शिक्षामित्रों पर विशेष आप सभी लोग इसको पढ़े और अधिक से अधिक शेयर करें : क्रांति स्थल कानपुर से
1:- पहला प्रश्न न्याय व्यवस्था से भरोसा उठा आइए देखते हैं क्यों
👉 शिक्षामित्र याची बना तो सड़कों पर 72825 बने तो कोई दिक्कत नहीं सब सही है जो भी उनमें कमियां थी वह सब सही है क्योंकि वह हाईकोर्ट के कहने पर हुई थी
14 जुलाई 2017 को आखिर ऐसा क्यों
👉 उत्तर प्रदेश में आज से 30 वर्ष पूर्व 40 जिला जजों की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया जिसे जिसे वैधता प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने 20 वा संविधान संशोधन किया
👉 मुंबई की डांस बार बालाओं को सुप्रीम कोर्ट ने रोजी-रोटी वास्ते डांस बार पुनः खोलने का फैसला दिया
👉 अनुभव के आधार पर देश में वकील माननीय न्यायाधीश बन सकते हैं कॉलेजियम सिस्टम से
👉 10 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले पर मोहर लगाते हुए कहा कि जेल में रहते हुए कोई भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता तब सरकार ने इस पर संशोधन लाकर इसे निष्प्रभावी कर दिया
👉 जलीकट्टू खेल जिसमें मनुष्य और जानवरों के बीच में एक बड़े स्तर पर खेल का आयोजन होता था उस पर भी सुप्रीम कोर्ट का सकारात्मक रूप आया।
👉 हाई कोर्ट का यह भी आदेश है जितने भी प्रदेश में सरकारी कर्मचारी IAS PCS जो भी हैं उन सभी के बच्चे प्राथमिक विद्यालयों एवं सरकारी विद्यालयों में पढ़ेंगे क्यों नहीं इस व्यवस्था को लागू किया गया क्या इसे कोर्ट की अवमानना नहीं हुई।
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अब मैं न्यायपालिका से यह पूछना चाहता हूं इन सारी बातों को दृष्टिगत रखते हुए आखिर दोहरे मापदंड क्यों यह दो प्रकार की न्याय व्यवस्था क्यों एक तरफ जहां शिक्षामित्र 17 सालों से विद्यालयात को खोलने से लेकर चुनाव कराने तक का सारा काम शिक्षामित्र करता था जिसने अपनी जिंदगी के अहम दिन आपकी सेवा में लगा दिए और उसका कसूर क्या था जिनका कसूर था उनको वह आपने एक शब्द भी नहीं कहा
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अब UP सरकार और केंद्र सरकार
आदरणीय प्रधानमंत्री जी आपने अपने चुनावी वादे में साफ-साफ शिक्षामित्रों की समस्याओं को अपनी समस्याएं बता कर कहा था हल करने के लिए उसके बाद आपने अपने घोषणापत्र में भी हम शिक्षामित्रों की समस्याओं को रखा और वादा किया था 3 महीने में हल निकालने के लिए कहां गया आप का वादा। एक तरफ आपके प्रवक्ता डिवेट में कहते हैं कि यह सब राजनीतिक पार्टियों द्वारा रचा गया षड़यंत्र था चुनावी वादे थे तो मैं आपसे यह पूछना चाहता हूं जब यह सब पूर्व की सरकारों के द्वारा किया गया चुनावी वादा था तो आपने भी तो अपने घोषणापत्र में हमको रखा आप ही उसको पूरा कीजिए इसके मतलब जिन सरकारों ने अभी तक हमारे साथ राजनीति की उसमें आप भी सम्मिलित हैं कहीं ना कहीं
👉 एक विशेष बात मित्रों आपने देखा होगा जब सुप्रीम कोर्ट में हमारा मामला चल रहा था तो अचानक कुछ समय बाद दीपक मिश्रा जी की बैन्च से हटाकर आदरणीय यू यू ललित एवं गोयल जी की बैंन्च में गया जबकि मिश्रा जी ने हमको स्टे दिया था इसमें भी कुछ ना कुछ षड्यंत्र की बू आ रही है कहीं ना कहीं बिहार में तख्तापलट, जयललिता तमिलनाडु में तख्तापलट आखिर इनकी करनी और कथनी में क्या है क्या नहीं है यह तो ऊपर वाला ही जानता है।
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2:- आखिर उत्तर प्रदेश के 172000 शिक्षामित्र और उनसे जुड़े लगभग 20 लाख परिवार कहां जाएं यह एक सबसे बड़ा मुद्दा
👉 अब तक कुछ बातें स्पष्ट नहीं हुई हम लोगों के विषय में ना ही जजमेंट में देखने को मिला।
👊शिक्षा मित्र को सहायक शिक्षक पद पर समायोजन सरकार ने किया
👊शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर सरकार के सचिव और सरकार ने मिलकर किया सचिव पहले उन्हें बर्खास्त करें ऐसी प्रणाली क्यों लाई।
👊Rte आने के बाद संविदा शिक्षक योग्य नही है तो उन्से पढाई क्यों कराई जा रही है
