लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लाख दावे कर ले कि हमारी शासन प्रणाली सही चल रही है, लेकिन ठीक उसके उल्टे ही इनके अधिकारी काम कर रहे है। अर्थात बता दें की 27 मई 2018 को 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती करने के लिए एक परीक्षा आयोजित की गई थी।
जिसमें लगभग एक लाख सात हजार परीक्षार्थियों ने परीक्षा दिया था। लेकिन परीक्षा के उपरांत जब इस लिखित परीक्षा का रिजल्ट आया तो उसमें इतनी काफी अनियमितताएं थी। कि आए दिन लड़कों ने धरना प्रदर्शन व बवाल करना शुरू कर दिया। अनियमितता यहां तक थी कि लड़कों की कापिया तक बदल दी गई थी।
इस मामले को लेकर कुछ परीक्षार्थियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। अपील की सुनवाई के दौरान माननीय जज महोदय ने सीबीआई जांच के लिए आदेश कर दिया था।
इस जांच को रुकवाने के लिए योगी जी को गुमराह कर हाई कोर्ट डबल बेंच में सरकार की तरफ से अधिकारियों ने भी अपील दायर कर दी ।
अर्थात योगी सरकार के भ्रष्ट अधिकारियो ने अपने गले में फंदा फ़सता देख सीबीआई जांच को डबल बेंच से रद्द करवाने के लिए जी तोड़ मेहनत किया। और अंत मे योगी सरकार के अधिकारियों ने सीबीआई जांच को रद्द कराने में कामयाब हो गये।
डबल बेंच ने सीबीआई जांच को खारिज कर दिया
अब हम आपको जो बताने जा रहे हैं यह मामला है मऊ जिले के रहने वाले विवेक कुमार सिंह का है जिनका अनुक्रमांक 49500803452 है ।जो 68500 शिक्षक भर्ती में परीक्षा दिया था जिसमें पास होने के लिए सामान्य वर्ग में 67 नम्बर की आवश्यकता थी। लेकिन इनको मात्र 47 नम्बर ही दिया गया,जबकि इनके पास परीक्षा के दौरान जो उत्तर दिया था। उसमें परीक्षा नियामक प्राधिकारी द्वारा उत्तर माला के हिसाब से लगभग 80 नम्बर एकदम सही है।
इनको अपने द्वारा दिये गए उत्तरों पर विश्वास होने के नाते इन्होंने परीक्षा नियामक बोर्ड से अपनी स्कैन कॉपी की मांग किया। कॉपी मांग के कुछ महीनों के उपरांत जब इन्हें कॉपी मिली तो यह परीक्षा नियामक बोर्ड द्वारा भेजी गयी स्कैन कॉपी को देखकर हैरान रह गये। अर्थात जिस तरह सोनिका देवी प्रकरण में कॉपी बदल दी गयी थी, और हाईकोर्ट में सोनिका देवी की कॉपी जब मांगी गई थी तो सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने दूसरी कॉपी कोर्ट में पेश किया था जिसमे पूरी की पूरी कॉपी बदली गयी थी।
ठीक ऐसा ही मामला विवेक कुमार सिंह का है जो परीक्षा में दिए उत्तरों के कार्बन कॉपी के हिसाब से तो पास है लेकिन परीक्षा परीणाम में इन्हें फेल कर दिया गया है।
आपको हम बता दें कि यहां अधिकारियों ने इतनी बड़ी गलती किया है कि एक पास परीक्षार्थी की कापी बदल कर उसे फेल कर दिया अर्थात उसकी कापिया बदलने के कारण वह परीक्षा में फेल हो गया है अब ऐसे लापरवाह अधिकारियों के ऊपर योगी सरकार ने नकेल कसने के बजाय । इनके ऊपर मेहरबान नजर आ रही है ।क्योंकि परीक्षार्थियों ने कई बार अपनी लिखित शिकायत मुख्यमंत्री के नाम से भी किया है ।लेकिन अभी तक उक्त मामले में कोई कार्यवाही नजर नहीं आ रही है। वहीं विवेक सिंह ने बताया कि मामला इतना गंभीर है कि एक विद्यार्थी जी जान लगाकर और मेहनत कर पढाई करता है कि अच्छी नौकरी मिल जाएगी, लेकिन अधिकारियों व कर्मचारियों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए परीक्षार्थियों के जिंदगी से बहुत ही घिनौना खेल खेला है।
अर्थात आज के परिवेश में यह अधिकारी जिसकी चाहे जिंदगी बना सकते है और जिसकी चाहे बिगाड़ सकते है। वही परीक्षार्थियों का यह भी आरोप है कि भर्ती में इस कदर धांधली हुई कि पास परीक्षार्थी को फेल कर दिया गया है और कुछ फेल परीक्षार्थियों को अधिकारियों ने पास कर दिया है।
उक्त मामले को हम पूरा यही स्पष्ट कर दे रहे है।
