सुलतानपुर : निजी स्कूलों पर फीस वसूली, कॉपी-किताब व यूनीफार्म की खरीद-फरोख्त में निजी स्कूलों की मनमानी अब प्रशासन ने नकेल कसनी शुरू कर दी है।
अभिभावकों व जनप्रतिनिधियों से रोजाना मिल रही शिकायतों पर खुला फरमान जारी कर दिया है कि अब किसी भी बच्चे की स्कूल में सालाना फीस हजार रुपये से ज्यादा नहीं ली जा सकती है। विभिन्न मदों का हवाला देकर अभिभावकों को झांसा दे वसूली करने वाले विद्यालयों पर भी सख्त रवैया अख्तियार करने के संकेत दिए हैं। बाकायदा दिशा निर्देश जारी करते हुए सभी बोर्डों से संचालित विद्यालयों को आदेश का अक्षरश: पालन करने को कहा गया है।
बेवसाइट पर देना होगा शुल्क का विवरण
मनमाने तरीके से अब निजी स्कूल शुल्क वसूली नहीं कर सकेंगे। उन्हें अपनी बेवसाइट पर शुल्क का विवरण अपलोड करना होगा। वह भी शैक्षणिक सत्र में प्रवेश शुरू होने के साठ दिन पहले ही। फीस का विवरण प्रकाशित किए जाने के समय विद्यालय को मासिक, त्रयमासिक व छमाही आदि किश्तों का भी जिक्र करना होगा। कोई भी विद्यालय सालाना तरीके से शुल्क वसूली नहीं कर सकेगा।
कैपिटेशन फीस पर लगाई गई रोक
विद्यालय किसी भी बोर्ड से संचालित हो, कैपिटेशन फीस नहीं ले सकता। यदि कहीं पर भी इसकी पुष्टि हो गई तो माध्यमिक शिक्षा विभाग मान्यता हरण की कार्रवाई करेगा। जो भी शुल्क या प्रभार छात्र से लिया जाएगा, उसके लिए रसीद जारी करना अनिवार्य है।
किताब व यूनीफार्म की दुकान नहीं तय करेंगे स्कूल
अक्सर देखने में आया है कि प्रत्येक निजी स्कूलों की अपनी-अपनी दुकानें हैं। जहां से विद्यालय को मोटा कमीशन मिलता है और उन्हीं विद्यालयों से कॉपी-किताब और यूनीफार्म खरीदने को अभिभावक मजबूर होते हैं। अब ऐसा नहीं हो सकेगा। इस पर रोक लगा दी गई है। पांच साल के बाद ही बच्चों के यूनीफार्म में विद्यालय कोई बदलाव कर सकेगा। वह भी महकमे के अधिकारियों को लिखित रूप से अवगत कराने और अनुमति लेने के बाद ही।
जिले में संचालित सभी स्कूल-कालेजों के प्रबंधकों, प्रधानाचार्यों को शासन के प्राविधानों से अवगत करा दिया गया है। बावजूद इसके भी अगर वे नहीं सुधरते हैं, तो उन स्कूलों के खिलाफ प्रशासनिक व वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
जीके सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक
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अभिभावकों व जनप्रतिनिधियों से रोजाना मिल रही शिकायतों पर खुला फरमान जारी कर दिया है कि अब किसी भी बच्चे की स्कूल में सालाना फीस हजार रुपये से ज्यादा नहीं ली जा सकती है। विभिन्न मदों का हवाला देकर अभिभावकों को झांसा दे वसूली करने वाले विद्यालयों पर भी सख्त रवैया अख्तियार करने के संकेत दिए हैं। बाकायदा दिशा निर्देश जारी करते हुए सभी बोर्डों से संचालित विद्यालयों को आदेश का अक्षरश: पालन करने को कहा गया है।
बेवसाइट पर देना होगा शुल्क का विवरण
मनमाने तरीके से अब निजी स्कूल शुल्क वसूली नहीं कर सकेंगे। उन्हें अपनी बेवसाइट पर शुल्क का विवरण अपलोड करना होगा। वह भी शैक्षणिक सत्र में प्रवेश शुरू होने के साठ दिन पहले ही। फीस का विवरण प्रकाशित किए जाने के समय विद्यालय को मासिक, त्रयमासिक व छमाही आदि किश्तों का भी जिक्र करना होगा। कोई भी विद्यालय सालाना तरीके से शुल्क वसूली नहीं कर सकेगा।
कैपिटेशन फीस पर लगाई गई रोक
विद्यालय किसी भी बोर्ड से संचालित हो, कैपिटेशन फीस नहीं ले सकता। यदि कहीं पर भी इसकी पुष्टि हो गई तो माध्यमिक शिक्षा विभाग मान्यता हरण की कार्रवाई करेगा। जो भी शुल्क या प्रभार छात्र से लिया जाएगा, उसके लिए रसीद जारी करना अनिवार्य है।
किताब व यूनीफार्म की दुकान नहीं तय करेंगे स्कूल
अक्सर देखने में आया है कि प्रत्येक निजी स्कूलों की अपनी-अपनी दुकानें हैं। जहां से विद्यालय को मोटा कमीशन मिलता है और उन्हीं विद्यालयों से कॉपी-किताब और यूनीफार्म खरीदने को अभिभावक मजबूर होते हैं। अब ऐसा नहीं हो सकेगा। इस पर रोक लगा दी गई है। पांच साल के बाद ही बच्चों के यूनीफार्म में विद्यालय कोई बदलाव कर सकेगा। वह भी महकमे के अधिकारियों को लिखित रूप से अवगत कराने और अनुमति लेने के बाद ही।
जिले में संचालित सभी स्कूल-कालेजों के प्रबंधकों, प्रधानाचार्यों को शासन के प्राविधानों से अवगत करा दिया गया है। बावजूद इसके भी अगर वे नहीं सुधरते हैं, तो उन स्कूलों के खिलाफ प्रशासनिक व वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
जीके सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक
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