सरकार की रोक के बावजूद चहेतों को बांटीं नौकरियां , 2011 के बाद विद्यालयों में हुई चपरासी की भर्ती अवैध

लखनऊ : शहर के सहायता प्राप्त कॉलेजों में नियमों को ताक पर रखकर चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती की गई। प्रबंधक, प्रधानाचार्य, डीआइओएस की गठजोड़ ने सरकार की रोक के बावजूद चहेतों को नौकरियां बांटीं। वर्ष 2011 के बाद राजधानी के विद्यालयों में हुई भर्ती को कोर्ट ने अवैध करार दे दिया है।
ऐसे में अब प्रदेशभर के विद्यालयों में जुगाड़ से नौकरी हथियाने वालों पर भी संकट मंडराने लगा है।


दरअसल, छह जनवरी 2011 को शासन ने चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थाई नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। साथ ही विभागों को इन पदों पर सर्विस प्रोवाइडर के जरिये मैनपावर हासिल करने का आदेश दिया था। मगर राजधानी समेत प्रदेश के कई सहायता प्राप्त कॉलेजों ने चपरासी की भर्ती का खेल जारी रखा। डीआइओएस डॉ. मुकेश कुमार के मुताबिक राजधानी में अवैध नियुक्ति का मामला संज्ञान में आने पर वेतन पर रोक लगा दी थी।

ऐसे में क्वींस इंटर कॉलेज के कर्मचारी कोर्ट गए। वहीं, विभिन्न सुनवाई के बाद स्पेशल अपील हुई। इसमें राज्य सरकार के एडिशनल जनरल ने कोर्ट में पक्ष रखा। चार माह चली सुनवाई के दरम्यान 13 फरवरी को कोर्ट ने छह जनवरी 2011 के बाद भर्ती को अवैध करार दिया। ऐसे में प्रदेश के अन्य विद्यालयों में नौकरी हथियाने वालों पर भी खतरा तय है।