Advertisement

अप्रशिक्षित अध्यापकों को हटाने के आदेश पर कोर्ट का जवाब-तलब: हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से 18 दिसंबर तक मांगा जवाब

इलाहाबाद: प्रदेश के अशासकीय सहायता और मान्यता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में 12 जून 2008 से पहले से नियुक्त अप्रशिक्षित अध्यापकों को 31 मार्च 2019 के बाद हटाने के आदेश की वैधता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
इस याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से 18 दिसंबर तक हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि जवाब दाखिल न करने पर सचिव स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग भारत सरकार हाजिर हों।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले तथा न्यायमूर्ति एमके गुप्ता की खंडपीठ ने उप्र बेसिक शिक्षक संघ की जनहित याचिका पर दिया है। भारत सरकार की तरफ से अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी ने पक्ष रखा। 1केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को 31 मार्च 2019 के बाद अप्रशिक्षित अध्यापकों को अयोग्य घोषित कर सेवा से हटाने का निर्देश दिया है।
याचिका में दूरस्थ शिक्षा योजना के तहत अध्यापकों को प्रशिक्षण देने की अनुमति मांगी गई है। याची का कहना है कि प्राइमरी टीचरों को दूरस्थ शिक्षा योजना का लाभ दिया गया है और जूनियर हाईस्कूल के अध्यापकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार से याचिका पर जवाब मांगा था लेकिन, जवाब दाखिल नहीं किया गया। राज्य सरकार का कहना है कि योजना केंद्र सरकार की है। उसी को निर्णय लेने का अधिकार है। इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। सुनवाई 18 दिसंबर को होगी।


sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

UPTET news