कस्तूरबा विद्यालय: चहेतों के लिए नियमों की बलि

 बस्ती : बेसिक शिक्षा विभाग में शासन की सख्ती के बाद भी पारदर्शी व्यवस्था नहीं बन पा रही है। कस्तूरबा विद्यालयों में सामग्री और ड्रेस आपूर्ति की निविदा में फिर मनमानी हो गई।

अगस्त में ड्रेस आपूर्ति के निविदा आवंटन में एक फर्म को अयोग्य इसलिए कर दिया गया कि उसने बंधक धनराशि के रूप में दूसरे के नाम डीडी लगाई थी। वहीं जिस फर्म को यह निविदा आवंटित की गई उसमें भी बंधक धनराशि का डिमांड ड्राफ्ट प्रोपराइटर के नाम नहीं है। विभाग ने संबंधित फर्म से ड्रेस आपूर्ति कराकर भुगतान भी कर दिया। अपनी ही करतूत से विभाग एक बार फिर कटघरे में है। 13 विद्यालयों में करीब तेरह छात्राएं शिक्षा ले रही हैं। प्रति कस्तूरबा विद्यालय में सौ छात्राओं के लिए दो सौ ड्रेस की आपूर्ति कागजों में दर्शाई गई है। 240 रुपये प्रति ड्रेस की दर से 13 कस्तूरबा विद्यालयों से ड्रेस के मद में छह लाख 24 हजार रुपये का भुगतान हुआ है। असलियत में कस्तूरबा स्कूलों में सौ फीसद उपस्थिति नहीं रहती। अगस्त से अक्टूबर के बीच तत्कालीन डीएम माला श्रीवास्तव द्वारा कराए गए औचक निरीक्षण में भी इसकी पुष्टि हुई। में हुई थी। जांच में 60 से 70 फीसद छात्र ही उपस्थित मिले। ड्रेस की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं। साऊंघाट कस्तूरबा की वार्डेन माधुरी त्रिपाठी ने पूछने पर बताया कि ड्रेस की गुणवत्ता से हम संतुष्ट नहीं है।


जिला समन्वयक रामचंद्र यादव ने बताया कि एसएस एंड संस के नाम ड्रेस आपूर्ति की निविदा आवंटित हुई है। इसमें उमेश कुमार के नाम बंधक धनराशि की डीडी संलग्न है। यह प्रोपराइटर के साझेदार है। इस आशय का शपथ पत्र भी जमा है।