प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में शिक्षक ट्रेनिंग लेने वाले अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति नहीं देने संबंधी महानिदेशक स्कूल शिक्षा के सकरुलर के क्रियान्वयन पर रोक लगा
दी है। साथ ही याची को नियुक्ति देकर उसके वेतन आदि का भुगतान करने पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। इस मामले में राज्य सरकार से भी जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। यह आदेश न्यायमूíत जेजे मुनीर ने पूजा तिवारी की याचिका पर दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद एक केंद्रीय संस्था है, उसका निर्देश राज्य सरकार की शिक्षक भर्ती नियमावली 1981 पर बाध्यकारी होगी।कोर्ट में याची का पक्ष अधिवक्ता सीमांत सिंह ने रखा। उनका कहना था कि याची ने 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के लिए आवेदन किया था। इसमें उसका अंतिम रूप से चयन हो गया। उसे मैनपुरी जिले में नियुक्ति भी मिल गई, लेकिन विद्यालय का आवंटन नहीं किया गया। याची ने इंटरमीडिएट के बाद डिप्लोमा में एलेमेंट्री एजुकेशन में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने 18 जनवरी, 2021 को सकुर्लर जारी कर कहा है कि जिन अभ्यíथयों ने इंटरमीडिएट के बाद सीधे शिक्षण प्रशिक्षण की डिग्री या डिप्लोमा लिया है, वह नियुक्ति के लिए योग्य नहीं माने जाएंगे। इसी को चुनौती दी गई है। एनसीटीई की 28 नवंबर, 2014 के रेग्युलेशन में स्पष्ट है कि 50 प्रतिशत अंक के साथ इंटरमीडिएट उत्तीर्ण करने के बाद शिक्षक प्रशिक्षण लेने वाले सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए अर्ह माने जाएंगे। इस पर अदालत ने महानिदेशक के सकुर्लर पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। एक अन्य मामले में कोर्ट ने बुलंदशहर की नम्रता व अन्य के मामले में याची की बर्खास्तगी को रद कर बहाल करने का निर्देश दिया।
’>>एनसीटीई का निर्देश शिक्षक भर्ती नियमावली पर बाध्य : हाई कोर्ट
’>>शिक्षक ट्रेनिंग वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर निर्णय का निर्देश