प्रशिक्षण जनपद से ही आवेदन का नियम 14(1)(a) अटल नहीं, ये जाएगा हाई कोर्ट से भी और सुप्रीम कोर्ट से भी (Part 5/5) - AG

प्रशिक्षण जनपद से ही आवेदन का नियम 14(1)(a) अटल नहीं, ये जाएगा हाई कोर्ट से भी और सुप्रीम कोर्ट से भी (Part 5/5) - AG
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29) इन्हीं सब आधार पर जिला वरीयता को इलाहबाद हाई कोर्ट के जज अंजनी कुमार ने 21 मार्च 2002 को रद्द कर दिया। इसके विरुद्ध सरकार ने डिवीज़न बेंच में अपील 404/2002 की जिसको आर के अग्रवाल और एस सेन की बेंच ने 23 नबम्बर 2002 को खारिज कर दिया यानी जिला वरीयता खण्ड पीठ से भी रद्द।
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*30) इसके बाद जिला वरीयता समर्थक सुप्रीम कोर्ट में अपील करने गए। राजेश कुमार गुप्ता की लीडिंग सिविल अपील CA 3048-3064/2005 को भी 4 मई 2005 को के जी बालाकृष्णन और बी एन श्रीकृष्ण की बेंच ने खारिज कर दिया। इस तरह जिला वरीयता हर कोर्ट से रद्द है।*
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31) अब बात करते हैं आज के परिप्रेक्ष्य की। 15000 भर्ती में कई जिलों के होनहार भर्ती से बाहर हो गये। 16448 में 3 जिलों में शून्य पद थे और 12460 में 24 जिलों में शून्य पद थे। जिला वरीयता से व्यथित होकर याचिकाएं पेंडिंग हैं जिनका निस्तारण 2018 में हाई कोर्ट से होने की आशा है।
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*32) 2011 से लेके 2013 बैच तक जो अब तक अचयनित हैं उन्हें रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने इतना टार्चर किया कि उन्हें अब किसी के तानों से कोई फर्क नहीं पड़ता आदत हो चुकी है और बस एक नौकरी की आस है। 27.04.2018 के बाद जिला वरीयता का दंश 2013 बैच ने भी देख लिया।*
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33) 12460 भर्ती में 0 रिक्ति जनपदों के अतिरिक्त 51 जनपदों के वो लोग भी पीड़ित हैं जिनको उन्ही के प्रशिक्षण जनपद में आवेदन को बाध्य किया गया।
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*34) उनसे कम गुणांक वाले अन्य जनपदों में चयनित हैं लेकिन इस नियम 14(1)(a) के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिल पाई। कब तक सहेंगेे? स्टेट लेवल कैंडिडेचर से मेरिट का devaluation नहीं होता और कोई heartburn भी नहीं होता। कब तक चुप रहेंगे आप आखिर कब तक?*
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