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TET की टीस: राज्‍यों की मोटी कमाई, लुट रहे परीक्षार्थी

एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक और भारतीय शिक्षाविद् जेएस राजपूत का कहना है कि उन्‍हें यह जानकर अचंभा हो रहा है कि सभी राज्‍यों में टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्‍ट (TET) के आवेदन की फीस अलग-अलग है. उनका कहना है कि बेरोजगार युवाओं से इतनी मोटी फीस लेना सरासर गलत है.
शिक्षक बनने के लिए बीएड के बाद इतनी मोटी फीस जमा कराकर पात्रता परीक्षा के बाद भी कोई गारंटी नहीं कि स्‍कूल में शिक्षक की नौकरी मिल ही जाएगी.

इन राज्‍यों में इतनी है TET के लिए आवेदन फीस

राज्‍य/परीक्षा              एप्‍लीकेशन-फी

C-TET                      300-1000 रुपये

हरियाणा TET            500-2400 रुपये

पंजाब TET                600-1200 रुपये

एमपी TET                1300+50 रुपये

यूपी TET                   200-400 रुपये

केरल TET                250-500 रुपये

उत्‍तराखंड TET         300-1000 रुपये

राजस्‍थान TET          250-800 रुपये

(ऊपर दी गई तालिका में फीस SC/ST/OBC/General सभी श्रेणियों, एक- तीन स्‍तरीय परीक्षा के लिए, न्‍यूनतम और अधिकतम दर्शाई गई है. )


देशभर के स्‍कूलों में शिक्षकों की कमी है. स्‍कूलों में टीचर नियुक्त करने की मांग को लेकर राज्‍यों में प्रदर्शन होते रहे हैं.


शिक्षाविद राजपूत का कहना है कि सभी राज्‍यों को फीस निर्धारित करने का अधिकार है,  लेकिन एमपी में 1350, हरियाणा में 2400 और सीटैट की 1000 रुपये फीस किसी भी तरीके से ठीक नहीं कही जा सकती. या तो इस परीक्षा के लिए कम से कम फीस निर्धारित हो या फिर इस परीक्षा को नि:शुल्‍क किया जाए और इसका खर्च राज्‍य सरकारें उठाएं. उनका मानना है कि छात्रों से इस क्‍वालिफाइंग परीक्षा के लिए कोई फीस नहीं ली जानी चाहिए.

बीएड और टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्‍ट पास करने के बावजूद सरकारी स्‍कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकी है और छात्र ही स्‍कूलों में कक्षाएं लेते हैं.


राजपूत कहते हैं कि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE)को सभी अधिकार प्राप्‍त हैं और वह निर्देश जारी कर इसपर रोक लगा सकती है. एनसीटीई को चाहिए कि इस मुद्दे पर सभी राज्‍य सरकारों से बात करे और एक फीस को लेकर दिशानिर्दश तय करे. एनसीटीई का उत्‍तरदायित्‍व है कि शिक्षा को इस व्‍यवसायीकरण से बचाए. NCTE को जल्‍द से जल्‍द इस मामले को सभी राज्‍यों के सामने रखना चाहिए और फीस को कम से कम करना चाहिए.

बीएड करने और टीईटी क्‍वालिफाई करने के बाद भी शिक्षकों को नौकरी के लिए सालों इंतजार करना पड़ता है.


वहीं द इंडियन स्‍कूल दिल्‍ली की वाइस प्रिंसीपल और एजुकेशनिस्‍ट सुखमीन चीमा का कहना है कि देशभर में टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्‍ट सिर्फ ए‍क होना चाहिए. नेट-जेआरएफ परीक्षा की तरह देशभर में एक टीईटी होना चा‍हिए. इसकी फीस भी सभी राज्‍यों में एक ही होनी चाहिए. सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करना चाहिए. ताकि बीएड पास युवा नौकरी के लिए न भटकें और उन्‍हें अलग-अलग राज्‍यों के टीईटी पास करने को मजबूर न होना पड़े.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (GETTY)


उन्‍होंने कहा कि बेहद अजीब है कि यहां केंद्र के सीटीईटी से ज्‍यादा राज्‍यों के टीईटी की फीस है. वहीं एक राज्‍य का टीईटी पास कर चुका आवेदक अन्‍य राज्‍य में भी आवेदन नहीं डाल सकता है. अलग-अलग राज्‍यों में अलग-अलग परीक्षा, फीस और प्रोसेस के चलते छात्र इन परीक्षाओं में घूमते रहते हैं और रोजगार से वंचित रहते हैं. सीटीईटी या राज्‍य-टीईटी अगर जरूरी ही हैं तो सेंट्रलाइज्‍ड परीक्षा हो.

सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाती महिला टीचर


अतुल कोठारी कहते हैं कि फीस राज्‍य सरकारों के लिए कमाई का साधन नहीं होना चाहिए. न केवल टीईटी में ही बल्कि कई अन्‍य परीक्षाओं में भी भारी फीस वसूली जाती है जो गलत है. 2002 में सुप्रीम कोर्ट के प्रोफेशनल एजुकेशन के एक आदेश में कहा था कि फी स्‍ट्रक्‍चर के लिए गाइडलाइन होनी चाहिए. ऐसी ही गाइडलाइन टीईटी के लिए भी होनी चाहिए.

हर साल परीक्षा में बैठते हैं लाखों परीक्षार्थी

विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी राज्‍य की परीक्षा में एक बार में लाखों अभ्‍यर्थी बैठते हैं. 2017 में अकेले यूपी की ही टीईटी परीक्षा में नौ लाख से ज्‍यादा छात्रों ने आवेदन किया था. पंजाब, एमपी, राजस्‍थान और हरियाणा में भी 10 लाख से ऊपर अभ्‍यर्थी बैठते हैं. ऐसे में मोटी फीस के कारण राज्‍य सरकारें तो पैसा कमाती हैं, लेकिन अभ्‍यर्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं भर्तियां न निकालने से शिक्षकों के पद खाली हैं और युवा बेरोजगार भटक रहे हैं.
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