लखनऊ : प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत डेढ़ लाख से अधिक शिक्षामित्रों के लिए खुशखबर है। वे अब हर संविदा वर्ष में मिलने वाले 11 अवकाश कभी भी ले सकते हैं। योगी सरकार ने हर माह मात्र एक अवकाश लेने की बाध्यता खत्म कर दी है। शिक्षामित्र इसकी मांग लंबे समय से कर रहे थे। 14 साल बाद अवकाश नियमावली में संशोधन किया गया है।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों में करीब 1.53 लाख शिक्षामित्र संविदा पर तैनात हैं। वर्ष की 11 माह की सेवा में उन्हें इतने ही आकस्मिक अवकाश मिलते रहे हैं, लेकिन परेशानी यह थी कि वे माह में मात्र एक आकस्मिक अवकाश ले सकते थे। यानी शिक्षामित्रों के बीमार होने, चोटिल होने या फिर अन्य वजहों से विद्यालय न जाने पर उनके मानदेय में कटौती की जाती रही है। शिक्षामित्र प्राथमिक शिक्षकों की तरह आकस्मिक अवकाश की संख्या बढ़ाकर 14 करने और उसे कभी भी लेने की मांग लंबे समय से कर रहे थे। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने बीती 21 जून को शासन को प्रस्ताव भेजा था।
सचिव रणवीर प्रसाद ने मंगलवार को अवकाश नियमावली में संशोधन का आदेश जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि शिक्षामित्रों की उपस्थिति पंजिका का रखरखाव विद्यालय प्रधानाध्यापक करते हैं। अब शिक्षामित्रों को संविदा वर्ष में अधिकतम 11 दिन का आकस्मिक अवकाश मिलेगा। इससे अधिक अनुपस्थिति पर मानदेय में कटौती होगी।
ज्ञात हो कि शिक्षामित्रों को माह में मात्र एक आकस्मिक अवकाश देने का आदेश 15 जून, 2007 को हुआ था। आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन उप्र के अध्यक्ष जितेंद्र शाही ने इस फैसले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताते हुए उम्मीद जताई कि शिक्षामित्रों को 62 साल तक सेवा करने का अवसर भी मिलेगा।
14 साल बाद नियमावली में संशोधन, सरकार ने अवकाश लेने की बाध्यता की खत्म, शिक्षामित्र संघ गदगद
अंशकालिक अनुदेशक बने बदलाव का आधार
प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अंशकालिक अनुदेशकों की तैनाती का आदेश 31 जनवरी, 2013 को हुआ था। उन्हें भी 11 माह की नियुक्ति संविदा पर दी गई थी। अनुदेशकों को संविदा वर्ष में अधिकतम 10 आकस्मिक अवकाश दिए जाने का प्रविधान हुआ। इसमें माहवार अवकाश लेने का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया था। शिक्षामित्रों के लिए व्यवस्था बदलने का यही आधार बना है।