जैसा कि सभी को मालूम है कि 68500 भर्ती में धांधली को लेकर योगी सरकार ने भी अपने तरफ से एक जाच कमेटी गठित किया था। जिसके अध्यक्ष आईएएस संजय भुसरेड्डी थे। इन्होंने जब शिक्षक भर्ती में हुई धांधली की जांच कर रहे थे तो लगभग 350 परीक्षार्थियों के कापियों के साथ छेड़छाड़ करने का मामला शासन के संज्ञान में लाया गया था। जिसकी खबरे भी प्रमुख समाचार पत्रो में प्रकाशित हुई थी।
लेकिन अब आप ही बताइए जब पिछली बार कॉपी जाची गयी तो लगभग 41 हजार परीक्षार्थी पास हुए थे, तो पुनर्मूल्यांकन में फिर 4688 परीक्षार्थी कैसे पास हो गये। वही कुछ परीक्षार्थियों ने तर्क देते हुए आरोप लगाया है कि जब संजय आर भुसरेड्डी जाच कमेटी ने केवल 350 लोगो के कापियों के साथ छेड़छाड़ पाया था तो यह 4688 कैसे पास हो गये। अर्थात पुनः यह भर्ती धांधली की शिकार हुई है।
अर्थात आज भी कुछ परीक्षार्थी जो पास होते हुए भी मुख्यमंत्री जनता दरबार से लेकर प्रमुख सचिव यूपी व अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा विभाग व सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी के नाम से लिखित शिकायत कर न्याय की मांग कर रहा है।अब देखना यह होगा कि क्या इनके लिखित शिकायत पर कोई कार्यवाही होती है या इस लिखित शिकायत को भी ठंडे बस्ते में डाल कर अधिकारी मौन धारण कर लेते हैं ।आखिर कब तक यह खेल अधिकारी करते रहेंगे और भारत के सबसे बड़े प्रदेश यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ उक्त मामले पर मौन धारण किए रहेंगे ।
वही कुछ परीक्षार्थियों का यह भी आरोप है सीएम योगी जी उक्त मामले को संज्ञान में लेकर यदि हमारे साथ न्याय नही किया और जिन भ्रस्ट अधिकारियो के चलते परीक्षार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा उन भ्रस्ट अधिकारियों व कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नही किये ।तो हम युवा परीक्षार्थी व हमलोगों के परिजन आने वाले लोकसभा चुनाव में इनको हम भी अपना जवाब अपने मताधिकार का प्रयोग कर अवश्य देगे। क्योकि सीएम साहब हम पीड़ितों की समस्या का निदान आप नही करेंगे तो हम अपनी शिकायत अब किसके पास लेकर जाये।
जिसमें लगभग एक लाख सात हजार परीक्षार्थियों ने परीक्षा दिया था। लेकिन परीक्षा के उपरांत जब इस लिखित परीक्षा का रिजल्ट आया तो उसमें इतनी काफी अनियमितताएं थी। कि आए दिन लड़कों ने धरना प्रदर्शन व बवाल करना शुरू कर दिया। अनियमितता यहां तक थी कि लड़कों की कापिया तक बदल दी गई थी।
इस मामले को लेकर कुछ परीक्षार्थियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। अपील की सुनवाई के दौरान माननीय जज महोदय ने सीबीआई जांच के लिए आदेश कर दिया था।
इस जांच को रुकवाने के लिए योगी जी को गुमराह कर हाई कोर्ट डबल बेंच में सरकार की तरफ से अधिकारियों ने भी अपील दायर कर दी ।
अर्थात योगी सरकार के भ्रष्ट अधिकारियो ने अपने गले में फंदा फ़सता देख सीबीआई जांच को डबल बेंच से रद्द करवाने के लिए जी तोड़ मेहनत किया। और अंत मे योगी सरकार के अधिकारियों ने सीबीआई जांच को रद्द कराने में कामयाब हो गये।
डबल बेंच ने सीबीआई जांच को खारिज कर दिया
अब हम आपको जो बताने जा रहे हैं यह मामला है मऊ जिले के रहने वाले विवेक कुमार सिंह का है जिनका अनुक्रमांक 49500803452 है ।जो 68500 शिक्षक भर्ती में परीक्षा दिया था जिसमें पास होने के लिए सामान्य वर्ग में 67 नम्बर की आवश्यकता थी। लेकिन इनको मात्र 47 नम्बर ही दिया गया,जबकि इनके पास परीक्षा के दौरान जो उत्तर दिया था। उसमें परीक्षा नियामक प्राधिकारी द्वारा उत्तर माला के हिसाब से लगभग 80 नम्बर एकदम सही है।
