इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी चयन प्रक्रिया में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को लाभ देने के उद्देश्य से कटऑफ मेरिट को घटाया नहीं जा सकता।
कहा कि आरक्षित वर्ग के असफल अभ्यर्थी की ओर से यह मांग करना कि आरक्षित वर्ग में कोटा अभी शेष है इस आधार पर कटऑफ मेरिट को कम किया जाए, उसकी यह मांग गलत है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने यूपी जल निगम में जूनियर इंजीनियर सिविल की परीक्षा में शामिल होने के बाद असफल हुए अभ्यर्थी भुवनेश पचौरी की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। 1याची स्वतंत्रता सेनानी आश्रित कोटे में नौकरी के लिए भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुआ था। असफल होने पर उसने चयन सूची को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याची ने यह मांग की थी कि कटऑफ मेरिट को नीचे लाया जाए, ताकि शेष आरक्षित श्रेणी के बचे पदों को भरा जा सके। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि जब एक बार याची चयन प्रक्रिया में शामिल हो गया तो असफल होने पर उसे चयन प्रक्रिया की शर्तो को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। 1याची ने तीन अक्टूबर 2013 के विज्ञापन के आधार पर यूपी जल निगम में अवर अभियंता पद पर नौकरी के लिए आवेदन किया था। याची की श्रेणी के केवल पांच अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने पर साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया गया। याची का तर्क था कि कुल 469 पदों के सापेक्ष स्वतंत्रता सेनानी का दो फीसद पद कुल नौ होता है। इसमें केवल पांच पदों पर ही साक्षात्कार के बाद नियुक्ति दी गई। यदि कटऑफ मेरिट नीचे कर दी जाए तो उसका भी चयन हो जाएगा। कोर्ट ने याची की दलील को अस्वीकार कर याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि आरक्षित वर्ग के किसी अभ्यर्थी को चयन में शामिल करने के लिए कटऑफ मेरिट को कम नहीं किया जा सकता।’>>हाईकोर्ट ने खारिज की जल निगम में जेई परीक्षा के असफल अभ्यर्थी की याचिका1’>>असफल अभ्यर्थी को चयन प्रक्रिया की शर्तो को चुनौती देने का अधिकार नहीं
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कहा कि आरक्षित वर्ग के असफल अभ्यर्थी की ओर से यह मांग करना कि आरक्षित वर्ग में कोटा अभी शेष है इस आधार पर कटऑफ मेरिट को कम किया जाए, उसकी यह मांग गलत है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने यूपी जल निगम में जूनियर इंजीनियर सिविल की परीक्षा में शामिल होने के बाद असफल हुए अभ्यर्थी भुवनेश पचौरी की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। 1याची स्वतंत्रता सेनानी आश्रित कोटे में नौकरी के लिए भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुआ था। असफल होने पर उसने चयन सूची को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याची ने यह मांग की थी कि कटऑफ मेरिट को नीचे लाया जाए, ताकि शेष आरक्षित श्रेणी के बचे पदों को भरा जा सके। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि जब एक बार याची चयन प्रक्रिया में शामिल हो गया तो असफल होने पर उसे चयन प्रक्रिया की शर्तो को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। 1याची ने तीन अक्टूबर 2013 के विज्ञापन के आधार पर यूपी जल निगम में अवर अभियंता पद पर नौकरी के लिए आवेदन किया था। याची की श्रेणी के केवल पांच अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने पर साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया गया। याची का तर्क था कि कुल 469 पदों के सापेक्ष स्वतंत्रता सेनानी का दो फीसद पद कुल नौ होता है। इसमें केवल पांच पदों पर ही साक्षात्कार के बाद नियुक्ति दी गई। यदि कटऑफ मेरिट नीचे कर दी जाए तो उसका भी चयन हो जाएगा। कोर्ट ने याची की दलील को अस्वीकार कर याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि आरक्षित वर्ग के किसी अभ्यर्थी को चयन में शामिल करने के लिए कटऑफ मेरिट को कम नहीं किया जा सकता।’>>हाईकोर्ट ने खारिज की जल निगम में जेई परीक्षा के असफल अभ्यर्थी की याचिका1’>>असफल अभ्यर्थी को चयन प्रक्रिया की शर्तो को चुनौती देने का अधिकार नहीं
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