अब होगा इनकम टैक्स में सुधार: मध्यवर्ग व उद्योग जगत को टैक्स में मिल सकती है सीधे राहत

नई दिल्ली: वर्षो से लंबित जीएसटी को लागू कर देश की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में ऐतिहासिक परिवर्तन करने के बाद मोदी सरकार अब प्रत्यक्ष कर ढांचे में सुधार की दिशा में बढ़ रही है। इसके तहत सरकार नया आयकर कानून बनाने जा रही है। इस संबंध केंद्र ने एक टास्क फोर्स गठित की है।
यह 56 साल पुराने आयकर कानून की समीक्षा करेगी। इसके आधार पर एक नए प्रत्यक्ष कर कानून का मसौदा तैयार करेगी। नए कानून में मध्यवर्ग और उद्योग जगत को टैक्स में सीधे राहत देकर मांग व निवेश बढ़ाने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।1मौजूदा आयकर कानून 1961 में बना था। अब तक इसमें कई संशोधन हो चुके हैं। यही वजह है कि पीएम मोदी ने इस साल 1-2 सितंबर को नई दिल्ली में शीर्ष कर अधिकरियों के ‘राजस्व ज्ञान संगम’ में मौजूदा आयकर कानून की समीक्षा कर इसका मसौदा फिर से तैयार करने की जरूरत पर बल दिया था। एक जुलाई को जीएसटी के शुभारंभ के मौके पर प्रधानमंत्री ने संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में स्पष्ट संकेत दिया था कि जीएसटी के बाद उनकी सरकार का लक्ष्य आयकर कानून में सुधार करना है। 2014 में सत्ता में आने से पूर्व भाजपा ने ‘टैक्स टेररिज्म’ से मुक्ति दिलाने का वादा भी किया था। इसी पृष्ठभूमि में ही सरकार ने यह टास्क फोर्स गठित की है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य (विधायी) अरविंद मोदी के नेतृत्व वाली यह छह सदस्यीय टास्क फोर्स विभिन्न देशों में प्रचलित प्रत्यक्ष कर प्रणालियों और सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय पद्धतियों का अध्ययन करेगी। इसके आधार पर देश की आर्थिक जरूरतों के हिसाब से उपयुक्त प्रत्यक्ष कर कानून का मसौदा तैयार करेगी। टास्क फोर्स छह माह में अपनी रिपोर्ट सीबीडीटी को सौंपेगी। इस स्थिति में सरकार अगले आम चुनाव में जाने से पूर्व प्रत्यक्ष कर कानून में बदलाव की घोषणा कर सकती है।

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