Tuesday 30 October 2018

UPPSC: PCS का प्रश्न पत्र देख खिले चेहरे, कई बार उछले भी: प्रश्नों में दोहराव लेकिन, पूछने का तरीका बदला, समसामयिक मुद्दों के प्रश्न का उत्तर देने में नहीं हुई कठिनाई

परीक्षाओं में प्रश्नों के चयन को लेकर लगातार शिकायतों से घिरते उप्र लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के बारे में रविवार को पीसीएस / एसीएफ-आरएफओ प्रारंभिक परीक्षा 2018 में शामिल हुए अभ्यर्थियों का नजरिया
कुछ बदला रहा। तमाम प्रश्नों में विशेषज्ञों ने दोहराव किया लेकिन, प्रश्न ऐसे बनाए जिसे समझने में अभ्यर्थियों को कठिनाई हुई। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर समसामयिक प्रश्नों के उत्तर तो बेहद सरल रहे जबकि इतिहास, हंिदूी और पारिस्थितिकीय पर्यावरण के प्रश्नों में अभ्यर्थी उलझ गए।
यूपीपीएससी की ओर से पहली पाली में दिए गए प्रश्न पत्र में अभ्यर्थियों को 150 प्रश्नों को हल करना था जबकि इसका पूर्णाक 200 रहा। दूसरी पाली में सीसैट का प्रश्न पत्र रहा, जिसमें 100 प्रश्न रहे। इसका भी पूर्णाक 200 रहा। यह क्वालिफाइंग प्रश्न पत्र रहा यानी इसमें कम से कम 33 फीसदी यानी 66 अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को ही मेरिट में स्थान मिलेगा। दोनों ही प्रश्न पत्रों को अभ्यर्थियों ने संतुलित बताया। बालक राम ओझा का कहना है कि समसामयिक मुद्दे पर प्रश्न सरल रहे। 15वां प्रवासी भारतीय दिवस जनवरी 2019 में किस शहर में आयोजित होगा, चार जुलाई 2018 से धान का प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थित मूल्य (एसएसपी) 2018-19 के दौरान कितना है, जुलाई 2018 में पाकिस्तान का संसदीय चुनाव किसने जीता और प्रधानमंत्री बना, 2018 में मैग्सेसे पुरस्कार किसने जीता, दशम ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2018 किस देश में आयोजित किया गया, आदि प्रश्न काफी सरल रहे। बालेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि इतिहास, गणित, अंग्रेजी और संप्रेषण विषय के प्रश्नों में नयापन रहा। देवांशु शुक्ला और कुलदीप ने भी विशेषज्ञों की ओर से प्रश्नों के चयन पर संतुष्टि जताई। इनका कहना था कि प्रश्न उलझाऊ जरूर रहे जिन्हें समझने में देर लगी लेकिन, पहली की परीक्षाओं की अपेक्षा बेहतर रहे।

माइनस मार्किंग ने डराया : पहली बार माइनस मार्किंग की व्यवस्थासे अभ्यर्थियों ने उन प्रश्नों को नहीं छुआ जिनके उत्तर पर उन्हें ज्यादा भरोसा नहीं था।
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