के हस्ताक्षर हों । या
केन्द्र सरकार नया अध्यादेश लाकर आरटीई एक्ट को बदले और छः माह के अंदर संसद से इसे पारित करवाकर राष्ट्रपति जी के हस्ताक्षर करवा कानून बनाये ।
उपरोक्त के अलावा अब भारतवर्ष में कोई ऐसी शक्ति नहीँ जो 23 अगस्त 2010 के बाद होने वाली भर्ती में टीईटी से छूट या आरटीई एक्ट में शिथिलता बरतने की अनुमति दे या ये करने की शक्ति भी रखती हो ।
जैसा की स्पष्ट है की टीईटी में छूट या आरटीई एक्ट में बदलाव की शक्ति केवल और केवल केन्द्र सरकार के पास है ।
और ऐसे में अब अगर केन्द सरकार भी आरटीई एक्ट में शिथिलता की कोशिश करेगी तो जिस दिन अध्यादेश जारी होगा ,वो नियम तब से ही लागू होगा ।
अर्थात रेट्रोस्पेक्टिव में कोई कानून लागू नहीँ होता ,मतलब शिक्षामित्रों का बिना टीईटी समायोजन तो अवैध है ही ,जिस पर सहायक अध्यापक बन पाना असम्भव है , शिक्षामित्रों के साथ धोखा किया गया ।
विशेष बात ये रही की शिक्षामित्रों की अगुवाई करने वाले शिक्षामित्र संगठनों के नेता अनपढ़ और स्वार्थी सरीखे हैं जो अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकते रहे और उत्तर प्रदेश सरकार इनके साथ छल करती रही ।
इसीलिये हाइकोर्ट ने इस समायोजन को अवैध करार दिया ।
आपका - गणेश शंकर दीक्षित
टीईटी संघर्ष मोर्चा,उ.प्र.
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
- 9342 एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती : यूपी डेस्को ने छिपाए आवेदन
- 22 फरवरी : 15-16 वें संशोधन से निकली भर्तियों ( लगभग 99000 चयनित ) को दीपक मिश्राजी रद्द नहीँ करेंगे ...
- आगामी 22 फरवरी को फाइनल हियरिंग के दौरान निम्न बिन्दुवों का निस्तारण होना हैं...............
- हमे टेट 2011से ही job मिलेगी , इसके निम्न कारण हैं..................
- Tet पात्रता परीक्षा है ना की अर्हता परीक्षा
- मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री द्वारा दिए गए आश्वासन का सार :उ0प्र0 में सरकार बनने पर निम्न कार्यवाही होगी
कल रात सपा और बसपा के दो बड़े नेताओं ने फोन पर बात करते हुये हमारा पूरा समर्थन करते हुये सारी माँगे पूरी करने का आश्वासन दिया पर साथ ही अपनी पार्टी के लिये खुलकर समर्थन की माँग की । जिसके प्रतिउत्तर में हमने संगठन में बात रखने की बात कही । इसके अलावा भाजपा नेताओं ने भी हमसे सम्पर्क किया और आज मीटिंग भी तय हुई है उनके साथ ।
ये तो आपके विरोध का असर रहा । अब कुछ अलग बात ।
कल आपके विरोध में अध्यापक के भाव कम देखने को मिले , कमेन्ट पढ़कर ऐसा लग रहा था की उत्तर प्रदेश चुनाव में जातियों/धर्मों की प्रतियोगिता हो रही है और सभी लोग अपने जातीय और धार्मिक आधार पर पार्टियों को वोट की बात करने लगे , ये कदापि शिक्षक योग्य आचरण नहीँ है ।
शिक्षक की कोई जाति या धर्म नहीँ होता ।
हम किसी पार्टी को जीता या हरा नहीँ रहे । हम तो बस शिक्षहितों और वैधानिकता की बात कर रहे हैं ।
अगर वर्तमान में उत्तर प्रदेश की सपा सरकार प्राथमिक शिक्षा में कानूनी रूप से वैधानिक कार्य करती तो निसंदेह हमें इसके विरोध का कोई नैतिक अधिकार नहीँ था ,पर इस सरकार ने कोर्ट के आदेशों को धता बताते हुये मनमानी पूर्वक असम्वैधानीक कार्य किये जिससे हमारा अहित हुआ और इसीलिये हमने विरोध किया ।
वोट किसे देना है ,ये हर व्यक्ति का निजी मामला है और इसमें वो अपनी ज़रूरत और सूझबूझ से काम ले ।
