UPTET 2017: टीईटी 'आंसर की' पर रिपोर्ट से हाईकोर्ट असंतुष्ट, जवाब न दाखिल करने पर सरकार को लग चुकी है फटकार

 यूपी-टीईटी परीक्षा से सम्बंधित उत्तरमाला के विवाद पर राज्य सरकार द्वारा दाखिल विशेषज्ञों की रिपोर्ट से हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने असंतुष्टि जताते हुए विशेषज्ञ कमेटी की विस्तृत रिपोर्ट और सम्बंधित दस्तावेज
न्यायालय के समक्ष पेश करने का आदेश दिया है। शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई होनी है।यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल सदस्यीय पीठ ने मोहम्मद रिजवान व 103 अन्य अभ्यर्थियों की एक याचिका पर दिया। याचिका में परीक्षा से सम्बंधित उत्तर माला को चुनौती दी गई है। साथ ही पाठ्यक्रम के बाहर से प्रश्न पूछे जाने पर भी आपत्ति की गई है। याचिका में परीक्षा में पूछे गए 14 प्रश्नों का मामला उठाया गया है। दावा किया गया है कि 15 अक्टूबर की परीक्षा के बाद 18 अक्टूबर को जारी उत्तर माला में परीक्षा में पूछे गए आठ प्रश्नों के जवाब या तो गलत हैं या दो-दो विकल्प सही हैं। यही मामला संस्कृत भाषा के दो प्रश्नोत्तर के साथ भी है। चार प्रश्न ऐसे हैं जो पाठ्यक्रम के बाहर से हैं। याचिका पर जवाब देते हुए सरकार की ओर से जवाबी हलफनामे के साथ कुछ विशेषज्ञों की रिपोर्ट भी दाखिल की गई। जिस पर गौर करने के बाद न्यायालय ने कहा कि इनमें से एक रिपोर्ट संयुक्त निदेशक, शिक्षा द्वारा दी गई है जो देहरादून से सेवानिवृत हुए थे। इससे स्पष्ट है कि वह विषय के कितने विशेषज्ञ हैं। न्यायालय ने कहा कि इन रिपोर्ट्स पर कई लोगों के हस्ताक्षर हैं। इसमें यह स्पष्ट नहीं हो रहा कि इसके लिए कमेटी का गठन किया गया अथवा किसी एक व्यक्ति द्वारा ये रिपोर्ट्स दी गईं और अन्य लोगों द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित कर दी गई। इसके अलावा विशेषज्ञों ने मात्र कह दिया कि कौन सा उत्तर सही है लेकिन इसके समर्थन के लिए कोई तथ्य नहीं दिया गया है।


लखनऊ विधि संवाददाता
उल्लेखनीय है कि याचिका पर सुनवाई करते हुए 22 नवम्बर 2017 को न्यायालय ने यूपी-टीईटी- 2017 के परीक्षा परिणाम को अपने अंतिम आदेश के आधीन कर लिया था व सरकार को 13 दिसम्बर तक जवाब दाखिल करने को कहा था। इस दौरान तय समय पर जवाब न दाखिल करने पर न्यायालय ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि इस मामले में दस लाख छात्र प्रभावित हैं लेकिन सरकार ने अब तक जवाब नहीं दाखिल किया है।


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