👊Rte जैसे ही आया तो भाजपा सरकार विपक्ष मे थी क्यों नहीं राज्य सभा मे लोक सभा मे आवाज उठाई संविदा शिक्षक हटाया जाए, भारत के बच्चे का भविष्य बरवाद कर रहे है
👊सर्व शिक्षा अभियान लाया अटल विहारी बाजपेयी , और मुरली मनोहर जोशी, ने कम खर्च पर संविदा शिक्षक तो यह भी दोसी है इनके पास नोटिस भेजे आप ही ने ऐसी प्रणाली लाकर यूपी के शिक्षामित्रों को सड़कों पर ला दिया
👊 संविदा सिर्फ साल भर की होती है लंबी सेवा नही
सरकार संतुष्ट थी इनकी सेवा से फिर अयोग्य कैसे।
👊वही सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट समान काम समान वेतन दो
👊 सुप्रीम कोर्ट ने पहले जजमेंट दिए कि इतनी लंवी सेवा देने वाले को
हटाया नही जा सकता,
उत्तर प्रदेश का जजमेंट राजनीतिक से प्रेरित
जजमेंट दो प्रकार की होती है
सैवंधानिक, और जनहित
न्याय सभी को मिलना चाहिएउत्तर प्रदेश की सरकार किस नियमावली के तहत 10000 दस हजार रुपया शिक्षामित्रो को देगी । इनमे से किस नियमावली के तहत
1 प्रशिक्षित नियमावली
2 न्यूनतम मजदूरी
3 सामान कार्य सामान वेतन
4 सातवे वेतन आयोग की नियुनतम मजदूरी
5 सातवें वेतन आयोग के संविदा या अनुबंध के नियमावली से
6 ESI & PF नियम से
7 कुशल और अकुशल नियमावली से
8 श्रम मंत्रालय की नियमावली से
9 या शोषण करने वाली नियमावली से
मेरे प्यारे भाइयों और बहनों मैं केवल अंत में यही लिखना चाहूंगा कि इस देश में न्याय मांगने से नहीं मिलता है आज फिर यह साबित हो चुका है जिसके लिए हमें महाआंदोलन की जरूरत होगी अपने अंदर खून को खौलाते रहना होगा सड़कों पर उतरना होगा नहीं तो इन 17 वर्षों की तपस्या 2000000 परिवार इनको बेघर होने से कोई नहीं बचा सकता सत्ता के गलियारों में बैठे इन लोगों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है आज यहां हर व्यक्ति को चाणक्य बनना पड़ेगा बनना पड़ेगा
इन्हीं शब्दों के साथ आपना भाई।
त्रिभुवन सिंह
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
1:- पहला प्रश्न न्याय व्यवस्था से भरोसा उठा आइए देखते हैं क्यों
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- शिक्षा मित्र का समायोजन पुनःविचार याचिका दाखिल कर भी बचाया जा सकता है : वरिष्ठ अधिवक्ता पूर्व कानून मंत्री श्री शांति भूषण
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- SHIKSHAMITRA: शिक्षामित्रों को भी सम्मानित पद पर तत्काल समायोजित किया जाए-अनुपम मिश्रा
14 जुलाई 2017 को आखिर ऐसा क्यों
👉 उत्तर प्रदेश में आज से 30 वर्ष पूर्व 40 जिला जजों की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया जिसे जिसे वैधता प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने 20 वा संविधान संशोधन किया
👉 मुंबई की डांस बार बालाओं को सुप्रीम कोर्ट ने रोजी-रोटी वास्ते डांस बार पुनः खोलने का फैसला दिया
👉 अनुभव के आधार पर देश में वकील माननीय न्यायाधीश बन सकते हैं कॉलेजियम सिस्टम से
👉 10 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले पर मोहर लगाते हुए कहा कि जेल में रहते हुए कोई भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता तब सरकार ने इस पर संशोधन लाकर इसे निष्प्रभावी कर दिया
👉 जलीकट्टू खेल जिसमें मनुष्य और जानवरों के बीच में एक बड़े स्तर पर खेल का आयोजन होता था उस पर भी सुप्रीम कोर्ट का सकारात्मक रूप आया।
👉 हाई कोर्ट का यह भी आदेश है जितने भी प्रदेश में सरकारी कर्मचारी IAS PCS जो भी हैं उन सभी के बच्चे प्राथमिक विद्यालयों एवं सरकारी विद्यालयों में पढ़ेंगे क्यों नहीं इस व्यवस्था को लागू किया गया क्या इसे कोर्ट की अवमानना नहीं हुई।
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अब मैं न्यायपालिका से यह पूछना चाहता हूं इन सारी बातों को दृष्टिगत रखते हुए आखिर दोहरे मापदंड क्यों यह दो प्रकार की न्याय व्यवस्था क्यों एक तरफ जहां शिक्षामित्र 17 सालों से विद्यालयात को खोलने से लेकर चुनाव कराने तक का सारा काम शिक्षामित्र करता था जिसने अपनी जिंदगी के अहम दिन आपकी सेवा में लगा दिए और उसका कसूर क्या था जिनका कसूर था उनको वह आपने एक शब्द भी नहीं कहा
