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अलविदा 2017-)बीत गया एक और साल, शिक्षा अब भी है बदहाल

जागरण संवाददाता, हापुड़ :ऐसा नहीं है कि शिक्षा को बेहतर मुकाम दिलाने के लिए शासन ने कोई कसर छोड़ी हो, लेकिन योजनाओं और निर्देशों पर सही तरह से अमल नहीं हो सका। इसके बावजूद जिले की प्राथमिक और उच्च शिक्षा में काफी सुधार हुआ है। दूसरे जिलों से आए प्राथमिक शिक्षकों के कारण शिक्षकों की भरमार है।

सुधार के लिए शासन ने ताबड़तोड़ आदेश जारी किए। इससे कुछ सुधार नजर आया। डीआइओएस और बीएसए कार्यालय इस साल भी बन नहीं पाए हैं। उच्च शिक्षा में कोई बदलाव नहीं आया। जितनी उम्मीद शिक्षा में सुधार को लेकर वर्ष 2017 से थी, उतनी पूरी नहीं हो सकी।
जिले में वर्तमान में 72262 नामांकित बच्चों को प्रतिदिन मिड-डे मील परोसा जाता रहा है। इन्हें वर्ष 2016 में फल भी दिए जाते थे, जो इस साल वितरित नहीं हो सके। मिड-डे मील में शिकायतों का सिलसिला अब भी जारी है। वर्तमान में जिले में परिषद के 427 प्राथमिक व 207 जूनियर स्कूल हैं। आज 1900 शिक्षक प्राइमरी और लगभग 800 शिक्षक जूनियर विद्यालयों में कार्यरत हैं। 250 नए शिक्षक बेसिक शिक्षा परिषद को इस वर्ष मिले हैं। दो सौ परिषदीय विद्यालयों को मॉडल स्कूल बनाने की घोषणा की गई है। 31 दिसंबर तक इन्हें बना दिया जाएगा। शिक्षामित्रों का आंदोलन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निराशा में डूब गया। समायोजन से वंचित शिक्षामित्रों में दस हजार रुपये मिलने की खुशी के साथ ही सभी शिक्षक बने शिक्षामित्रों के वापस शिक्षामित्र बनने की खुशी छाई रही। जबकि समायोजित शिक्षामित्रों में वापस शिक्षामित्र बनने पर निराशा बनी रही। टीईटी 2011 उत्तीर्ण आवेदकों को भी सुप्रीम कोर्ट से कड़ा झटका लगा और गेंद सरकार के पाले में डाल दी गई।
माध्यमिक शिक्षा में पांच नए विद्यालयों की स्थापना को हरी झंडी दी गई। इसमें ग्राम सिखैड़ा, डिबाई, पटना और मुर्शदपुर में इंटर कालेज बन चुके है। जबकि हिमायुपुर में निर्माणधीन है। जिले के 106 इंटर कालेजों में करीब 75 हजार छात्र एव छात्राएं अध्ययनरत हैं। बावजूद इसके जिले में इंटर कालेजों की संख्या कम है। राजकीय पुस्तकालय की स्थापना नगरपालिका परिसर स्थित परिषदीय विद्यालय में कर दी गई है, जबकि नवोदय विद्यालय के लिए भूमि चिह्नित करके प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। पिलखुवा में 3 मेडिकल कालेज और एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी मोनाड विश्वविद्यालय भी उच्च शिक्षा को बेहतर मुकाम दिलाने में कार्यरत हैं। यूपी बोर्ड की परीक्षा नकलविहीन कराने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। सीसीटीवी कैमरों से लेकर तमाम जरूरी कार्य किए गए हैं।
जिले की माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। शासन की तमाम योजनाओं का लाभ छात्र छात्राओं को पहुंचाया जाता है। राजकीय पुस्तकालय की स्थापना की जा चुकी है। नवोदय विद्यालय की भूमि को चिह्नित कर मंजूरी के लिए शासन को भेज दिया गया है।
-गजेंद्र कुमार, डीआईओएस
प्राथमिक शिक्षा में सुधार के लिए लगातार स्कूलों का औचक निरीक्षण किया जाता है। अनेक शिक्षकों पर लापरवाही बरतने में कार्रवाई की गई है। प्राथमिक शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
-देवेंद्र गुप्ता, बीएसए
वर्ष भर के घटनाक्रम
-ग्राम टियाला स्थित प्राथमिक विद्यालय ने आसपास के जिलों में भी खूब नाम कमाया तथा दूसरे विद्यालयों के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया। इसमें प्रवेश के लिए अभिभावकों में होड़ मची रहती है।
-नई ड्रेस का वितरण तो किया गया, लेकिन जूते मोजे जिले में पहुंचने के बाद अभी तक वितरित नहीं हो सके हैं। वहीं स्वेटर का भी बच्चे सर्दी बढ़ने के साथ इंतजार कर रहे हैं।
-शिक्षामित्रों का धरना लगातार कई दिन तक बीएसए कार्यालय पर दिया गया। इस दौरान शहर भर में जुलूस निकाला गया।
-जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के शिक्षकों को छह माह से वेतन नहीं मिला। एक दिन की हड़ताल और एक दिन काली पट्टी बांधकर विरोध जताया।
- जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान ने उन शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया। जो सालों से विद्यालय में पढ़ा रहे थे, लेकिन उन्होंने बीटीसी नहीं की हुई थी।
- नवोदय विद्यालय का अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है। इसकी स्थापना से जनपद के छात्रों को लाभ होगा।
-सर्वशिक्षा अभियान, पर्यावरण, सामाजिक विषय के लिए सालभर में माह दर माह प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन डायट में किया गया। इन शिविरों में बारह सौ से ज्यादा शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया।
-प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों का गायब रहना आम बात रही। कई स्कूलों के शिक्षकों पर इस दौरान कार्रवाई हुई, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ।

- शिक्षक साल भर प्रमोशन का इंतजार करते रहे, लेकिन कभी विधानसभा चुनाव तो कभी निकाय चुनाव के कारण आचार संहिता लगने से प्रमोशन लटके हुए हैं।
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