इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सचिवालय प्रशासन अनुभाग-दो को आदेश
दिया है कि अपर निजी सचिव (उप्र सचिवालय) परीक्षा 2010 के चयनित
अभ्यर्थियों को छह सप्ताह में नियुक्ति पत्र दिए जाएं, ऐसा न होने पर
सरकार स्पष्टीकरण दाखिल करके बताए कि नियुक्ति क्यों नहीं दिया जा रहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल व न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव की खंडपीठ
ने मोहम्मद असलम की याचिका पर दिया है। उप्र लोकसेवा आयोग ने 25 दिसंबर
2010 को अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा का विज्ञापन निकाला था। 250 पदों पर
भर्ती के लिए हुई इस परीक्षा का चयन परिणाम सात साल बाद तीन अक्टूबर 2017
को जारी किया गया। याचीगण सहित कई अन्य इसमें सफल हुए। इस बीच कुछ अचयनित
अभ्यर्थियों की ओर से उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई। उच्च न्यायालय
ने 11 जनवरी, 2018 को उप्र लोकसेवा आयोग को निर्देश दिया कि निर्णय के
पैरा-11 में उल्लिखित 18 अभ्यर्थियों के कंप्यूटर प्रमाण पत्र को पुन:
परीक्षण कर लें। इस निर्णय के विरुद्ध अचयनित अभ्यर्थियों ने स्पेशल अपील
दायर की जिसे उच्च न्यायालय की युगल पीठ ने 25 जनवरी, 2018 को खारिज कर
दिया। याचियों का कहना है कि 11 और 25 जनवरी को उच्च न्यायालय से हुए
निर्णयों के बाद नियुक्ति पत्र जारी करने के लिए सचिवालय प्रशासन अनुभाग-दो
को 17 और 27 जनवरी को ज्ञापन दिया। इसके बाद भी नियुक्ति पत्र जारी नहीं
हो सका। याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक मिश्र को सुनने के बाद
हाईकोर्ट ने सचिवालय प्रशासन अनुभाग-दो को यह आदेश दिया कि छह सप्ताह में
चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया जाए या फिर ऐसा न होने पर शपथ
पत्र दाखिल कर बताएं।
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