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अब UP सरकार और केंद्र सरकार
आदरणीय प्रधानमंत्री जी आपने अपने चुनावी वादे में साफ-साफ शिक्षामित्रों की समस्याओं को अपनी समस्याएं बता कर कहा था हल करने के लिए उसके बाद आपने अपने घोषणापत्र में भी हम शिक्षामित्रों की समस्याओं को रखा और वादा किया था 3 महीने में हल निकालने के लिए कहां गया आप का वादा। एक तरफ आपके प्रवक्ता डिवेट में कहते हैं कि यह सब राजनीतिक पार्टियों द्वारा रचा गया षड़यंत्र था चुनावी वादे थे तो मैं आपसे यह पूछना चाहता हूं जब यह सब पूर्व की सरकारों के द्वारा किया गया चुनावी वादा था तो आपने भी तो अपने घोषणापत्र में हमको रखा आप ही उसको पूरा कीजिए इसके मतलब जिन सरकारों ने अभी तक हमारे साथ राजनीति की उसमें आप भी सम्मिलित हैं कहीं ना कहीं
👉 एक विशेष बात मित्रों आपने देखा होगा जब सुप्रीम कोर्ट में हमारा मामला चल रहा था तो अचानक कुछ समय बाद दीपक मिश्रा जी की बैन्च से हटाकर आदरणीय यू यू ललित एवं गोयल जी की बैंन्च में गया जबकि मिश्रा जी ने हमको स्टे दिया था इसमें भी कुछ ना कुछ षड्यंत्र की बू आ रही है कहीं ना कहीं बिहार में तख्तापलट, जयललिता तमिलनाडु में तख्तापलट आखिर इनकी करनी और कथनी में क्या है क्या नहीं है यह तो ऊपर वाला ही जानता है।
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2:- आखिर उत्तर प्रदेश के 172000 शिक्षामित्र और उनसे जुड़े लगभग 20 लाख परिवार कहां जाएं यह एक सबसे बड़ा मुद्दा
👉 अब तक कुछ बातें स्पष्ट नहीं हुई हम लोगों के विषय में ना ही जजमेंट में देखने को मिला।
👊शिक्षा मित्र को सहायक शिक्षक पद पर समायोजन सरकार ने किया
👊शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर सरकार के सचिव और सरकार ने मिलकर किया सचिव पहले उन्हें बर्खास्त करें ऐसी प्रणाली क्यों लाई।
👊Rte आने के बाद संविदा शिक्षक योग्य नही है तो उन्से पढाई क्यों कराई जा रही है
👊Rte जैसे ही आया तो भाजपा सरकार विपक्ष मे थी क्यों नहीं राज्य सभा मे लोक सभा मे आवाज उठाई संविदा शिक्षक हटाया जाए, भारत के बच्चे का भविष्य बरवाद कर रहे है
👊सर्व शिक्षा अभियान लाया अटल विहारी बाजपेयी , और मुरली मनोहर जोशी, ने कम खर्च पर संविदा शिक्षक तो यह भी दोसी है इनके पास नोटिस भेजे आप ही ने ऐसी प्रणाली लाकर यूपी के शिक्षामित्रों को सड़कों पर ला दिया
👊 संविदा सिर्फ साल भर की होती है लंबी सेवा नही
सरकार संतुष्ट थी इनकी सेवा से फिर अयोग्य कैसे।
👊वही सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट समान काम समान वेतन दो
👊 सुप्रीम कोर्ट ने पहले जजमेंट दिए कि इतनी लंवी सेवा देने वाले को
हटाया नही जा सकता,
उत्तर प्रदेश का जजमेंट राजनीतिक से प्रेरित
जजमेंट दो प्रकार की होती है
सैवंधानिक, और जनहित
न्याय सभी को मिलना चाहिएउत्तर प्रदेश की सरकार किस नियमावली के तहत 10000 दस हजार रुपया शिक्षामित्रो को देगी । इनमे से किस नियमावली के तहत
1 प्रशिक्षित नियमावली
2 न्यूनतम मजदूरी
3 सामान कार्य सामान वेतन
4 सातवे वेतन आयोग की नियुनतम मजदूरी
5 सातवें वेतन आयोग के संविदा या अनुबंध के नियमावली से
6 ESI & PF नियम से
7 कुशल और अकुशल नियमावली से
8 श्रम मंत्रालय की नियमावली से
9 या शोषण करने वाली नियमावली से
मेरे प्यारे भाइयों और बहनों मैं केवल अंत में यही लिखना चाहूंगा कि इस देश में न्याय मांगने से नहीं मिलता है आज फिर यह साबित हो चुका है जिसके लिए हमें महाआंदोलन की जरूरत होगी अपने अंदर खून को खौलाते रहना होगा सड़कों पर उतरना होगा नहीं तो इन 17 वर्षों की तपस्या 2000000 परिवार इनको बेघर होने से कोई नहीं बचा सकता सत्ता के गलियारों में बैठे इन लोगों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है आज यहां हर व्यक्ति को चाणक्य बनना पड़ेगा बनना पड़ेगा
इन्हीं शब्दों के साथ आपना भाई।
त्रिभुवन सिंह
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