रिजल्ट में फेल, कॉपी पर पास में फंसी 68500 शिक्षक भर्ती: सरकार ने तेजी से की कार्रवाई, उच्च स्तरीय जांच समिति की सुस्ती पड़ गई भारी

परिषदीय स्कूलों की सबसे बड़ी 68500 शिक्षक भर्ती आखिरकार देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआइ के दायरे में आने जा रही है। यह नौबत इसलिए आई, क्योंकि लिखित परीक्षा का परिणाम आने के बाद रिजल्ट में फेल और स्कैन कॉपी में पास अभ्यर्थियों की गुत्थी सुलझाने में शासन व परीक्षा संस्था सफल नहीं हो सकी।
1सरकार ने तेजी से अफसरों पर कार्रवाई का निर्देश दिया लेकिन, कुछ को छोड़कर अब तक चिन्हित अफसरों की सूची तक मुहैया नहीं हो पाई है। उच्च स्तरीय जांच समिति की सुस्ती से पूरी भर्ती कटघरे में है।

कॉपी पर सफल मिले 51 अभ्यर्थी
उच्च स्तरीय जांच समिति ने परीक्षा संस्था की जांच करने में तय समय से अधिक वक्त लिया। इसके बाद भी फेल करार 51 अभ्यर्थी ही उसे कॉपी पर पास मिले। परीक्षा नियामक सचिव ने बेसिक शिक्षा परिषद को भेजी सूची में महज 45 नाम ही दिए हैं। छह अभ्यर्थी उत्तीर्ण प्रतिशत से कम अंक पा रहे थे। इसी बीच अभ्यर्थियों ने जारी स्कैन कॉपी के आधार पर ऐसे नाम जारी किए हैं, जो कॉपी पर उत्तीर्ण हैं। इससे समिति की रिपोर्ट पर ही सवाल खड़े हो गए हैं कि समिति ने जांच के नाम पर खानापूर्ति की है? वरना कॉपी पर उत्तीर्ण अन्य अभ्यर्थी उसे क्यों नहीं दिखे। जिन्हें उत्तीर्ण करार दिया गया, उनमें भी कई कॉपी पर फेल हैं।
53 चयनित, लेकिन कॉपी पर फेल
जांच समिति ने रिजल्ट में उत्तीर्ण करार देकर नियुक्ति पा चुके 53 अभ्यर्थियों को कॉपी पर फेल पाया है। अब तक उनके संबंध में निर्णय नहीं लिया जा सका है। पांच अक्टूबर के शासनादेश में उनकी कॉपी का दोबारा मूल्यांकन कराने के निर्देश हैं, जबकि बेसिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव उन्हें नोटिस देने का निर्देश दे चुके हैं। अब तक यह प्रकरण अधर में है।

सात पर्यवेक्षक व परीक्षक कौन ?
जांच समिति ने रिपोर्ट में राज्य विज्ञान संस्थान के सात पर्यवेक्षक व 343 उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में गड़बड़ी करने वाले परीक्षकों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया, समिति ने इनके नाम नहीं भेजे हैं, इससे उन पर कार्रवाई नहीं हो सकी है, जबकि मुख्यमंत्री निर्देश दे चुके हैं। केवल लिखित परीक्षा की संस्था को ही ब्लैक लिस्ट किया जा सका है।
पुनमरूल्यांकन कब, कॉपियां मिलेंगी?
शासन ने लिखित परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों से पुनर्मूल्यांकन के लिए ऑनलाइन आवेदन लिया है। सरकार के निर्देश पर इसका शुल्क नहीं लिया गया है। दोबारा मूल्यांकन कब से होगा, अभी स्पष्ट नहीं है। वहीं, जिन नौ हजार अभ्यर्थियों ने स्कैन कॉपी के लिए दो-दो हजार रुपये दिए हैं, उन सबको अब तक स्कैन कॉपियां नहीं दी सकी हैं।
जांच समिति खुद सवालों के घेरे में
शासन ने उच्च स्तरीय समिति गन्ना विभाग के प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी की अगुवाई में बनाई थी। बेसिक शिक्षा निदेशक डॉ. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह व सर्व शिक्षा अभियान के निदेशक वेदपति मिश्र को रखा गया। समिति गठन के बाद से कहा जा रहा था कि वह अफसर इसमें क्यों है, जो गड़बड़ियों के लिए सीधे न सही परोक्ष रूप से जिम्मेदार हैं।