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पुलिस भर्ती ने युवाओं के सपनों पर फेरा पानी: ओवरएज हो गए युवाओं की पीड़ा, भर्ती के लिए आयु की गणना एक जुलाई 2017 से नहीं की गई

इलाहाबाद : पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड की ओर से 41,520 पदों पर सिपाही भर्ती की प्रक्रिया तो पिछले दिनों शुरू कर दी गई लेकिन, शीर्ष कोर्ट में हलफनामा देकर किया गया वादा नहीं निभाया। इससे उन लाखों युवाओं
के सपनों पर पानी फिर गया जो ओवरएज हो गए हैं। यही भर्ती 2017 में शुरू कराई गई होती तो ऐसे युवाओं को भी अंतिम मौका मिल सकता था।


प्रदेश के गृह सचिव ने शीर्ष कोर्ट को बताया था कि पुलिस और पीएसी में सिपाहियों के 50 हजार पद 2017 में और एक लाख पदों पर भर्ती अगले दो साल में करेंगे। यह हलफनामा इसलिए दिया गया था, क्योंकि देश में बढ़ रहे अपराध पर चिंता जताते हुए शीर्ष कोर्ट ने राज्यों से पुलिस बल की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी। उत्तर प्रदेश में पुलिस बल में स्वीकृत पदों से काफी संख्या होने, अधिकांश पद रिक्त होने की जानकारी कोर्ट को दी गई थी। उस हलफनामे में किए गए वादे के अनुसार पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड 2017 में तो भर्ती नहीं करा सका और अब वही पुलिस भर्ती 2018 के नाम से हो रही है। आयु की गणना भी एक जुलाई 2018 के आधार पर निर्धारित की गई है, जबकि विज्ञापन का प्रकाशन 14 जनवरी 2018 को हुआ। इससे 14 जनवरी, 2018 को 18 से 22 साल के मध्य होने की अर्हता पूरी करने वाले युवा अयोग्य करार दे दिए जाएंगे।

पुलिस में भर्ती होने की तैयारी कई साल से कर रहे युवाओं का दर्द है कि आखिर 2017 की भर्ती कहां खो गई। पूर्व में पुलिस भर्ती व प्रोन्नति बोर्ड ने अधियाचन वापस ले लिया था, क्योंकि पीएसी बल में सिपाहियों की संख्या कम दर्ज थी। उसे बढ़ाया जाना था। लेकिन, पुलिस अधिकारियों की अनदेखी के चलते 2017 में पुलिस भर्ती नहीं हो सकी और ओवरएज हो रहे लाखों युवाओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

भर्ती विज्ञापन के दोषपूर्ण होने का दावा : पुलिस में भर्ती होने की तैयारी करने वाले युवाओं की मानें तो वर्तमान पुलिस भर्ती 2018 प्रक्रिया दोषपूर्ण है क्योंकि विज्ञापन 14 जनवरी, 2018 को जारी किया गया और आयु की गणना एक जुलाई 2018 के आधार पर की जा रही है। यानी 14 जनवरी, 2018 को 18 से 22 साल की आयु पूरी करने वाले युवा पुलिस भर्ती की रेस से बाहर हो जाएंगे। युवाओं का कहना है कि हलफनामे में वादे को निभाते हुए आयु की गणना एक जुलाई, 2017 से की जानी चाहिए थी।


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