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परिवार पालने को रिक्शा चला रहा शिक्षामित्र, अचानक ही लगा रोने

शिक्षक समायोजन रद्द होने के बाद परिवार की गाड़ी चलनी मुशिकल हुई तो बरेली के शिक्षामित्र ने ई-रिक्शा चलाना शुरू कर दिया। अयूब खान चौराहे के पास कुछ परिचित लोग मिल गए तो शिक्षामित्र अपनी व्यथा सुनाते सुनाते फफक पड़ा।

एजाज नगर गौंटिया के इदरीस खान प्राइमरी स्कूल खना गौंटिया में समायोजित अध्यापक थे। लंबे समय तक शिक्षामित्र रहने के बाद उनकी 15 मई 2015 को शिक्षक के रूप में तैनाती हुई थी। वेतन 3500 से 35 हजार हुआ तो घर में रौनक बरसने लगी। तीन बच्चों के पिता ने अपनी पत्नी अर्शेसबा के साथ नए नए सपने भी बुन डाले। पिछले वर्ष शिक्षक समायोजन रद्द होने के बाद सारे सपने भी चूर चूर हो गए। समायोजन रद्द होने के समय उनका वेतन 39200 था। जो अब 10 हजार रह गया। समायोजन का केस लड़ने में भी काफी पैसा लग गया। आर्थिक संकट गहराया तो दो बार टीईटी पास कर चुके इदरीस ने ई-रिक्शा खरीद लिया। दिन भर स्कूल में रहने के बाद इदरीस शाम 5 बजे से रिक्शा चलाते हैं। नम आंखों से इदरीस कहते हैं कि वो काफी बीमार रहते हैं। इलाज में खासा पैसा खर्च हो जाता है। परिवार चलाने के लिए मजबूरी में रिक्शा चलाने का फैसला करना पड़ा।
बुरी स्थिति में हैं शिक्षामित्र
सुप्रीम कोर्ट में अभी भी शिक्षामित्रों के हक की लड़ाई
लड़ रहे रबीअ बहार कहते हैं कि पूरे प्रदेश में शिक्षामित्रों की स्थिति काफी दयनीय है। उनके ऊपर मोटे कर्ज हैं। कईयों ने छोटे छोटे कामकाज शुरू कर दिए हैं। पिछले दिनों बहराइच के गांव ललकपुरवा में सब्जी बेचते शिक्षामित्र की फोटो वायरल हुई थी।

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