शिक्षक भर्ती के इंतजार में बीता एक और साल

गोरखपुर :
गर्व के पल :

- विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो. एसके सेनगुप्ता और पूर्व अधिष्ठाता प्रो. एचएस शुक्ला को 'शिक्षक श्री' सम्मान ।
- प्रो. हरिशरण और प्रो.हर्ष कुमार सिन्हा की पुस्तक '¨हद महासागर चुनौतियां एवं विकल्प' को रक्षा मंत्रालय से सर्वश्रेष्ठ लेखन का प्रथम पुरस्कार।
- ¨हदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. चित्तरंजन मिश्र, पूर्व अध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र दुबे साहित्य अकादमी की आम सभा के सदस्य नामित।
- ¨हदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सदानंद गुप्त उत्तर प्रदेश ¨हदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त।
- अखिल भारतीय दर्शन शास्त्र परिषद ने पूर्व विभागाध्यक्ष संस्कृत प्रो. मुरली मनोहर पाठक को स्वामी प्रणवानंद दर्शन पुरस्कार से नवाजा।
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झलकियां : 2017
- शोध कार्य के लिए बाटनिकल सर्वे आफ इंडिया और नेशनल बाटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ विश्वविद्यालय का मेमोरेंडम आफ अंडरस्टेंडिंग पर हस्ताक्षर हुआ।
- पं. दीनदयाल की प्रतिमा स्थापना का इंतजार पूरा हुआ।
- प्राणि विज्ञान विभाग में पहला पुरातन छात्र सम्मेलन का आयोजन
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फैसले जिनका होगा दूरगामी असर
- नए सत्र से विश्वविद्यालय-महाविद्यालय में प्रवेश अब साझा प्रवेश परीक्षा के जरिए होगा।
- विश्वविद्यालय में स्वकेंद्र परीक्षा प्रणाली समाप्त।
- गुरु श्री गोरक्षनाथ शोध पीठ की स्थापना को मिली हरी झंडी।
- पं. दीनदयाल शोध पीठ में शासन ने ली रुचि। जल्द शुरू होगा केंद्र
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विवाद-कसक जो सालते रहेंगे:
- छात्रसंघ चुनाव स्थगित होने से विद्यार्थियों का बवाल। पुलिस कार्रवाई में दो दर्जन से अधिक छात्र।
- स्ववित्तपोषित कालेजों में शिक्षक अनुमोदन की प्रक्रिया अधूरी रह गई।
- लोकार्पित के बाद भी पूर्वाचल संग्रहालय और विज्ञान संग्रहालय का संचालन शुरू नहीं हो सका।
- केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा पाने का आंदोलन ठंडा पड़ा।
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जागरण संवाददाता, गोरखपुर : 'शिक्षक भर्ती इस वर्ष पूरी हो जाएगी'। कभी संकल्प के रूप में कही जाने वाली यह उक्ति दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में अब नीरस नारे का रूप ले चुकी है। पिछले कई वर्ष से साल की शुरुआत और अंत में यह नारा दोहराया जाता रहा है, अफसोस कि इस वर्ष भी यह क्रम नहीं टूट रहा। साल 2017 भी इसी इंतजार में गुजर गया कि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। कभी कोर्ट-कचहरी में विवादों के कारण तो कभी शासन की उपेक्षापूर्ण नीति के चलते, हर बार शिक्षक भर्ती का विज्ञापन आवेदकों के लिए एक छलावा बन कर उभरे हैं। इस वर्ष एक बार फिर इस साल रिक्त पदों पर चयन के लिए विज्ञापन जारी कर आवेदन मंगाए गए हैं। आवेदनों का होगा क्या, यह आने वाला साल बताएगा।
बंद हो रहे हैं कोर्स : दो वर्ष पहले शिक्षकों की कमी से ही ज्यादातर वित्तपोषित कालेजों में बीएड की पढ़ाई ठप हो गई थी। हालांकि बाद में कोर्स तो चला लेकिन नियुक्तियों का इंतजार अब तक जारी है। विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग में मात्र एक ही शिक्षक शेष बचे हैं, तो विज्ञान संकाय में कई विषयों की पढ़ाई ठप सी हो गई है।
तृतीय श्रेणी की नियुक्तियों पर रोक बरकरार : नई सरकार के गठन के बाद इस वर्ष यह उम्मीद जगी थी कि विश्वविद्यालयों में तृतीय श्रेणी पदों की सीधी भर्ती पर लगी रोक समाप्त हो जाएगी, लेकिन ऐसा हो न सका। महाविद्यालयों को छोड़ भी दें तो अकेले विश्वविद्यालय में 150 के करीब पद तृतीय श्रेणी के रिक्त हैं। परीक्षा का गोपनीय काम भी निजी एजेंसी के कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है।
बाक्स - गोरक्षनाथ स्वर्ण पदक ने खोली शोध गुणवत्ता की पोल

विश्वविद्यालय में शोध कार्यो की गुणवत्ता का अंदाजा इस घटना से ही लगाया जा सकता है कि 36वें दीक्षा समारोह में जब विशिष्ट शोध कार्य के लिए गुरु श्री गोरक्षनाथ स्वर्ण पदक के लिए आवेदन मंगाए गए, तो महज दो ही नाम विभागों की ओर से आए। कला, वाणिज्य, कृषि और चिकित्सा संकाय की ओर से एक भी आवेदन नहीं आया तो विज्ञान संकाय की ओर से महज दो ही दावेदार सामने आए। शोध कार्य महज पीएचडी की उपाधि पाने के लिए ही किए जा रहे हैं।
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