वहीं, निलंबित सचिव व पहले से चिन्हित अफसरों के साथ ही एजेंसी पर आगे भी कार्रवाई होने के आसार हैं।
इलाहाबाद : परिषदीय स्कूलों की 68500 सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा
की गड़बड़ियां तलाशने वाली उच्च स्तरीय जांच समिति की कार्यशैली पर सवाल
उठ गए हैं। समिति शासन की ओर तय समय में जांच पूरा नहीं कर सकी है और आगे
कब तक जांच चलेगी यह भी स्पष्ट नहीं है। यह नौबत इसलिए आई, क्योंकि जांच का
जिम्मा तीन वरिष्ठ अफसरों को सौंपा गया, उनमें से केवल एक अफसर परीक्षा
संस्था कार्यालय में अभिलेख व अन्य दस्तावेज खंगालते रहे, बाकी दो अफसरों
ने जांच में रुचि ही नहीं दिखाई है।
भर्ती का परिणाम आने के बाद अभ्यर्थिनी सोनिका देवी ने हाईकोर्ट की लखनऊ
खंडपीठ में कम अंक मिलने को स्कैन कॉपी के साथ चुनौती दी थी। सुनवाई के
दौरान ही यह भी साबित हुआ कि सोनिका की कॉपी ही बार कोड दर्ज करने में बदल
गई है। कोर्ट ने इस मामले की जांच का आदेश दिया था। शासन ने इसका संज्ञान
लेकर पूरे भर्ती प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का
गठन आठ सितंबर को किया। इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया गया। उसी दिन
परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय में अभिलेख जलाने का प्रकरण सामने आया
तो समिति के दो सदस्य बेसिक शिक्षा निदेशक डा. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह
व सर्वशिक्षा अभियान के निदेशक वेदपति मिश्र अगले दिन ही परीक्षा संस्था
कार्यालय इलाहाबाद पहुंचे। बेसिक शिक्षा निदेशक दूसरे दिन लखनऊ लौट गए,
जबकि वेदपति मिश्र ने निलंबित सचिव व हटाए गए रजिस्ट्रार आदि से गड़बड़ियों
के संबंध में पूछताछ की।
कुछ दिन बाद फिर यही दोनों अफसर परीक्षा संस्था पहुंचे और दूसरी बार भी
वेदपति मिश्र ही अभिलेख खंगालते रहे। तीसरी बार बीते शनिवार को इन्हीं
अफसरों ने फिर छानबीन की। इसमें भी बेसिक शिक्षा निदेशक ने जांच से दूरी
बनाए रखी, जबकि मिश्र ने पांच दिन यहां रुककर शिकायतों व अभिलेखों की
सच्चाई देखी। बुधवार देर शाम तक परीक्षा संस्था कार्यालय में यह प्रक्रिया
जारी रही, मांगे गए अभिलेख जांच अधिकारी को दिए गए हैं।
जांच समिति के अध्यक्ष गन्ना विभाग के प्रमुख सचिव संजय आर भूसरेड्डी यहां
आए ही नहीं। उन्होंने विज्ञप्ति जारी करके गड़बड़ियों के साक्ष्य जरूर
मांगे थे, इसके लिए अभ्यर्थियों व अन्य को लखनऊ की दौड़ लगानी पड़ी।
■ बड़े अफसरों पर भी कार्रवाई के आसार : के शासनादेश पर भी तमाम सवाल उठे
हैं, परीक्षा से लेकर अभ्यर्थियों की नियुक्ति तक में आदेश बदलने से सरकार
की खूब किरकिरी हुई है, ऐसे में माना जा रहा है कि शासन स्तर के बड़े
अफसरों पर भी कार्रवाई हो सकती है। वहीं, निलंबित सचिव व पहले से चिन्हित
अफसरों के साथ ही एजेंसी पर आगे भी कार्रवाई होने के आसार हैं।