इनको अपने द्वारा दिये गए उत्तरों पर विश्वास होने के नाते इन्होंने परीक्षा नियामक बोर्ड से अपनी स्कैन कॉपी की मांग किया। कॉपी मांग के कुछ महीनों के उपरांत जब इन्हें कॉपी मिली तो यह परीक्षा नियामक बोर्ड द्वारा भेजी गयी स्कैन कॉपी को देखकर हैरान रह गये। अर्थात जिस तरह सोनिका देवी प्रकरण में कॉपी बदल दी गयी थी, और हाईकोर्ट में सोनिका देवी की कॉपी जब मांगी गई थी तो सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने दूसरी कॉपी कोर्ट में पेश किया था जिसमे पूरी की पूरी कॉपी बदली गयी थी।
ठीक ऐसा ही मामला विवेक कुमार सिंह का है जो परीक्षा में दिए उत्तरों के कार्बन कॉपी के हिसाब से तो पास है लेकिन परीक्षा परीणाम में इन्हें फेल कर दिया गया है।
आपको हम बता दें कि यहां अधिकारियों ने इतनी बड़ी गलती किया है कि एक पास परीक्षार्थी की कापी बदल कर उसे फेल कर दिया अर्थात उसकी कापिया बदलने के कारण वह परीक्षा में फेल हो गया है अब ऐसे लापरवाह अधिकारियों के ऊपर योगी सरकार ने नकेल कसने के बजाय । इनके ऊपर मेहरबान नजर आ रही है ।क्योंकि परीक्षार्थियों ने कई बार अपनी लिखित शिकायत मुख्यमंत्री के नाम से भी किया है ।लेकिन अभी तक उक्त मामले में कोई कार्यवाही नजर नहीं आ रही है। वहीं विवेक सिंह ने बताया कि मामला इतना गंभीर है कि एक विद्यार्थी जी जान लगाकर और मेहनत कर पढाई करता है कि अच्छी नौकरी मिल जाएगी, लेकिन अधिकारियों व कर्मचारियों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए परीक्षार्थियों के जिंदगी से बहुत ही घिनौना खेल खेला है।
अर्थात आज के परिवेश में यह अधिकारी जिसकी चाहे जिंदगी बना सकते है और जिसकी चाहे बिगाड़ सकते है। वही परीक्षार्थियों का यह भी आरोप है कि भर्ती में इस कदर धांधली हुई कि पास परीक्षार्थी को फेल कर दिया गया है और कुछ फेल परीक्षार्थियों को अधिकारियों ने पास कर दिया है।
उक्त मामले को हम पूरा यही स्पष्ट कर दे रहे है।
जैसा कि सभी को मालूम है कि 68500 भर्ती में धांधली को लेकर योगी सरकार ने भी अपने तरफ से एक जाच कमेटी गठित किया था। जिसके अध्यक्ष आईएएस संजय भुसरेड्डी थे। इन्होंने जब शिक्षक भर्ती में हुई धांधली की जांच कर रहे थे तो लगभग 350 परीक्षार्थियों के कापियों के साथ छेड़छाड़ करने का मामला शासन के संज्ञान में लाया गया था। जिसकी खबरे भी प्रमुख समाचार पत्रो में प्रकाशित हुई थी।
लेकिन अब आप ही बताइए जब पिछली बार कॉपी जाची गयी तो लगभग 41 हजार परीक्षार्थी पास हुए थे, तो पुनर्मूल्यांकन में फिर 4688 परीक्षार्थी कैसे पास हो गये। वही कुछ परीक्षार्थियों ने तर्क देते हुए आरोप लगाया है कि जब संजय आर भुसरेड्डी जाच कमेटी ने केवल 350 लोगो के कापियों के साथ छेड़छाड़ पाया था तो यह 4688 कैसे पास हो गये। अर्थात पुनः यह भर्ती धांधली की शिकार हुई है।
अर्थात आज भी कुछ परीक्षार्थी जो पास होते हुए भी मुख्यमंत्री जनता दरबार से लेकर प्रमुख सचिव यूपी व अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा विभाग व सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी के नाम से लिखित शिकायत कर न्याय की मांग कर रहा है।अब देखना यह होगा कि क्या इनके लिखित शिकायत पर कोई कार्यवाही होती है या इस लिखित शिकायत को भी ठंडे बस्ते में डाल कर अधिकारी मौन धारण कर लेते हैं ।आखिर कब तक यह खेल अधिकारी करते रहेंगे और भारत के सबसे बड़े प्रदेश यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ उक्त मामले पर मौन धारण किए रहेंगे ।
वही कुछ परीक्षार्थियों का यह भी आरोप है सीएम योगी जी उक्त मामले को संज्ञान में लेकर यदि हमारे साथ न्याय नही किया और जिन भ्रस्ट अधिकारियो के चलते परीक्षार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा उन भ्रस्ट अधिकारियों व कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नही किये ।तो हम युवा परीक्षार्थी व हमलोगों के परिजन आने वाले लोकसभा चुनाव में इनको हम भी अपना जवाब अपने मताधिकार का प्रयोग कर अवश्य देगे। क्योकि सीएम साहब हम पीड़ितों की समस्या का निदान आप नही करेंगे तो हम अपनी शिकायत अब किसके पास लेकर जाये।