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शिक्षक भर्ती में उठा नया विवाद

ALLAHABAD: सूबे के अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय के लिए शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया के बीच विवादों का दौर भी शुरू हो गया है। नया मामला चयन प्रक्रिया में टीजीटी 2013 का है।
इसमें उन अभ्यर्थियों का सिलाई विषय की परीक्षा और साक्षात्कार कराया गया, जिनकी अर्हता ही पूरी नहीं है और अब अंतिम परिणाम जारी करने की तैयारी चल रही है। ऐसे में बोर्ड की ओर की कार्यशैली को अभ्यर्थियों ने सवालों के घेरे में डाल दिया है।
अर्हता का भी नहीं रखा ख्याल

अशासकीय कालेजों के लिए शिक्षकों का चयन माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र की ओर से होता है। टीजीटी 2013 सिलाई विषय के लिए आवेदन करते समय दावेदार को इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 के तहत अर्हता होना जरूरी था। इसके लिए आवेदक की अर्हता इंटरमीडिएट सिलाई के साथ उत्तीर्ण हो या फिर सरकार से मान्यता प्राप्त किसी संस्था से दो वर्ष का पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद डिप्लोमा मिला हो। यह निर्देश होने के बाद भी ऐसे हजारों अभ्यर्थियों ने आवेदन किया, जिन्होंने आइटीआइ से एक साल का सिलाई का डिप्लोमा लिया है। इतना ही नहीं 15 दिन, एक माह का सिलाई प्रशिक्षण पाने वाले और फैशन इंस्टीट्यूट से प्रमाणपत्र हासिल करने वालों ने भी दावेदारी की है। अभ्यर्थियों का कहना है कि चयन बोर्ड ने सभी अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र भी जारी कर दिया। उसका परिणाम 15 दिसंबर 2016 को जारी हुआ है। यही नहीं लिखित परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का साक्षात्कार 21 फरवरी 2017 से कराया गया है। चयन बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर जब लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की सूची अपलोड की तो यह खुलासा हुआ कि तमाम के पास मान्य अर्हता ही नहीं है। मसलन, साक्षात्कार के लिए बुलाए गए 40 अभ्यर्थियों में से सिर्फ एक के पास अर्हता है, बाकी के पास एक साल का डिप्लोमा है। पुष्पा वर्मा समेत कई अभ्यर्थियों ने चयन बोर्ड अध्यक्ष हीरालाल गुप्त व सचिव रूबी सिंह से इसकी में शिकायत की है। दोनों अफसरों ने आश्वस्त किया है कि इस प्रकरण की जांच कराएंगे और यदि आरोप सही है कि अभ्यर्थियों के हित में निर्णय लिया जाएगा.
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