बेसिक शिक्षा परिषद के 194
शिक्षामित्रों को छह माह से तथा सर्व शिक्षा अभियान से तैनाती पाने वाले करीब 3075 शिक्षामित्रों को पिछले दो माह से मानदेय नहीं मिल सका है। ऐसे में शिक्षामित्रों के सामने स्कूल तक आने जाने के लिए किराए भाड़े का संकट तो है ही,परिवार के पालन पोषण पर भी असर पड़ रहा है।
जिले के प्राथमिक स्कूलों में 3269 शिक्षामित्रों की तैनाती है। इसमें से 194 शिक्षामित्र ऐसे है जिनकी भर्ती बेसिक शिक्षा परिषद से है। अन्य 3075 की तैनाती सर्व शिक्षा अभियान से है। चार वर्ष पहले करीब 2100 शिक्षामित्र समायोजित होकर सहायक अध्यापक बन गए थे जिन्हें समायोजन के बाद उनके मूल विद्यालय से हटाकर दूर दराज ब्लाकों में तैनात किया गया था। शेष बचे शिक्षामित्रों के समायोजन को लेकर भी प्रक्रिया चल रही थी मगर बीच में हाईकोर्ट और फिर पिछले वर्ष सिंतबर में शीर्ष अदालत ने इनका समायोजन निरस्त कर दिया।
समायोजन निरस्त होने के बाद इन शिक्षा मित्रों का वेतन बंद हो गया। समायोजन की बहाली की मांग कर रहे शिक्षा मित्रों को फौरी तौर पर राहत देते हुए इनका मानदेय बढ़ाकर दस हजार रुपया कर दिया लेकिन इन्हे इनके मूल विद्यालय में वापस भेजने के बजाय समायोजन वाले स्कूलों में ही तैनात रहने दिया।
समायोजित किए गए स्कूलों की दूरी इनके घरों से पचास से अस्सी किमी तक की दूरी पर है। ऐसे में दस हजार रुपये की धनराशि इनके किराए में ही खर्च हो रही है। इसके अला समय पर मानदेय न मिलने से भी इन्हे आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से तैनात 194 शिक्षामित्र ऐसे हैं जिन्हें अगस्त माह से मानदेय नहीं मिला है। वहीं 3075 शिक्षामित्र दो माह से मानदेय नहीं पा सके हैं। मानदेय न मिलने से इन शिक्षामित्रों को स्कूल आने जाने के लिए किराये के संकट के साथ साथ परिवार के पालन पोषण में भी संकट का सामना करना पड़ रहा है।