प्रेरणा ऐप डाउनलोड न करने पर बेसिक शिक्षकों को 9000 करोड़ का चोर कहने पर एक शिक्षक सुशील उपाध्याय का जबरदस्त जवाब
आपकी इस अपील की आवश्यकता और महत्व को हम भली भांति समझते है।आपने जब जब हम शिक्षको का आवाहन किया हम सब स्वप्रेरित होकर अपने अपने विद्यालय के भौतिक परिवेश , शैक्षिक गुणवत्ता ,छात्रों की आवश्यकता के भौतिक संसाधन अपने वेतन से राशि खर्च करके बढ़ाने का प्रयास किया।महोदय ,सरकार द्वारा लाया गया प्रेरणा ऐप न तो कोई पहला प्रयास है और न ही अंतिम।किन्तु हमारे नीति नियंताओ को यह समझना होगा कि सुधार भय से तो किया जा सकता है लेकिन वह न तो स्थाई होगा और न ही दूरगामी। यदि सच्चे मायने में सुधार करना है तो उनके लिए सिर्फ दृढ़ इच्छा शक्ति की अवश्यकता होती है।उदाहरण के तौर पर मैं अपने पूर्व जिलाधिकारी श्री भानुचंद्र गोस्वामी जी का नाम लेना चाहूंगा ।
जिन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर पूरे जनपद के सभी विद्यालयों पर बिना किसी आपरेशन काया कल्प के चहारदीवारी का निर्माण 2 वर्ष पूर्व ही करा दिया।जबकि पूरे प्रदेश के लिए यह कार्य अभी दिवा स्वप्न के समान है।
आदरणीय महोदय, कृपया आप लोग अपने हृदय पर हाथ रखकर विचार करे की क्या आपको पूरे जनपद में यह पता नही है कि ऐसे लापरवाह शिक्षक जिनके लिए तथाकथित प्रेरणा अप्प लाया जा रहा है ,की संख्या कितनी है और वे कहा कहा कार्यरत है।क्या आप उनके ऊपर कार्यवाही कर सकते है? कदापि नही ।क्योकि वे किसी विधायक , सांसद,मंत्री,उच्च अधिकारी के घर के है।
और मेरा पूरा विश्वास है कि प्रेरणा अप्प लागू करने के बाद भी आप उनके ऊपर कोई कार्यवाही न कर पाएंगे । यह एप्प तो उनके लिए काम करेगा ,उनको प्रताड़ित करेगा जो नियमित विद्यालय आते है।जो नियमित समुदाय के संपर्क में रहते है। जो प्रोजेक्टर चलाने और TLM बनाकर शिक्षण कार्य करते है। जो देर रात तक या प्रातः उठकर पाठ योजना का निर्माण करते है ।जो प्रधान के पास MDM की समस्या लेकर जाते है और दूध,फल बंटवाने में तत्पर रहते है।
महोदय हम शिक्षक है,सेल्समेन नही जो 10 बजे शटर उठाया और रात 8 बजे बन्द।बीच मे चाहे बिक्री हो या न हो यह ग्राहक के ऊपर निर्भर करता हो ।सर हमे तो हर हाल में राष्ट निर्माण करना है ।चाहे बच्चा आये या न आये, चाहे खाली पेट आये या भरा, चाहे बीमार आये चाहे स्वस्थ ,चाहे सीखने के लिए तैयार हो या नही …....हमे तो हर हाल में राष्ट्र निर्माण करना है।
महोदय हमे प्रेरणा aap जैसे हजारो अप्प से गुरेज नही है वरन हमे दुख इस बात का है हमारे ऊपर विश्वाश नही किया जा रहा है।और शायद आप भी सहमत होंगे कि पूरे सिस्टम पर विश्वास नही किया जा रहा है।अगर बात हमारी उपस्थिति तक थी तो हाज़िरी सिर्फ एक बार प्रातः 8 बजे भी ली जा सकती थी।लेकिन यहां तो बात पूरे शिक्षक समुदाय को नकारा,कामचोर,भ्रष्ट,9000 करोड़ का घोटालेबाज़ साबित करने की है।वह भी ग्राफ और डेटा के माध्यम से ।
महोदय यदि ऑपरेशन काया कल्प की मॉनिटरिंग करनी है तो आप कृपया हर BRC की डस्टबिन खोजवा दीजिये ,प्रत्येक HM कम से कम 50 बार लिखकर दे चुका है।
आखिर में VDO/ सेक्रेटरी को भी इसका अप्प दिया जा सकता था।सर शायद आपने ध्यान नही दिया होगा ,SMC में एक लेखपाल जी पदेन सदस्य भी होते है।पूरे प्रदेश में कोई एक SMC की बैठक की कार्यवृत्त देख लीजिए अगर एक भी लेखपाल बैठक में शामिल हुए हो तो मैं अपनी बात वापस लेने को तैयार हूँ।आखिर में लेखपाल महोदय क्यो नही DM महोदय को रिपोर्ट करते उनके विद्यालय में काया कल्प का कोई कार्य हुआ है कि नही।
महोदय अंत मे आपसे विनम्र निवेदन है कि भविष्य में शिक्षक के रूप विद्यालयों में रोबोट के माध्यम से शिक्षण कार्य करवाने के बारे में विचार करे जिससे एक सशक्त और उज्ज्वल राष्ट्र का निर्माण हो सके।
आपका प्रिय शिक्षक
सुशील कुमार उपाध्याय
जौनपुर