Tuesday 30 October 2018

महाविद्यालयों में शिक्षक भर्ती में सामने आ रहीं उच्च शिक्षा निदेशालय की गड़बड़ियां, अधियाचन 138 का, काउंसिलिंग 48 की और रिक्तियां सिर्फ 54

अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए विज्ञापन संख्या 37 का परिणाम जारी होने के बाद उप्र उच्च शिक्षा निदेशालय की कारगुजारियों ने खुद के फंसने का जाल भी तैयार कर लिया है।
मार्च 2018 में उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग यानी यूपीएचईएससी से 138 पदों पर घोषित परिणाम, निदेशालय की ओर से रिक्त पदों के आधार पर ही जारी किया गया था लेकिन, छह महीने में इनमें 84 पदों को गायब कर दिया गया है। निदेशालय की ओर से जारी एक पत्र में कहा गया है कि परीक्षण के बाद 54 पद ही रिक्त बचे हैं। 1महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती के लिए निदेशालय ने यूपीएचईएससी से 138 पदों के लिए विभिन्न विषयों में साक्षात्कार कराने के लिए कहा था। यूपीएचईएससी की ओर से मार्च 2018 में जारी परिणाम के साथ यह भी उल्लिखित किया गया कि यह चयन उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से प्राप्त अधियाचन के आधार पर किए गए हैं। जाहिर है कि निदेशालय ने परीक्षा संस्था को 138 पदों की महाविद्यालयवार सूची दी। 20 से 23 मार्च के बीच जारी परिणाम के आधार पर सितंबर 2018 में निदेशालय ने 48 पदों पर भर्ती के लिए काउंसिलिंग शुरू कराई। इसमें भी पूरे अभ्यर्थी नहीं आ सके। शेष 90 अभ्यर्थियों को प्राथमिकता व इसके बाद प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थियों को दूसरी वरीयता न देकर पहले बुलाए गए 48 अभ्यर्थियों में ही शेष को दोबारा मौका देने के लिए 14 नवंबर को काउंसिलिंग निर्धारित की है।
अक्टूबर में संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा डॉ पीके वाष्ण्रेय ने एक पत्र में रिक्तियों को लेकर ठीकरा क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों पर फोड़ा। कहा है कि निदेशक की ओर से गठित समिति ने यूपीएचईएससी को भेजे गए पदों के पुन: निर्धारण में पाया कि क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से भेजी गई सूचनाएं अपूर्ण और भ्रामक थीं। वास्तविक स्थिति में कुल 54 पद ही रिक्त हैं। इसलिए अन्य अभ्यर्थियों की आसन व्यवस्था करना संभव नहीं है। हालांकि यहां भी बड़ा सवाल है कि जब निदेशालय ने अपनी जांच में कुल 54 पद ही रिक्त पाए तो काउंसिलिंग के लिए पूरे न बुलाकर 48 अभ्यर्थियों को ही क्यों बुलाया।’
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