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विलय से नहीं धुलेंगे शिक्षक भर्तियों में भ्रष्टाचार के दाग: उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, माध्यमिक सेवा चयन बोर्ड के विलय का मामला

इलाहाबाद : शिक्षक भर्ती के दो आयोगों का विलय होने से अध्यक्ष व सदस्य लगभग किनारे हो रहे हैं। नया आयोग भी आकार लेने की तैयारी में है लेकिन, इतने भर से ही खुश नहीं हुआ जा सकता, क्योंकि दोनों आयोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं।
उनकी जांच होगी, नहीं होगी या फिर कैसे होगी यह सवाल अनुत्तरित हैं। प्रतियोगी पूछने लगे हैं कि विलय होने मात्र से भ्रष्टाचार के दाग धुल जाएंगे? या सरकार उप्र लोकसेवा आयोग की तरह इन आयोगों के किए धरे की भी जांच कराएगी। 1प्रदेश के अशासकीय महाविद्यालयों और माध्यमिक कालेजों में प्राचार्य, प्रवक्ता व स्नातक शिक्षकों का चयन करने वाले उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग व माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का विलय होने जा रहा है। दोनों आयोगों में कई समानताएं हैं, पिछले एक वर्ष में दोनों जगहों पर लंबे समय बाद अभ्यर्थियों का चयन हुआ। इसमें एक जैसी गड़बड़ियों के आरोप दोनों आयोगों पर हैं। जिस तरह से उप्र लोकसेवा आयोग में भ्रष्टाचार आरक्षण नियमावली में उल्लंघन के बाद उजागर हुआ वैसी ही गलतियां इन आयोगों में दोहराई गईं। अलग-अलग वर्गो के अभ्यर्थियों को अलग-अलग संख्या में साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। मसलन उच्चतर के इतिहास विषय में पदों के सापेक्ष ओबीसी में 66 गुना तो सामान्य वर्ग में महज चार गुना अभ्यर्थी इंटरव्यू में बुलाए गए। तमाम विषयों में ओवरलैपिंग करने का भी आरोप है। यही नहीं उच्चतर में कई विषयों का इंटरव्यू एक सदस्य या फिर अध्यक्ष ने लेकर चयन कर लिया, वहीं चयन बोर्ड में साक्षात्कार का कोरम पूरा होने पर प्रक्रिया चली, लेकिन अंक देने में मनमानी हुई। जिन अभ्यर्थियों से सदस्य प्रभावित थे उन्हें 45 या फिर उससे अधिक अंक दिए गए, वहीं अन्य को 20 से 25 तक ही अंक मिले। 1दोनों आयोगों में प्रश्नों के गलत उत्तर के मामले बहुतायत में सामने आए। इससे साक्षात्कार के बाद तक परिणाम रिवाइज होते रहे। तमाम प्रकरणों ने हाईकोर्ट और शीर्ष कोर्ट के निर्देश पर परिणाम को बदला गया। स्नातक शिक्षक 2013 में शारीरिक शिक्षक का प्रकरण अब तक सुलझ नहीं सका है। ऐसे ही वोट देना कैसा अधिकार है का जवाब विवादित है। 1इस पर सरकार से भी जवाब मांगा गया है। परीक्षा केंद्रों पर नकल, पेपर लीक और नजराना लेने के मामलों की दोनों जगहों पर समान रूप से शिकायतें हुई हैं। उच्चतर में चयन की शिकायतें पीएमओ तक पहुंची हैं तो माध्यमिक शिक्षकों के चयन में गड़बड़ी की प्रदेश सरकार को पत्र भेजे गए हैं। दोनों आयोगों में इधर चार माह से कार्य ठप होने से सरकार की ओर से कहा गया कि वहां के कार्य की समीक्षा हो रही है, लेकिन अब तक भर्तियों में जांच का कोई निर्देश जारी नहीं हुआ है।

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