शासन की लेटलतीफी का खामियाजा भुगत रहे शिक्षक, पुरानी पेंशन योजना के दायरे से हुए बाहर

 शासन की लेटलतीफी के चलते सूबे में करीब 1000 शिक्षक पुरानी पेंशन योजना के दायरे से बाहर है। माध्यमिक विद्यालयों में इनकी नियुक्ति 31 मार्च 2005 के बाद हुई। जबकि नियुक्ति के लिए विज्ञापन 31 मार्च

2005 के पहले जारी हुआ था। नियुक्ति प्रक्रिया में देरी होने के कारण ऐसे शिक्षकों व कर्मचारियों ने एनपीएस अर्थात नई पेंशन योजना में शामिल कर दिया है। शासन की खामियों को देखते हुए ऐसे शिक्षक पुरानी पेंशन योजना की लड़ाई लड़ रही है।



शिक्षकों का कहना है कि केंद्र सरकार ने एक जनवरी 2004 से केंद्र सरकार की सेवा में आने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों को नई पेंशन योजना से आच्छादित किया गया है। उसी को स्वीकार करते हुए सूबे 01 अप्रैल 2005 से सेवा में आने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों को नई पेंशन योजना से लागू है। केंद्र सरकार ने 17 फरवरी 2020 के कार्यालय आदेश से केंद्र सरकार के अधीन सेवाओं में एक जनवरी 2004 से पहले चयनित हुए सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन व्यवस्था का विकल्प देने का फैसला लिया गया था। साथ ही नौ अगस्त 2021 को भारत सरकार द्वारा विज्ञापन को आधार मानते हुए कार्यालय आदेश जारी किया गया है जिसमें स्पष्ट किया गया है कि 31 दिसंबर 2003 तक के विज्ञापन से चयनित होने वाले केन्द्र सरकार के सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का विकल्प दिया जाएगा। जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अप्रैल 2005 से केंद्र सरकार की भांति ही नई पेंशन योजना से संबंधित सभी निर्णयों व सभी शासनादेशो को पूरी तरह से स्वीकार करते हुए उसी प्रकार के शासनादेश अब तक जारी किए गए हैं।


वहींं 31 मार्च 2005 से पहले जारी विज्ञापन पर हुई नियुक्ति पर संबंधित शिक्षकों व कर्मचारियाें को अब तक पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं दिया गया। माध्यमिक शिक्षक नेता सुधांशु शेखर त्रिपाठी ने इस संबंध में संबंध में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, शिक्षा निदेशक माध्यमिक सहित अन्य अधिकारियों को ईमेल पत्र के माध्यम से केंद्र सरकार की भांति शासनादेश यूपी में भी शासनादेश जारी कराने का अनुरोध किया है। इसमें कहा गया है कि भारत सरकार के 17 फरवरी 2020 एवं 09 अगस्त 2021 के कार्यालय आदेश की भांति ही उत्तर प्रदेश सरकार की सेवा में 31 मार्च 2005 तक चयनित तथा 31 मार्च 2005 तक विज्ञापित पदों पर चयनित व नियुक्त सभी शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन दिए जाने संबंधी विकल्प का आदेश जारी किया जाय। यदि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भारत सरकार के उक्त निर्णयों को लागू करने हेतु शीघ्र शासनादेश जारी नहीं किया जाता है या विलंब किया जाता है तो प्रदेश में न्यायिक विवादों की अभिवृद्धि होगी तथा साथ ही शिक्षकों व कर्मचारियों के मन में सरकार के प्रति असंतोष का भाव भी उत्पन्न हो सकता है।