इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग बीते 15 मार्च को 10768 पदों पर भर्ती का
विज्ञापन जारी किया है। इसमें हिंदी सहित कई विषयों की अर्हता अन्य समकक्ष
भर्तियों से भिन्न होने के कारण बखेड़ा खड़ा हो गया है।
प्रतियोगी अर्हता
बदलने की मांग पर अड़े हैं। हिंदी के प्रतियोगी इंटर में संस्कृत अनिवार्य
करने का विरोध कर रहे हैं, वहीं कंप्यूटर के प्रतियोगी पीजीडीसीए को मान्य
करने व बीटेक आदि उच्च डिग्रियों के साथ बीएड की अनिवार्यता खत्म करना
चाहते हैं। कला के प्रतियोगी भी बीएड को हर विषय में अनिवार्य करने से
नाराज हैं। उनका कहना है कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र की
भर्तियों में मानक अलग है, जबकि राजकीय कालेजों की नियमावली अलग बना दी गई
है। सचिव नीना श्रीवास्तव ने आयोग सचिव को पत्र भेजा है कि हंिदूी आदि
विषयों में इंटरमीडिएट एक्ट में क्या प्रावधान हैं। इसके बाद भी हल नहीं
निकल रहा है। सोमवार को घेराव करने के बाद मंगलवार को भी प्रतियोगियों ने
धरना देकर नियमों में बदलाव की मांग की है। सुनील भारतीय सहित तमाम
प्रतियोगी डटे रहे।
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