प्रयागराज : अशासकीय माध्यमिक कालेजों में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व स्नातक शिक्षकों का चयन करने वाली परीक्षा संस्था माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने निर्णय खुद किया और उसका जिम्मा यूपी बोर्ड पर डाल दिया है।
जबकि यूपी बोर्ड ने इस निर्णय पर असहमति जताई थी और निरस्त विषयों का इम्तिहान कराने का प्रस्ताव भी शासन को भेजा था। उस पर अब तक शासन ने कोई निर्णय ही नहीं लिया है।
असल में चयन बोर्ड यूपी बोर्ड सचिव के नौ जुलाई 2018 के उस पत्र का निरंतर हवाला दे रहा है जिसमें हाईस्कूल व इंटर के कुछ विषयों को हटाने का उल्लेख किया गया है। यह पत्र मिलने के बाद चयन बोर्ड ने 12 जुलाई 2018 को प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक चयन वर्ष 2016 के विज्ञापन से हाईस्कूल के छह व इंटर के दो विषयों का विज्ञापन निरस्त कर दिया। इसमें 321 पद घट गए और करीब सत्तर हजार अभ्यर्थी लिखित परीक्षा से बाहर हो गए। उनमें से 67 हजार से अधिक अभ्यर्थी केवल हाईस्कूल जीव विज्ञान विषय के ही हैं। यह प्रकरण तूल पकड़ने पर यूपी बोर्ड ने स्पष्ट किया कि विषय हटाए नहीं गए बल्कि वे पाठ्यक्रम में समाहित हुए हैं। जीव विज्ञान व अन्य विषयों का अंश अब भी पाठ्यक्रम का हिस्सा है। यह प्रकरण शासन तक पहुंचने पर यूपी बोर्ड से प्रस्ताव मांगा गया, क्योंकि यूपी बोर्ड ही चयन बोर्ड से होने वाले चयन की अर्हता तय करता है। बोर्ड ने प्रस्ताव दिया कि निरस्त विषयों की परीक्षा कराई जाए। इसके बाद भी उस पर निर्णय नहीं लिया जा सका है। यह जरूर है कि चयन बोर्ड ने निरस्त विषयों के अभ्यर्थियों से दूसरे विषयों में ऑनलाइन आवेदन मांगे जिसमें गिने-चुने अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया है, क्योंकि अधिकांश अभ्यर्थी दूसरे विषय के लिए अर्ह ही नहीं है। यह प्रकरण शिकायत जनपोर्टल तक पहुंचा तो चयन बोर्ड ने यूपी बोर्ड के पत्र का आधार बनाकर जवाब दिया है।
जबकि यूपी बोर्ड ने इस निर्णय पर असहमति जताई थी और निरस्त विषयों का इम्तिहान कराने का प्रस्ताव भी शासन को भेजा था। उस पर अब तक शासन ने कोई निर्णय ही नहीं लिया है।
असल में चयन बोर्ड यूपी बोर्ड सचिव के नौ जुलाई 2018 के उस पत्र का निरंतर हवाला दे रहा है जिसमें हाईस्कूल व इंटर के कुछ विषयों को हटाने का उल्लेख किया गया है। यह पत्र मिलने के बाद चयन बोर्ड ने 12 जुलाई 2018 को प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक चयन वर्ष 2016 के विज्ञापन से हाईस्कूल के छह व इंटर के दो विषयों का विज्ञापन निरस्त कर दिया। इसमें 321 पद घट गए और करीब सत्तर हजार अभ्यर्थी लिखित परीक्षा से बाहर हो गए। उनमें से 67 हजार से अधिक अभ्यर्थी केवल हाईस्कूल जीव विज्ञान विषय के ही हैं। यह प्रकरण तूल पकड़ने पर यूपी बोर्ड ने स्पष्ट किया कि विषय हटाए नहीं गए बल्कि वे पाठ्यक्रम में समाहित हुए हैं। जीव विज्ञान व अन्य विषयों का अंश अब भी पाठ्यक्रम का हिस्सा है। यह प्रकरण शासन तक पहुंचने पर यूपी बोर्ड से प्रस्ताव मांगा गया, क्योंकि यूपी बोर्ड ही चयन बोर्ड से होने वाले चयन की अर्हता तय करता है। बोर्ड ने प्रस्ताव दिया कि निरस्त विषयों की परीक्षा कराई जाए। इसके बाद भी उस पर निर्णय नहीं लिया जा सका है। यह जरूर है कि चयन बोर्ड ने निरस्त विषयों के अभ्यर्थियों से दूसरे विषयों में ऑनलाइन आवेदन मांगे जिसमें गिने-चुने अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया है, क्योंकि अधिकांश अभ्यर्थी दूसरे विषय के लिए अर्ह ही नहीं है। यह प्रकरण शिकायत जनपोर्टल तक पहुंचा तो चयन बोर्ड ने यूपी बोर्ड के पत्र का आधार बनाकर जवाब दिया है।