बस यही कहूँगा की अपनी बात को अवश्य रखें पर शिक्षक के आचरण के अनुरूप ।
बाकी किसी नेता या पार्टी की क्षमता नहीँ की हमारे मामलों का वो निर्णय कर सके , हमारे मामलों में सुप्रीम कोर्ट निर्णय करेगा और हमें आज तक जो भी मिला वो कोर्ट से ही मिला है और आगे भी वहीँ से आशा है ,क्योंकि हम सही हैं , सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने वाले हैं और हम कानूनन वैध भी हैं ।
अब रही शिक्षामित्रों या उर्दू अध्यापकों या अन्य भर्तियों से चयनित अध्यापकों के विरोध की तो यहाँ सभीको ये संज्ञान रखना होगा की शिक्षामित्र हमारे दुश्मन नहीँ हैं ।
और न ही हमें उनके अध्यापक पद दिये जाने से आपत्ति है । हम तो केवल कानून के विरुद्ध समायोजन का विरोध करते हैं । और आगे भी सदा न्याय मिलने तक करेंगे ।
जैसे की सभी को विदित है की पूरे देश में आरटीई एक्ट लागू है अर्थात सभी राज्य या प्रदेशों के लिये 23 अगस्त 2010 के बाद शिक्षक भर्ती के नियम आरटीई एक्ट के अनुरूप एकसमान हैं ।
जिसमें शिथिलता का अधिकार अब केवल भारत की संसद को है ,अर्थात लोकसभा में फ़िर राज्यसभा में बिल पास होकर राष्ट्रपति जी के हस्ताक्षर हों । या
केन्द्र सरकार नया अध्यादेश लाकर आरटीई एक्ट को बदले और छः माह के अंदर संसद से इसे पारित करवाकर राष्ट्रपति जी के हस्ताक्षर करवा कानून बनाये ।
उपरोक्त के अलावा अब भारतवर्ष में कोई ऐसी शक्ति नहीँ जो 23 अगस्त 2010 के बाद होने वाली भर्ती में टीईटी से छूट या आरटीई एक्ट में शिथिलता बरतने की अनुमति दे या ये करने की शक्ति भी रखती हो ।
जैसा की स्पष्ट है की टीईटी में छूट या आरटीई एक्ट में बदलाव की शक्ति केवल और केवल केन्द्र सरकार के पास है ।
और ऐसे में अब अगर केन्द सरकार भी आरटीई एक्ट में शिथिलता की कोशिश करेगी तो जिस दिन अध्यादेश जारी होगा ,वो नियम तब से ही लागू होगा ।
अर्थात रेट्रोस्पेक्टिव में कोई कानून लागू नहीँ होता ,मतलब शिक्षामित्रों का बिना टीईटी समायोजन तो अवैध है ही ,जिस पर सहायक अध्यापक बन पाना असम्भव है , शिक्षामित्रों के साथ धोखा किया गया ।
विशेष बात ये रही की शिक्षामित्रों की अगुवाई करने वाले शिक्षामित्र संगठनों के नेता अनपढ़ और स्वार्थी सरीखे हैं जो अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकते रहे और उत्तर प्रदेश सरकार इनके साथ छल करती रही ।
इसीलिये हाइकोर्ट ने इस समायोजन को अवैध करार दिया ।
आपका - गणेश शंकर दीक्षित
टीईटी संघर्ष मोर्चा,उ.प्र.
- 22 फरवरी को टेट मेरिट ,एकेडमिक मेरिट और शिक्षामित्र समायोजन पर पूरा दिन सुनवाई होगी
- चाचा शिवपाल ने की अंजना ओम कश्यप के साथ बेहद शर्मनाक हरकत! यहा क्लिक कर देख विडियो!
- 90/105 जैसी बाध्यता सिर्फ 72,825 चयन प्रक्रिया में सामान्य चयन प्रक्रिया के अंतर्गत आने वाले अभ्यर्थियों के लिए : मयंक तिवारी
- 15 वें संसोधन के जीतने के चांस बहुत ही कम
- 72825 केस: 22 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली अहम सुनवाई के संदर्भ में जाने क्या कहते है गणेश दीक्षित
- यदि अगली सरकार बसपा की बनती है तो सभी बीएड/टेट पास अभ्यर्थियों का समायोजन होगा
- शिक्षक भर्ती में टेट अनिवार्य नहीं, फिर से मूर्ख पत्रकारों ने राग अलापा RTI का जाप
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
0 Comments