पदेन सदस्यों के भरोसे चल रहा यूपी बोर्ड: प्रदेश सरकार ने नए सदस्यों का अब तक मनोनयन नहीं किया

इलाहाबाद : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं सिर पर आ गई हैं। इस दौरान बोर्ड तरह-तरह के नए नियम-निर्देश तय कर रहा है, लेकिन बोर्ड में आधे से अधिक सदस्य ही नहीं हैं। सिर्फ पदेन सदस्यों यानी अफसरों के जरिये जैसे-तैसे व्यवस्था संचालित है।
गठित बोर्ड के नाम पर सिर्फ खानापूरी हो रही है, सारे निर्देश शासन व सभापति के स्तर पर ही हो रहे हैं।

माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड के मनोनीत 14 सदस्यों का कार्यकाल 29 अगस्त को पूरा हो चुका है, उनकी जगह पर अब तक किसी की नियुक्ति नहीं हुई है। यह कार्य सरकार को करना है। हालांकि बोर्ड ने शासन को चार महीने पहले ही इससे अवगत करा दिया है। 14 सदस्यों में मेडिकल, तकनीकी, कृषि, प्रधानाचार्य, शिक्षक, जिला विद्यालय निरीक्षक, संयुक्त शिक्षा निदेशक व अधिवक्ता क्षेत्र में कार्य करने वालों को तैनाती मिलनी है। इसके अलावा बोर्ड में पदेन सदस्यों के रूप में 11 अधिकारी भी हैं, जो शिक्षा विभाग में ही अलग-अलग पदों पर तैनात हैं। वर्षो में बोर्ड की बैठकों के नाम पर भी खानापूरी हुई है। साल में एक बैठक अनिवार्य रूप से हो रही है, बाकी कार्य सचिव व सभापति के अनुमोदन से शासन कर रहा है। यही नहीं बोर्ड के कार्यो से जुड़े तमाम अहम निर्णय इन दिनों शासन ही कर रहा है।
बैठकों का कार्यवृत्त तक नहीं आ रहा : बोर्ड के अफसरों की तमाम बैठकें शासन स्तर पर भी होती रहती हैं, लेकिन इधर कई बैठकों का कार्यवृत्त तक शासन से बोर्ड को नहीं भेजा जा रहा है। ऐसे में वहां हुए निर्णय को लागू कराने के लिए अलग से पत्र भेजकर कार्यवृत्त मांगे जाने की परंपरा शुरू हो गई है, जबकि पहले हर बैठक का मिनट टू मिनट भेजा जाता था, उसी के आधार पर अगली रणनीति बनती रही है।’>>मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल 29 अगस्त को हो चुका खत्म 1’>>प्रदेश सरकार ने नए सदस्यों का अब तक मनोनयन नहीं किया

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