प्रदेश में साढ़े तीन महीने बाद खुले परिषदीय विद्यालयों के ताले
लखनऊ। कोरोना वायरस के चलते साढ़े तीन महीने से बंद परिषदीय विद्यालयों के ताले बुधवार को खुल गए। हालांकि स्कूलों में केवल शिक्षक और कर्मचारी ही पहुंचे, जिन्होंने पहले दिन विभागीय कार्यों को निपटाया। विभाग की तरफ से सुबह आठ बजे से दोपहर एक बजे तक विद्यालय खोलने के निर्देश दिए गए थे। कुछ
विद्यालय में शिक्षक देर से पहुंचे तो अधिकांश विद्यालयों में शिक्षक समय पर पहुंच गए। विभाग ने शिक्षकों को मिड डे मील का खाद्यान्न वितरण, यूनिफार्म वितरण, निशुल्क किताबें वितरण, ऑनलाइन प्रशिक्षण समेत कई विभागीय कार्य विद्यालय से ही निपटाने के निर्देश दिए हैं। पहले दिन कर्मचारियों ने विद्यालय कार्यालय व कक्षाओं की साफ-सफाई की। उसके बाद विभागीय कार्यों को संपादित करना शुरू कर दिया। कुछ शिक्षकों ने छात्रों के ग्रुप पर ऑनलाइन असाइनमेंट भी दिया। प्राथमिक विद्यालय भरोसा प्रथम, प्राथमिक विद्यालय भरोसा द्वितीय और उच्च प्राथमिक विद्यालय भरोसा के सभी 15 शिक्षक और रसोइए उपस्थित रहे। अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक विद्यालय धनुआ सांड में भी पूरा स्टाफ मौजूद रहा। अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक विद्यालय सिकंदरपुर अमोलिया में इंचार्ज अजीता सिंह समेत पूरे स्टाफ ने परिसर में पौधरोपण कर सत्र की शुरुआत की। उपस्थिति की बाध्यता खत्म हो शिक्षकों के बीच अभी भी विद्यालय खोलने और शिक्षकों समेत अन्य स्टाफ की उपस्थिति अनिवार्य किए जाने का विरोध जारी है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर विद्यालय में अनिवार्य रूप से शिक्षकों व स्टाफ की उपस्थिति की बाध्यता को खत्म करने की मांग की है। जिला मंत्री वीरेंद्र सिंह ने बताया कि कोरोना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार ने विद्यालयों को 30 जुलाई तक बंद करने की एडवाइजरी दी है। बावजूद इसके परिषदीय विद्यालयों में सभी को अनिवार्य रूप से बुलाया जा रहा है। इससे शिक्षकों और बाकी स्टाफ में डर है। उन्होंने बताया कि विभाग की तरफ से अभी तक विद्यालयों को सैनिटाइज भी नहीं कराया गया। उन्होंने जिला अधिकारी से मांग की है कि जितने भी विभागीय कार्य हैं उनको घर से निपटाने की अनुमति दी जाए। साथ ही रोस्टर प्रणाली के तहत शिक्षकों को बुलाया जाए।
लखनऊ। कोरोना वायरस के चलते साढ़े तीन महीने से बंद परिषदीय विद्यालयों के ताले बुधवार को खुल गए। हालांकि स्कूलों में केवल शिक्षक और कर्मचारी ही पहुंचे, जिन्होंने पहले दिन विभागीय कार्यों को निपटाया। विभाग की तरफ से सुबह आठ बजे से दोपहर एक बजे तक विद्यालय खोलने के निर्देश दिए गए थे। कुछ
विद्यालय में शिक्षक देर से पहुंचे तो अधिकांश विद्यालयों में शिक्षक समय पर पहुंच गए। विभाग ने शिक्षकों को मिड डे मील का खाद्यान्न वितरण, यूनिफार्म वितरण, निशुल्क किताबें वितरण, ऑनलाइन प्रशिक्षण समेत कई विभागीय कार्य विद्यालय से ही निपटाने के निर्देश दिए हैं। पहले दिन कर्मचारियों ने विद्यालय कार्यालय व कक्षाओं की साफ-सफाई की। उसके बाद विभागीय कार्यों को संपादित करना शुरू कर दिया। कुछ शिक्षकों ने छात्रों के ग्रुप पर ऑनलाइन असाइनमेंट भी दिया। प्राथमिक विद्यालय भरोसा प्रथम, प्राथमिक विद्यालय भरोसा द्वितीय और उच्च प्राथमिक विद्यालय भरोसा के सभी 15 शिक्षक और रसोइए उपस्थित रहे। अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक विद्यालय धनुआ सांड में भी पूरा स्टाफ मौजूद रहा। अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक विद्यालय सिकंदरपुर अमोलिया में इंचार्ज अजीता सिंह समेत पूरे स्टाफ ने परिसर में पौधरोपण कर सत्र की शुरुआत की। उपस्थिति की बाध्यता खत्म हो शिक्षकों के बीच अभी भी विद्यालय खोलने और शिक्षकों समेत अन्य स्टाफ की उपस्थिति अनिवार्य किए जाने का विरोध जारी है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर विद्यालय में अनिवार्य रूप से शिक्षकों व स्टाफ की उपस्थिति की बाध्यता को खत्म करने की मांग की है। जिला मंत्री वीरेंद्र सिंह ने बताया कि कोरोना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार ने विद्यालयों को 30 जुलाई तक बंद करने की एडवाइजरी दी है। बावजूद इसके परिषदीय विद्यालयों में सभी को अनिवार्य रूप से बुलाया जा रहा है। इससे शिक्षकों और बाकी स्टाफ में डर है। उन्होंने बताया कि विभाग की तरफ से अभी तक विद्यालयों को सैनिटाइज भी नहीं कराया गया। उन्होंने जिला अधिकारी से मांग की है कि जितने भी विभागीय कार्य हैं उनको घर से निपटाने की अनुमति दी जाए। साथ ही रोस्टर प्रणाली के तहत शिक्षकों को बुलाया जाए।