लखनऊ : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 शिक्षकों की भर्ती की सीबीआइ
जांच और 460 शिक्षकों की भर्ती को रद करने के हाईकोर्ट के आदेशों ने राज्य
सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
योगी सरकार की सबसे बड़ी भर्ती करार दी 68500 शिक्षकों की चयन प्रक्रिया की सीबीआइ जांच के आदेश से हुकूमत सकते में है। वहीं 460 शिक्षकों की भर्ती को रद करने के आदेश ने सरकार के लिए कोढ़ में खाज का काम किया है। भर्तियों को लेकर सरकार की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं।
सीबीआइ जांच के कोर्ट के आदेश ने जहां नियुक्ति पा चुके अभ्यर्थियों में बेचैनी पैदा की है, वहीं भर्ती से जुड़े अफसरों की मुश्किलें बढ़नी भी तय है। कोर्ट के इस आदेश ने शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए भर्तियों में जुटी सरकार को भी बैकफुट पर ला दिया है। वहीं उसने दिनोंदिन गर्माते जा रहे सियासी माहौल में विपक्षी दलों को बैठे-बैठाये सरकार पर वार करने के लिए हथियार थमा दिया है। रोजगार पर योगी सरकार का खासा फोकस रहा है और 68500 शिक्षकों की भर्ती के जरिये सरकार युवाओं को यही संदेश भी देना चाहती थी। इस भर्ती में चयनित कुछ अभ्यर्थियों को राजधानी में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री की ओर से नियुक्ति पत्र थमाये जाने के बाद ही भर्ती और उसके परीक्षा परिणाम की गड़बड़ियां उजागर होने लगीं। इस भर्ती की गड़बड़ियों को दूर करने के लिए सरकार की ओर से किये गए डैमेज कंट्रोल के उपाय अदालत को संतुष्ट नहीं कर पाए। वहीं अखिलेश सरकार में शुरू हुई 460 शिक्षकों की भर्ती रद करने के आदेश से फिलहाल सरकार की दोहरी किरकिरी हुई है। गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा विभाग प्राथमिक स्कूलों में 68500 शिक्षकों के दूसरे चरण की भर्ती प्रक्रिया की तैयारियों में जुटा था। इस सिलसिले में नवंबर को उप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा भी प्रस्तावित है। कोर्ट के इस आदेश से इस भर्ती प्रक्रिया पर भी असर पड़ सकता है। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी भले ही कह रहे हों कि भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी लेकिन सब कुछ अदालत के रुख पर निर्भर रहेगा।
योगी सरकार की सबसे बड़ी भर्ती करार दी 68500 शिक्षकों की चयन प्रक्रिया की सीबीआइ जांच के आदेश से हुकूमत सकते में है। वहीं 460 शिक्षकों की भर्ती को रद करने के आदेश ने सरकार के लिए कोढ़ में खाज का काम किया है। भर्तियों को लेकर सरकार की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं।
सीबीआइ जांच के कोर्ट के आदेश ने जहां नियुक्ति पा चुके अभ्यर्थियों में बेचैनी पैदा की है, वहीं भर्ती से जुड़े अफसरों की मुश्किलें बढ़नी भी तय है। कोर्ट के इस आदेश ने शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए भर्तियों में जुटी सरकार को भी बैकफुट पर ला दिया है। वहीं उसने दिनोंदिन गर्माते जा रहे सियासी माहौल में विपक्षी दलों को बैठे-बैठाये सरकार पर वार करने के लिए हथियार थमा दिया है। रोजगार पर योगी सरकार का खासा फोकस रहा है और 68500 शिक्षकों की भर्ती के जरिये सरकार युवाओं को यही संदेश भी देना चाहती थी। इस भर्ती में चयनित कुछ अभ्यर्थियों को राजधानी में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री की ओर से नियुक्ति पत्र थमाये जाने के बाद ही भर्ती और उसके परीक्षा परिणाम की गड़बड़ियां उजागर होने लगीं। इस भर्ती की गड़बड़ियों को दूर करने के लिए सरकार की ओर से किये गए डैमेज कंट्रोल के उपाय अदालत को संतुष्ट नहीं कर पाए। वहीं अखिलेश सरकार में शुरू हुई 460 शिक्षकों की भर्ती रद करने के आदेश से फिलहाल सरकार की दोहरी किरकिरी हुई है। गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा विभाग प्राथमिक स्कूलों में 68500 शिक्षकों के दूसरे चरण की भर्ती प्रक्रिया की तैयारियों में जुटा था। इस सिलसिले में नवंबर को उप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा भी प्रस्तावित है। कोर्ट के इस आदेश से इस भर्ती प्रक्रिया पर भी असर पड़ सकता है। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी भले ही कह रहे हों कि भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी लेकिन सब कुछ अदालत के रुख पर निर्भर रहेगा।