शहरी क्षेत्र के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने कमर कस ली है। अब 30 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को पास के स्कूल में संविलियन किया जाएगा। वहीं किराए के भवनों में संचालित स्कूलों के लिए भी नई नियमावली सरकार ने जारी कर दी है।
इसके मुताबिक, प्राइमरी स्कूल यदि 625 वर्ग मीटर और जूनियर स्कूल 1000 वर्ग मीटर से कम क्षेत्रफल में स्थापित हैं तो ऐसे स्कूलों के लिए नया किराए का भवन लिया जाएगा। वहीं यदि किराए के भवन के संचालित प्राइमरी स्कूलों के लिए एक किमी और जूनियर स्कूलों के लिए तीन किमी की परिधि में कोई सरकार जमीन है तो वहां नया भवन बनवाया जाए। 30 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को पास के स्कूल में मर्ज कर दिया जाएगा। प्राइमरी व जूनियर स्कूलों का भी संविलियन भी किया जा सकता है। दो स्कूलों के संविलयन होने की दशा में सरप्लस स्टाफ का समायोजन उसी नगर क्षेत्र के स्कूलों में होगा।
प्रदेश में 643 ऐसे स्कूल हैं जो किराए के भवन में संचालित हैं। यदि इन भवनों में मूलभूत सुविधांए मसलन छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय, हर कक्षा के लिए एक कमरा, खेल का मैदान, डिजिटल क्लास के लिए कक्ष, कार्यालय कक्ष आदि उपलब्ध कराने की जगह न हो तो पास में नए भवन में स्कूल चलाए जाएं। यदि भवन में जगह हो और मकान मालिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए राजी हो तो सर्किल रेट के हिसाब से किराए का प्रस्ताव शासन को उपलब्ध कराया जाएगा। जब तक स्कूल में निर्माण कार्य चलेगा बच्चों को पास में नए किराए के भवन में पढ़ाया जाए। किराए की दर के निर्धरण के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
ऐसे स्कूल जो सरकारी भवनों में संचालित हैं और जर्जर हो गए हैं उनका स्थलीय सत्यापना जिलाधिकारी द्वारा गठित तकनीकी समिति करेगी और उसका ध्वस्तीकरण कराकर वहां नया भवन बनवाया जाएगा।