बलिया। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी पूरी करने और प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शिक्षामित्रों को नियुक्त किया गया था। विद्यालयों में शिक्षण से लेकर बीएलओ व अन्य सभी कार्यों में शिक्षकों के बराबर कार्य करने वाले शिक्षामित्र न तो शिक्षकों के समान वेतन पाते हैं न ही सुविधाएं। इस अनदेखी से शिक्षामित्र नाराज हैं। उनका कहना है कि उन्हें भी सुविधाएं मिलनी चाहिए।
वेतन से लेकर सुविधा और स्वयं अपनी नौकरी के अस्तित्व को लेकर शिक्षामित्रों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई। मानदेय बढ़ाने से लेकर स्थायी करने जैसे आश्वासन मात्र पर शिक्षामित्र शिक्षणकार्य कर रहे हैं। लेकिन किसी तरह से कोई शासनादेश जारी नहीं किया गया र्य है। वहीं टीईटी के बाद सुपरटेट की परीक्षा में लगातार बढ़ में रहा कटऑफ भी परेशानी का सबब बना हुआ है। पहले सुपरटेट में 30-35 अंक अनिवार्य थे वही फिर 40-45 हुए द और अब 60-65 अंक अनिवार्य कर दिया गया है।
पिछले पांच सालों से शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने का को शासनादेश नहीं आया है, घोषणा और आश्वासन मात्र से खुश होना व्यर्थ है।
- जगनारायन, शिक्षामित्र
सभी योजनाएं और व शिक्षकों पर ही लागू होती है हम किसी गिनती में ही नहीं हैं, मानदेय तक पिछले कई सालों से नहीं बढ़ा
-मंजूर हुसैन, शिक्षामित्र
नई शिक्षा नीति में भी संविदाकर्मी का कोई स्थानी नहीं है, ऐसे में हमारी नौकरी खतरे में है।
- पंकज सिंह, जिलाध्यक्ष, शिक्षामित्र संघ बलिया।
शिक्षण से लेकर तक सब कार्य शिक्षकों के बराबर ही है, लेकिन सुविधाओं और वेतन के नाम पर रखे मूंद लेते हैं।
- दिलीप प्रसाद, शिक्षामित्र