शासन के निर्देश पर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) की तरफ से संशोधित प्रस्ताव उपलब्ध करा दिया गया है। अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षक विधायकों की मांग पर इस कमेटी का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तदर्थ शिक्षकों के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो जाने पर मामले में मानवीय आधार पर विचार करते हुए यह संशोधित प्रस्ताव तैयार किया गया है।
इसमें तीसरा विकल्प यह दिया गया है कि तदर्थ शिक्षक के वर्तमान बेसिक पे में प्रत्येक आगामी पांच वर्षों की सेवा पर 10 हजार रुपये की वृद्धि करते हुए मानदेय का निर्धारण किया जाए। साथ ही यह शर्त भी होगी कि यह मानदेय अधिकतम 50 हजार रुपये की सीमा तक होगा। इस विकल्प में ज्यादातर वरिष्ठ तदर्थ शिक्षकों को 50 हजार रुपये तक मानदेय मिल सकेगा। इन शिक्षकों के मानदेय पर सालाना 240 करोड़ रुपये व्यय भार आने का अनुमान है। संशोधित प्रस्ताव में यह शर्त भी जोड़ी गई है कि यह मानदेय उन्हीं शिक्षकों को दिया जाएगा, जो सत्र 2021-22 तक वेतन पाए हों और संस्था में कार्यरत हों। साथ ही वह शिक्षक पद सृजन के सापेक्ष कार्यरत हो। मौजूदा कुल शिक्षकों में वर्ष 2000 से पूर्व के तदर्थ शिक्षकों की संख्या 979 है जिसमें 110 प्रवक्ता और 869 सहायक अध्यापक हैं। इसी तरह वर्ष 2000 के बाद के तदर्थ शिक्षकों की संख्या 1111 है, जिसमें 206 प्रवक्ता और 905 सहायक अध्यापक हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की परीक्षा में शामिल शिक्षकों में से 40 तदर्थ शिक्षक भारांक हासिल करके उत्तीर्ण हो गए हैं।