उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में फिर एक नया मोड़ आ गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अपील पर डबल बेंच ने भी अपनी मुहर लगा दी।
एकल पीठ के समक्ष राज्य सरकार द्वारा जारी 6,800 अभ्यर्थियों की अतिरिक्त चयन सूची को चुनौती दी गई थी। इस पर एकल न्यायाधीश ने बीती 27 जनवरी को आदेश दिया था कि वर्ष 2018 में विज्ञापित 69 हजार रिक्तियों के अतिरिक्त बगैर विज्ञापन के एक भी नियुक्ति नहीं की जा सकती है। इस आदेश को एक अभ्यर्थी ने डबल बेंच में विशेष अपील दायर कर चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम की खंडपीठ ने राहुल कुमार की अपील पर फैसला सुनाते हुए एकल पीठ के आदेश को उचित करार दिया है।
खंडपीठ ने कहा है कि 27 जनवरी के आदेश में ऐसी कोई अवैधानिकता नहीं है, जिससे इसमें दखल दिया जाए। खंडपीठ ने एकल पीठ से ऐसे सभी लंबित मामलों का यथासंभव जल्द निस्तारण का अनुरोध भी किया है। इस आदेश के साथ अपील निस्तारित कर दी गई।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने बीती 5 जनवरी को 6,800 अभ्यर्थियों की एक अतिरिक्त चयन सूची जारी करने का निर्णय लिया था। इसको लेकर फिर मामला कोर्ट पहुंच गया। न्यायमूर्ति राजन रॉय की एकल पीठ ने बीती 27 जनवरी को उक्त अंतरिम आदेश भारती पटेल व पांच अन्य अभ्यर्थियों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया था।
यह है मामला
प्रदेश में सहायक शिक्षकों की 69,000 रिक्तियों का विज्ञापन वर्ष 2018 में किया गया था। परीक्षा वर्ष 2019 में हुई। यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक कई बार जा चुका है। इस बार राज्य सरकार द्वारा जारी 6,800 अभ्यर्थियों की अतिरिक्त चयन सूची को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गई। इसमें याचियों ने अतिरिक्त चयन सूची को कानून की मंशा के खिलाफ कहा है।