नई दिल्ली । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केन्द्रीय शैक्षणिक संस्थान (अध्यापक संवर्ग में आरक्षण) अध्यादेश-2019 को मंजूरी दे दी। यह विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती के लिए 200 अंकों की रोस्टर प्रणाली को बहाल करेगा। इसमें विभाग या विषय के बजाए विश्वविद्यालय या कॉलेज को इकाई माना गया है।
राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों और यूजीसी या सरकार से अनुदान प्राप्त करने वाले विश्वविद्यालयों को तत्काल भर्ती शुरू करने के लिए कहा है। यूजीसी ने विश्वविद्यालय के कुलपतियों को लिखे पत्र में कहा है कि अध्यादेश की घोषणा के बाद विश्वविद्यालयों को तुरंत भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया है।
मोदी सरकार ने गुरुवार को कैबिनेट बैठक में उच्च शिक्षा संस्थानों में 200 अंकों के रोस्टर आधारित आरक्षण प्रणाली को बहाल करने के लिए केन्द्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अध्यादेश, 2019 के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इस अध्यादेश के लागू होने के बाद, उच्च शिक्षा संस्थान अब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को पहले की तरह समुचित प्रतिनिधित्व मिल सकेगा।
आरक्षण विरोधी 13 सूत्रीय रोस्टर प्रणाली के विरोध में दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) सहित तमाम शिक्षक और छात्र संगठनों ने एक मार्च से हड़ताल का आह्वान किया था। इसके तहत पांच मार्च को देशव्यापी भारत बंद का भी आह्वान किया गया था। कई राजनीतिक दलों ने भी तदर्थ शिक्षकों की मांगों का समर्थन किया था।
राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों और यूजीसी या सरकार से अनुदान प्राप्त करने वाले विश्वविद्यालयों को तत्काल भर्ती शुरू करने के लिए कहा है। यूजीसी ने विश्वविद्यालय के कुलपतियों को लिखे पत्र में कहा है कि अध्यादेश की घोषणा के बाद विश्वविद्यालयों को तुरंत भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया है।
मोदी सरकार ने गुरुवार को कैबिनेट बैठक में उच्च शिक्षा संस्थानों में 200 अंकों के रोस्टर आधारित आरक्षण प्रणाली को बहाल करने के लिए केन्द्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अध्यादेश, 2019 के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इस अध्यादेश के लागू होने के बाद, उच्च शिक्षा संस्थान अब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को पहले की तरह समुचित प्रतिनिधित्व मिल सकेगा।
आरक्षण विरोधी 13 सूत्रीय रोस्टर प्रणाली के विरोध में दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) सहित तमाम शिक्षक और छात्र संगठनों ने एक मार्च से हड़ताल का आह्वान किया था। इसके तहत पांच मार्च को देशव्यापी भारत बंद का भी आह्वान किया गया था। कई राजनीतिक दलों ने भी तदर्थ शिक्षकों की मांगों का समर्थन किया था।